पीपलपोखरा में न पानी मिल रहा, ना सड़क की सुविधा
हल्द्वानी के पीपलपोखरा ग्रामसभा में पानी की गंभीर समस्या है। गांव में पेयजल की सप्लाई बंद हो गई है और लोग टैंकर मंगवाने को मजबूर हैं। नई कॉलोनियों में सड़कों का अभाव और नाली निर्माण न होने से जलभराव...
हल्द्वानी। कालाढूंगी रोड पर पड़ने वाली पीपलपोखरा ग्रामसभा में लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। गांव में पेयजल के लिए पूर्व में तलिया स्रोत से आपूर्ति की व्यवस्था थी। वर्तमान में इसका संचालन बंद हो चुका है। इसके बाद यहां जल जल जीवन मिशन के तहत गांधी आश्रम के नलकूप से पेयजल सप्लाई की व्यवस्था बनाई गई, लेकिन पुरानी लाइनों की कम क्षमता और लीकेज की समस्या होने से गांव में पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। लोग अपनी जेब से पैसा देकर टैंकर मंगवाने को मजबूर हैं। वहीं गांव में बीते पांच साल में कई कॉलोनियां नई बन गई हैं जिनमें सड़कों का अभाव है। गांव की चार धाम कॉलोनी में भी लोग सड़क नहीं होने की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा यहां नाली निर्माण नहीं होने के कारण जलभराव की समस्या भी रहती है। सोलर लाइट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से शाम ढलने के बाद जंगली जानवरों का खतरा रहता है। ग्रामीण आपातकाल में भी घरों से बाहर निकलने से बचते हैं। बोले हल्द्वानी की टीम जब गांव में पहुंची तो लोगों ने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं और समाधान के लिए सुझाव भी दिए।
पीपलपोखरा ग्रामसभा के पीपलपोखरा नंबर वन-टू और गजेसिंह तीन गांवों में करीब तीन हजार की आबादी है। इस क्षेत्र को पानी उपलब्ध कराने वाला तलिया स्रोत रखरखाव नहीं किए जाने के कारण पेयजल आपूर्ति व्यवस्था से बाहर हो गया। गांव में जल निगम की ओर से जेजेएम के तहत पेयजल योजना का कार्य बीते तीन साल से गतिमान है लेकिन घरों तक आज भी पानी नहीं पहुंच पा रहा है। यहां चारधाम कॉलोनी में कई घरों में तो विभाग ने पेयजल कनेक्शन तक नहीं दिए हैं। गांव के लोगों के अनुसार जल निगम की ओर से गांधी आश्रम के नलकूप से पानी की व्यवस्था की गई है। लेकिन विभागीय अफसरों की ढिलाई और ठेकेदारों की लापरवाही के कारण गांव में डीलरों की ओर से काटे गए प्लॉट के हिसाब से डाली गई एक इंच की पुरानी लाइन में कनेक्शन जोड़ दिए गए हैं। अब इस पुरानी लाइन में लीकेज की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके कारण मुख्य मार्ग के बाद कॉलोनी में कहीं भी पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है। यहां की व्यवस्था जल निगम के भीमताल स्थित कार्यालय के अंतर्गत आती है। समस्या के समाधान के लिए लोग कई विभाग के कार्यालय के चक्कर लगा चुके हैं, गांव के लिए नया ओवरहेड टैंक और नलकूप स्थापित करने के लिए जमीन का प्रस्ताव भी दे चुके हैं इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।
आठ जगह लीकेज, कैसे पहुंचे घरों तक पानी: गांधी आश्रम से लामाचौड़ तक आठ जगह लाइन में लीकेज है। यहां चारधाम कॉलोनी के लोगों का कहना है जब घरों तक पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी जल निगम की है फिर लीकेज लाइनों की मरम्मत क्यों नहीं की जाती है। गांधी आश्रम से नलकूप और ओवरहेड टैंक के माध्यम से लामाचौड़ तक पानी की आपूर्ति करने वाली लाइनों में भारी लीकेज हो रही है। इससे जहां लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है वहीं साफ पानी की बर्बादी भी हो रही है।
