भविष्य में और सस्ता होगा ऋण, एसबीआई ने लगाया अनुमान
महंगाई दर में गिरावट के चलते और अच्छे मानसून की संभावना के बीच, एसबीआई ने अनुमान लगाया है कि आने वाले महीनों में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कमी की जा सकती है। इससे ऋण और ईएमआई की दरें सस्ती हो सकती...

- महंगाई दर के 67 महीने के निम्न स्तर पर आने से भविष्य में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत कमी आने का अनुमान नई दिल्ली। विशेष संवाददाता
महंगाई दर में लगातार आ रही गिरावट और इस बार मानसून अच्छा रहने की संभावना के बीच लोगों के लिए ऋण और ईएमआई की दर सस्ती हो सकती है। अगले कुछ महीनों में बैंकों की तरफ से सभी तरह के ऋणों की ब्याज दरों में अतिरिक्त कटौती किए जाने की उम्मीद है। देश के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई ने अनुमान लगाया है कि जून और अगस्त में रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की जा सकती है।
बैंक की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महंगाई दर लगातार गिर रही है। मार्च में महंगाई दर 67 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है। वहीं, मानसून भी अच्छा रहने का अनुमान है, जिससे कृषि क्षेत्र में अच्छी पैदावार होने की संभावना है। इस बीच आने वाले महीनों में महंगाई दर में नरमी बनी रहेगी। इन्हीं संकेतों के बीच बैंक ने अनुमान लगाया है कि देश में मांग को बढ़ाने के उद्देश्य से आने वाले महीनो में रेपो रेट में कमी जारी रहेगी। अब एसबीआई के अनुमान के मुताबिक केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कमी करेगा तो उसका सीधे लाभ उन लोगों को होगा जिनका पहले से आवास ऋण, कार ऋण या अन्य तरह का कई ऋण चल रहा है। या फिर जो लोग भविष्य में ऋण लेने की तैयारी कर रहे हैं। ध्यान रहे कि रेपो रेट वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को ऋण दिया जाता है। अगर रिजर्व बैंक द्वारा सस्ती दरों पर वाणिज्य बैंकों को धन मुहैया कराया जाता है तो उसका सीधे असर आम आदमी पर भी पड़ता है। क्योंकि आरबीआई द्वारा दरों में कमी किए जाने के बाद बैंक भी अपनी ब्याज दरों में गिरावट करते हैं। बीते दिनों भी आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी का ऐलान किया था, जिसके बाद बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में कमी की है।
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जीडीपी को प्रोत्साहन देने के लिए की जाएगी कटौती
एसबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में रेपो रेट में 1.0 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती है। इससे देश में आर्थिक विकास को गति देने में मदद मिलेगी। सस्ती दरों पर ऋण उपलब्धता होने से दो स्तर पर लाभ होगा। नंबर एक जिन लोगों ने पहले से ऋण ले रखा है, उन पर ईएमआई को बोझ कम होगा। ईएमआई के तौर पर बचत की गई धनराशि का उपलोग लोग अपनी अन्य जरूरतों पर कर पाएंगे। दूसरे, ऋण सस्ता उपलब्ध होने पर लोग नया कारोबार करने, घर व कार लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इन सब से बाजार में खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी।
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एसबीआई का जीडीपी और महंगाई को लेकर चालू वित्त वर्ष में अनुमान
जीडीपी - 6.3 प्रतिशत
महंगाई दर - 3.8-3.9 प्रतिशत
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