where is pakistani shumayla who was a teacher in up for 9 years now missing search is on for her after pahalgam attack यूपी में 9 साल टीचर रही पाकिस्‍तानी शुमायला कहां हो गई गुम? पहलगाम अटैक के बाद हो रही तलाश, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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यूपी में 9 साल टीचर रही पाकिस्‍तानी शुमायला कहां हो गई गुम? पहलगाम अटैक के बाद हो रही तलाश

शुमायला का पाकिस्‍तान कनेक्‍शन सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था। तब यह भी कहा जा रहा था कि उसे सरकारी शिक्षक बनाने में कई की भूमिका संदिग्‍ध है। अपनी नागरिकता छिपाकर वह 9 साल तक यूपी के बरेली में सरकारी शिक्षिका बनी रही थी।

Ajay Singh संवाददाता, बरेलीThu, 1 May 2025 01:34 PM
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यूपी में 9 साल टीचर रही पाकिस्‍तानी शुमायला कहां हो गई गुम? पहलगाम अटैक के बाद हो रही तलाश

पाकिस्‍तानी नागरिक शुमायला खान उर्फ फुरकाना अपनी नागरिकता छिपाकर 9 साल तक यूपी में बेसिक शिक्षा विभाग के स्‍कूल में टीचर की नौकरी करती रही। मामला खुलने के बाद जांच हुई और जांच में हकीकत का खुलासा होने के बाद उसे बर्खास्‍त कर दिया गया। अब जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के आदेश पर सभी पाकिस्‍तानियों को वापस भेजा जा रहा है तो पुलिस और खुफिया एजेंसियां शुमायला की तलाश में जुटी हैं। लेकिन अभी तक उसके बारे में कोई भी जानकारी सामने नहीं आई है। शुमायला की तलाश में पुलिस की एक टीम रामपुर भी भेजी गई है।

क्‍या है शुमायला की कहानी

शुमायला के पाकिस्‍तानी होने के बारे में पहली बार 3 साल पहले जानकारी सामने आई थी। तब शुमायला बरेली के फतेहगंज पश्चिमी के माधौपुर प्राइमरी स्‍कूल में तैनात थी। शुमायला का पाकिस्‍तान कनेक्‍शन सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया था। तब यह भी कहा जा रहा था कि उसे सरकारी शिक्षक बनाने में कई की भूमिका संदिग्‍ध है। दरअसल, बरेली के शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला आतिशबाज निवासी अख्तर अली की बेटी फरजाना उर्फ माहिरा अख्तर ने 17 जून 1979 को पाकिस्तान निवासी सिबगत अली से निकाह किया और पाकिस्तान चली गई थी। वहां उसे पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई। बाद में उसने दो बेटियों को वहां जन्म दिया। जिनका नाम फुरकाना और आलिमा है। निकाह के दो साल बाद उसके शौहर ने तलाक दे दिया था।

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इसके बाद फरजाना उर्फ माहिरा अख्‍तर अपनी दोनों बेटियों के साथ वापस भारत आ गई और यहां रामपुर में अपने मायके में रहने लगी। सालों तक यह मामला दबा रहा। वीजा अवधि खत्म होने के बाद एलआईयू की ओर से शहर कोतवाली में वर्ष 1983 में विदेशी अधिनियम की धारा 14 के तहत उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। जिस पर 25 जून 1985 को उसे सीजेएम कोर्ट से कोर्ट की समाप्ति तक अदालत में मौजूद रहने की सजा सुनाई गई थी।

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ऐसे खुला शुमायला का राज

अवैध तरीके से रामपुर में रह रही इस पाक नागरिक को एलआईयू की ओर से नोटिस जारी करते हुए वीजा अवधि बढ़वाने को कहा गया। तब पता चला कि इसकी एक बेटी बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका के पद पर तैनात है। एलआईयू ने बीएसए के यहां से छानबीन शुरू की तो पता चला कि उसे 22 जनवरी 1992 में बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी दी गई। एलआईयू ने रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी थी। जिस पर उसे बर्खास्त कर दिया गया। फतेहगंज पश्चिमी थाने में रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई। तब से ही उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।

पहलगाम हमले के बाद शुरू हुई तलाश

इधर, 24 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के आदेश पाकिस्‍तानियों को वापस भेजने का सिलसिला शुरू हुआ तो एक बार फिर शुमायला का मामला चर्चा में आ गया। खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश में जुट गईं। रामपुर में भी पुलिस की मदद से तलाश की जा रही है।