कई घरों में नहीं पेयजल कनेक्शन : लोगों के अनुसार चारधाम कॉलोनी में 20 परिवारों के घरों में कनेक्शन ही नहीं किए गए हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद जल निगम ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। गर्मी बढ़ने के साथ संकट और गहराता जा रहा है। निवासियों ने जल्द से जल्द कनेक्शन देने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
बिना जांच के पुरानी लाइन में जोड़ दिए कनेक्शन: क्षेत्रवासियों का कहना है कि विभाग ने पुरानी लाइनों की स्थिति जाने बिना ही कनेक्शन कर दिए, जिससे घरों तक पानी पहुंचना मुश्किल हो गया है। यहां पुरानी लाइन मात्र एक इंच की है उसमें भी कई जगह लीकेज हैं। विभाग को सर्वे कर नई पेयजल लाइन बिछाई जानी चाहिए थी। उनका कहना है कि अब जरूरत है कि नई और बड़ी पेयजल लाइन बिछाई जाए ताकि सभी घरों को पर्याप्त पानी मिल सके।
मुख्य सड़क के पास दो दिन में आता है पानी: क्षेत्रवासियों का कहना है कि मुख्य सड़क के पास बसे घरों में दो दिन में एक बार पानी पहुंच पाता है, जबकि अंदरुनी इलाकों में रहने वाले लोगों को टैंकरों के भरोसे रहना पड़ता है। जल निगम की पाइपलाइन व्यवस्था असंतुलित है, जिससे कुछ हिस्सों को नियमित जलापूर्ति मिल रही है और बाकी लोग बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। लोगों ने मांग की है कि हर हिस्से में समान रूप से जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए।
नलकूप के लिए जमीन दी फिर भी नहीं मिला पानी : चारधाम कॉलोनी के लोगों ने बताया कि गांधी आश्रम से दूर होने और आबादी बढ़ने से आ रही समस्या को देखते हुए ग्रामीण अपनी कॉलोनी के पास नलकूप के लिए जमीन भी दान दे चुके हैं। इसके बाद भी विभाग ने वर्ल्ड बैंक की ओर से काम किए जाने का हवाला दे दिया।
पानी ना आने के कारण आपसी मनमुटाव : कॉलोनी में पानी की गंभीर समस्या अब लोगों के बीच मनमुटाव और तकरार का कारण बनती जा रही है। लोगों के बीच बहस और झगड़े हो रहे हैं, जिसका सीधा असर उनके आपसी संबंधों पर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की समस्या इतनी बढ़ गई है कि अब धैर्य जवाब देने लगा है। सीमित मात्रा में आने वाले पानी को लेकर हर कोई अपनी जरूरत पूरी करने की कोशिश में लगा रहता है, जिससे अक्सर विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है। लोगों ने बताया कि पहले हम सब मिलजुल कर रहते थे, लेकिन अब पानी की वजह से पड़ोसी से भी ठीक से बात नहीं होती। हर कोई परेशान है और गुस्से में रहता है। सुबह से शाम तक पानी का इंतजार करते रहते हैं।
पीपलपोखरा के निवासियों की पांच मुख्य समस्याएं
1. गांव में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था नहीं।
2. कॉलोनियां तो बन गई लेकिन सड़क नहीं बनी।
3. स्ट्रीट लाइट नहीं होने से अंधेरे में रह रहे लोग।
4. गांव में तेंदुए और लावारिस जानवरों का खतरा।
5. नालियां नहीं होने से बरसात में होता है जलभराव।
पीपलपोखरा के निवासियों के पांच सुझाव
1. गांव के लिए पर्याप्त पेयजल की व्यवस्था हो।
2. सभी कॉलोनियों में सड़क बिछाई जाए।
3. हर कॉलोनी में दूरी के हिसाब से लगे सोलर लाइट।
