वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए एफआरआई की पेश
दूरसंचार विभाग ने साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) पेश किया है। यह डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा, जो धोखाधड़ी वाले मोबाइल...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। दूरसंचार विभाग ने साइबर अपराध व वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) को साझा करने का ऐलान किया है। यह डिजिटल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म के रूप में तैयार बहुआयामी विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में आउटपुट देने का काम करता है जो साइबर धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए वित्तीय संस्थानों को सशक्त बनाता है। इसके जरिए साइबर सुरक्षा और सत्यापन जांच में तेजी आएगी। उन नंबरों को पहचान तत्काल हो सकेगी, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधा या वित्तीय धोखाधड़ी में किया जा रहा है। बुधवार को केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया एफआरआई को लेकर जानकारी साझा की।
उन्होंने लिखा कि धोखाधड़ी वाले भुगतान के खिलाफ भारत का कवच पेश किया जा रहा है। मेरी टीम ने एफआरआई पेश किया है। यह वास्तविक समय में धोखाधड़ी का पता लगाने और उसकी रोकथाम के लिए एक तकनीक संचालित विश्लेषणात्मक उपकरण है। इससे डिजिटल भुगतान किए जाने से पहले जोखिम भरे मोबाइल नंबरों की पहचान करने में मदद मिलेगी। यह पहल लाखों लोगों की सुरक्षा करेगी। यह हमारी डिजिटल अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। दरअसल अगर कोई नंबर धोखाधड़ी करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और किसी भी एक डिजिटल पेमेंट भुगतान प्लेटफॉर्म पर उसका ट्रेस (चिन्हित) किया जाता है तो डीपीआई के जरिए उसकी जानकारी दूसरे प्लेटफॉर्म को भी मिल जाएगी। इससे धोखाधड़ी में लिप्त नंबर को तत्काल ब्लॉक करने और भुगतान को रोकने में मदद मिलेगी। ---------------- किस तरह से काम करेगा एफआरआई - दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलीजेंस यूनिट (डीआईयू) नियमित रूप से डिस्कनेक्ट किए गए मोबाइल नंबरों की सूची हितधारकों के साथ साझा करती है। - नंबर को किस तरह के साइबर अपराध में डिस्कनेक्ट किया जाता है, उसका पूरी जानकारी एकत्र की जाती है। - उसके बाद संदिग्ध मोबाइल नंबर को हितधारक द्वारा चिह्नित किया जाता है, तो उसको लेकर बहुआयामी विश्लेषण किया जाता है। - संबंधित नंबर को मध्यम, उच्च या बहुत उच्च वित्तीय जोखिम में वर्गीकृत किया जाता है। फिर नंबर के बारे में किए गए आकलन को तुरंत डीआईपी के माध्यम से सभी हितधारकों को साझा किया जाएगा। - एफआरपी को सबसे पहले फोनपे पर अपनाया गया, जिसने बहुत उच्च एफआरआई मोबाइल नंबरों से जुड़े लेनदेन को अस्वीकार करने में किया। - फोनपे ने ऑन-स्क्रीन अलर्ट प्रदर्शित करने में भी इसका उपयोग किया। - मध्यम एफआरआई नंबरों के लिए फोनपे लेनदेन की अनुमति देने से पहले एक सक्रिय उपयोगकर्ता चेतावनी भी प्रदर्शित कर रहा है। - फोनपे के बाद पेटीएम और गूगल पे ने भी अपने सिस्टम में डीपीआई अलर्ट जोड़ना शुरू कर दिया है।
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