चलते-चलते : हाथ से लिखने का अभ्यास बच्चों के पढ़ने-लिखने में ज्यादा मददगार
या कीबोर्ड नहीं, हाथ से लिखना ही बच्चों के लिए बेहतर या बच्चों की

या कीबोर्ड नहीं, हाथ से लिखना ही बच्चों के लिए बेहतर या बच्चों की पढ़ाई में हाथ का कमाल, कीबोर्ड फीका या बच्चों को कीबोर्ड सीखाए टाइपिंग, हाथ समझाए समझ --------------------- - यूनिवर्सिटी ऑफ द बास्क कंट्री के अध्ययन में शोधकर्ताओं ने किया दावा - बच्चों पर नया अक्षर और शब्द सिखाने का परीक्षण - 5-6 साल के 50 बच्चों पर प्रयोग किया गया ----------------------- मैड्रिड, एजेंसी। आजकल बच्चों की कक्षाओं में सीखने की प्रक्रियाओं के लिए डिजिटल संसाधनों का उपयोग आम होता जा रहा है। ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम हैं जो बच्चों को पढ़ना और लिखना सिखाते हैं। इनको लेकर अभ्यास कंप्यूटर पर किए जाते हैं इसलिए छात्र पेंसिल या कागज की जगह कीबोर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
टाइपिंग आधारित तरीकों के प्रभाव को मापने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ द बास्क कंट्री ने अध्ययन किया और यह जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल चाइल्ड साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ। अध्ययन में बच्चों के कौशल पर हाथ से लिखने और कीबोर्ड प्रशिक्षण के प्रभावों का विश्लेषण करने के लिए तुलना की गई। अध्ययन में पाया गया कि बच्चों के पढ़ने और लिखने के कौशल में हाथ से लिखने का अभ्यास करने से बहुत अधिक सुधार होता है। कंप्यूटर या कीबोर्ड से टाइप करके ऐसा नहीं हो रहा है। शोधकर्ता जोआना अचा ने कि बच्चे हाथ से कम लिखते हैं, इसलिए हम यह पता लगाना चाहते थे कि इसका अक्षरों और वर्तनी पर क्या प्रभाव पड़ता है। हमने निष्कर्ष निकाला कि जिन बच्चों ने अपने लिखने में हाथों का इस्तेमाल किया, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ नतीजे हासिल किए। पांच से छह साल के बच्चे अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पांच से छह साल के बच्चों को शामिल किया। इस उम्र में बच्चे पढ़ना और लिखना सीखना शुरू करते हैं। 50 बच्चों को जॉर्जियाई और अर्मेनियाई वर्णमाला के नौ अक्षर, साथ ही अक्षरों को मिलाकर बनाए गए 16 शब्द सिखाए गए। अचा ने कहा कि हमने ऐसे अक्षरों और शब्दों का उपयोग किया जो बच्चों के लिए पूरी तरह से नए थे। हम यह पक्का करना चाहते थे कि वे शुरू से ही सीख रहे हैं। इसलिए सभी छात्रों को नए अक्षर और शब्द सिखाए गए। आधे छात्रों को हाथ से लिखने के लिए कहा गया और शेष को कीबोर्ड से। बिंदीदार लाइन के साथ लिखवाया गया अध्ययन में हाथ से लिखते समय बच्चा अक्षरों के आकार को ट्रेस करता है, जिससे उसका हाथ और दिमाग का समन्वय मजबूत होता है। वह अक्षरों की बनावट व क्रम को बेहतर याद रखता है। कीबोर्ड पर यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है। कुछ बच्चों को बिंदीदार लाइन के साथ लिखवाया गया और कुछ को खाली पेज पर। कंप्यूटर पर भी कुछ को एक ही फॉन्ट में टाइप कराया गया और कुछ को अलग-अलग फॉन्ट में। तकनीक को मुख्य आधार नहीं माने शोधकर्ताओं ने कहा कि हाथ से लिखने वाले बच्चे अक्षरों की पहचान, शब्दों की रचना और याददाश्त में बेहतर होते हैं। कीबोर्ड से सीखने वाले बच्चे गति और टाइपिंग स्किल में अच्छे हो सकते हैं, लेकिन भाषा की बुनियादी समझ में पीछे रह सकते हैं। टेक्नोलॉजी (जैसे कंप्यूटर, टैबलेट) का इस्तेमाल केवल मदद के तौर पर करना चाहिए, इसे मुख्य आधार नहीं बनाएं। -------------------------------- हाथ से लिखने क्या होता है 1- हाथ और दिमाग का तालमेल : जब बच्चा हाथ से लिखता है, वह हर अक्षर की रेखा, मोड़, आकार को खुद बनाता है। इससे दिमाग, हाथ और आंखों का समन्वय मजबूत होता है। 2- अक्षरों की याददाश्त मजबूत : हाथ से लिखने पर बच्चों को अक्षरों और शब्दों का आकार बेहतर याद रहता है, क्योंकि वह उन्हें खुद बनाते हैं। 3- ✅शब्द रचना की समझ : हाथ से लिखते समय बच्चों को अक्षरों के क्रम और शब्द रचना पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है, जिससे उनकी स्पेलिंग और भाषा की समझ बेहतर होती है। 4- ✅रचनात्मकता और धैर्य : हाथ से लिखना धीरे-धीरे सिखाता है, जिससे बच्चे में धैर्य और रचनात्मकता बढ़ती है। ---------------- कीबोर्ड से क्या असर पड़ता है 1- जल्दी टाइपिंग की आदत : कीबोर्ड पर बच्चे अक्षरों को बस दबाते हैं। उन्हें लिखने का तरीका नहीं सीखते, जिससे वे जल्दी टाइप करना तो सीख सकते हैं, लेकिन गहराई से समझ कम हो जाती है। ✅2- आकार और संरचना की कमी : टाइपिंग में अक्षर का आकार हाथ से महसूस नहीं होता। इससे उनका हाथ-आंख का अभ्यास कमजोर रह सकता है। 3- कम ध्यान शब्दों की रचना पर : कीबोर्ड पर लिखने में अक्सर स्पेलिंग चेकर या ऑटोकरेक्ट होता है, जिससे बच्चे खुद गलतियां पकड़ना नहीं सीख पाते। 4- तकनीकी निर्भरता : कीबोर्ड से टाइप करने पर बच्चे तकनीक पर निर्भर हो जाते हैं और जब पेन-पेपर का काम आता है, तब उन्हें दिक्कत हो सकती है। ------------------
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