4. गांव में तेंदुए और लावारिस जानवरों से बचाव के इंतजाम हों।
5. सड़क निर्माण कर नालियां भी बनाई जाएं।
लोगों का दर्द
हमारे यहां पानी की काफी समस्या है। हर हफ्ते पानी का टैंकर मंगवाना पड़ता है। कई बार विधायक व जल संस्थान के अधिकारियों से पानी की समस्या के बारे में बात कर चुके है। लेकिन सब झूठा दिलासा देते हैं। अभी तक किसी ने कार्रवाई नहीं की है।
भावना पंत
हमारे क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की भी समस्यां है। क्षेत्र में केवल तीन स्ट्रीट लाइट हैं। शाम होते ही क्षेत्र में अंधेरा छा जाता है। घरों से बाहर निकलने में काफी डर लगता है। आए दिन क्षेत्र में तेंदुआ घूमता रहता है। ऐसे में शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं।
आरती मेहरा
पानी की समस्या की वजह से कॉलोनी वालों के बीच मन-मुटाव भी होने लगे हैं। पानी की वजह से हमारे रिश्ते खराब हो रहे हैं। चुनाव आते ही नेता घर-घर आकर झूठे वादे करते हैं कि हम सभी समस्याएं दूर करेंगे और जीतने के बाद गायब हो जाते हैं।
तारा मर्तोलिया
छह माह से क्षेत्र में पानी नहीं आया है। छोटा परिवार होने के कारण हर पंद्रह दिन में पानी का टैंकर मंगवाना पड़ता है। कॉलोनी में कई ऐसे परिवार हैं जिनमें ज्यादा लोग हैं उन्हें तो हर हफ्ते पानी का टैंकर मंगवाना पड़ता है। ऐसे में घर का बजट बिगड़ जाता है।
चंद्रा धामी
दो साल पूर्व हमने यहां घर बनाया था। तब से आज तक नल से बिल्कुल भी पानी नहीं टपका है। घर का पूरा निर्माण भी टैंकर के पानी से कराया था। विभागीय अधिकारियों को कह-कहकर थक चुके हैं, लेकिन उन कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
संगीता थापा
पानी और लाइट के साथ ही यहां सड़क के हाल भी खराब हैं। सड़क में इतने बड़े-बड़े गड्ढे हैं कि आए दिन कोई न कोई उनमें गिर जाता है। केवल दो पहिया वाहन ही नहीं बड़ी गाड़ियां भी गड्ढों में आए दिन फंस जाती हैं।
हेमा पपनै
कुछ दिन पहले ही बच्चों के स्कूल की बस गड्ढे में फंस गई थी। हल्की सी बारिश में सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। आए दिन बच्चें व दोपहिया वाहन यहां हादसे का शिकार हो जाते हैं। पानी के साथ ही जल्द ही सड़क का कार्य भी करवाना चाहिए।
अंजना थापा
हम टैक्स भरते हैं, लेकिन हमें क्या मिलता है? न सुरक्षा, न सुविधा। हमारे साथ सरासर अन्याय हो रहा है। रात होते ही क्षेत्र में तेंदुए घूमने लगते है। हम लोगों में भय बना रहता है। तेंदुआ कभी भी किसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
उमा भैसोड़ा
अब आम जनता कहां जाए? अपनी परेशानी किससे कहें? हमारी कोई नहीं सुनता है। क्षेत्र में ना पानी है, ना सड़क है, ना लाइट है और ऊपर से तेंदुए का डर। हमारी जिंदगी तो नरक बन गई है। अधिकारी हमारा दर्द सुनकर भी अनसुना कर देते हैं।
ममता साही
यह इलाका जंगल से सटा है, इसलिए तेंदुए का आना तो लगा ही रहता है। लेकिन प्रशासन को लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ इंतजाम तो करना चाहिए। रात को क्या हमें दिन में भी घरों से बाहर निकलने में डर लगता है।
शिवानी वर्मा
क्षेत्र में पानी की बहुत ज्यादा समस्या है। आए दिन लोगों में मनमुटाव होता रहता है। हर हफ्ते पानी का टैंकर भरवाना पड़ता है। हम बड़े से छोटे सभी अधिकारियों से पानी की समस्या को लेकर वार्ता कर चुके है। आजतक कुछ नहीं हुआ।
