मणिपुर हिंसा: बीरेन सिंह से जुड़े ऑडियो क्लिप पर रिपोर्ट तैयार: केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर फॉरेंसिक रिपोर्ट जल्द ही प्रस्तुत की जाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह...

- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी - ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर फॉरेंसिक रिपोर्ट जल्द
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि मणिपुर में जातीय हिंसा के मामले में कथित तौर पर पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की संलिप्तता संबंधी लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार है। इसे शीघ्र सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर दिया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पेश वकील की दलीलों का संज्ञान लिया। साथ ही कुकी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (केओएचयूआर) की याचिका की सुनवाई पांच मई को शुरू हो रहे सप्ताह में किए जाने के लिए स्थगित कर दी।
वकील ने कहा कि केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दाखिल करेंगे। उन्होंने यह कहते हुए स्थगन की मांग की कि विधि अधिकारी मेहता इस समय उपलब्ध नहीं हैं। मालूम हो कि मणिपुर में बिगड़े हालात और नेतृत्व परिवर्तन की बढ़ती मांगों के बीच सिंह ने नौ फरवरी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले शीर्ष अदालत ने उस लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीएफएसएल से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा में सिंह की संलिप्तता का आरोप लगा था। केओएचयूआर की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सिंह की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की थी।
सीजेआई ने कहा था, राज्य धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और हम इसे (मामले को) फिलहाल स्थगित रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह बाद में देखेंगे कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत करेगी या उच्च न्यायालय। सॉलिसिटर जनरल ने टिप्पणियों से सहमति जताई थी।
भूषण ने ऑडियो लीक के कंटेंट को बेहद गंभीर मामला करार दिया था। उन्होंने कहा, सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि मैतेई समूहों को राज्य सरकार के हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी।
सॉलिसिटर जनरल ने इसे याचिकाकर्ता का विचारधारागत झुकाव बताते हुए इसे खारिज कर दिया। भूषण ने दावा किया कि एक सत्यता परीक्षण प्रयोगशाला ने पुष्टि की है कि 93 प्रतिशत तक यह मुख्यमंत्री की आवाज है। सत्यता परीक्षण प्रयोगशालाएं एफएसएल रिपोर्ट की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय हैं। हालांकि, विधि अधिकारी ने सत्यता परीक्षण प्रयोगशाला की रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए।
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