प्रेम सिंह बोहरा
हमने क्षेत्र में पानी की किल्लत के बारे में कई बार अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब तो लगता है कि हमारी कोई सुनने वाला ही नहीं है। हमें जीवनभर टैंकरों के सहारे ही जीवन यापन करना होगा।
त्रिलोक सिंह
इतना टैक्स भरने की बाद भी हमें बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। पानी, सड़क और बिजली हर गांव का हक है और वही हमें नहीं दिया जा रहा है। तेंदुए से सुरक्षा भी सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार को सारी सुविधाएं देनी चाहिए।
केदार सिंह
हमारी जिंदगी नरक बन गई है। न ढंग की सड़क है, न पीने का पानी और ऊपर से तेंदुए का डर। क्या हम इंसान नहीं हैं? सरकार को हमारी कोई सुध नहीं है। सड़क में गड्ढे होने के कारण आए दिन लोग गिरते रहते हैं।
बीएस मेहरा
सरकार विकास की बात करती है, लेकिन हमारे गांव में तो बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। सड़क इतनी खराब है कि बीमार को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल है। कॉलोनी में स्ट्रीट लाइट भी नहीं है और पानी की तो क्या ही बात करें।
केदार सिंह ब्रिजवाल
पानी के लिए हमें सबसे ज्यादा परेशानी होती है। नलों में महीनों से पानी नहीं आया है पर बिल हर माह भरते हैं। ये समस्या गर्मी शुरू होते ही और बढ़ जाती है। ऊपर से क्षेत्र में वन्यजीवों का खतरा... हमारी ज़िंदगी तो नरक बन गई है।
गोपाल मेहता
सड़कें इतनी खराब हैं कि गाड़ियां भी ठीक से नहीं चल पातीं। मरीजों को अस्पताल ले जाना भी मुश्किल हो जाता है। रात में स्ट्रीट लाइट न होने से अंधेरे का फायदा उठाकर चोर-उच्चके भी घूमते रहते हैं, जिससे चोरी होने का डर रहता है।
गिरीश चंद्र
डर के मारे शाम होते ही घर में दुबक जाते हैं। बच्चों को खेलने बाहर नहीं भेजते। यह कैसा जीवन हो गया है? कम से कम बिजली और सड़क तो ठीक होनी चाहिए। विभागीय अधिकारी इतना जितना बिल लेते है उतनी सुविधाएं भी दें।
गणेश दत्त
कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। चुनाव के टाइम पर सब वादे करते हैं, बाद में कोई झांकने भी नहीं आता। क्षेत्रीय विधायक आते हैं समस्या सुनते है और फिर चले जाते हैं। समस्याओं का समाधान आजतक नहीं किया गया।
हीरा सिंह दानू
यहां तो बहुत बुरा हाल है। हमारे क्षेत्र में न तो पीने को पर्याप्त पानी है, न चलने के लिए सड़क और रात में अंधेरा रहता है। ऊपर से तेंदुए का डर हमेशा लगा रहता है। सरकार को हमारी बिल्कुल भी परवाह नहीं है।
मान सिंह
बोले जिम्मेदार
गांव में पेयजल व्यवस्था सुधारने के लिए कई बार विभाग के अधिकारियों से कहा जा चुका है। सड़क के लिए क्षेत्र के विधायक बंशीधर भगत के पास चार माह पहले ही प्रस्ताव बनाकर दिया जा चुका है। गांव में कुछ मूलभूत समस्याएं हैं उनका समाधान करने के लिए प्रयास जारी हैं।
मीना निगलटिया, प्रशासक, पीपलपोखरा ग्रामसभा।
पेयजल योजना के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। डोर-टू-डोर कनेक्शन देने के लिए कहा गया है। तलियास्रोत के संचालन के लिए बने टैंक की सफाई के भी निर्देश दिए हैं। गांव की अंदरूनी सड़क निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं। शासन की स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
विधायक बंशीधर भगत।
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