जाति जनगणना पर कर्नाटक सरकार जल्दबाजी में नहीं : शिवकुमार
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि ओबीसी के लिए 51 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश के संबंध में जल्दबाजी में निर्णय नहीं लिया जाएगा। कैबिनेट की विशेष बैठक में 17 अप्रैल को इस रिपोर्ट पर चर्चा...

- ओबीसी के लिए 51 प्रतिशत आरक्षण की हुई है सिफारिश
बेंगलुरु, एजेंसी।
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट (जाति जनगणना) के सिलसिले में जल्दबाजी में फैसला नहीं लेगी। रिपोर्ट शुक्रवार को मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई। इसमें ओबीसी के लिए 51 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश का दावा किया गया है।
शिवकुमार ने कहा कि मंत्रिमंडल इस सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन करेगा और तथ्यों के आधार पर सभी के साथ न्याय किया जाएगा। उन्होंने रिपोर्ट के खिलाफ दिए जा रहे बयानों को राजनीतिक बताया। कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की इस रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को कैबिनेट की विशेष बैठक में चर्चा की जाएगी। तत्कालीन अध्यक्ष के जयप्रकाश हेगड़े के नेतृत्व वाले आयोग ने पिछले साल 29 फरवरी को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को रिपोर्ट सौंपी थी। समाज के कुछ वर्गों ने इस पर आपत्ति जताई थी और सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर भी इसके खिलाफ आवाज उठ रही थी। शिवकुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने इसके बारे में बात की है। मैंने अभी तक रिपोर्ट नहीं देखी है। इस पर मंत्रिमंडल की बैठक में चर्चा होनी है। मुख्यमंत्री ने भी स्पष्ट कहा है कि इस पर विधानसभा में भी चर्चा की जाएगी। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बेंगलुरु में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या है। कहा कि मुझे रिपोर्ट मिलती है, तो मैं कुछ कह सकता हूं।
अभी ओबीसी का कोटा 32 फीसदी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में 2015 में किए गए सर्वेक्षण में शामिल कुल 5.98 करोड़ नागरिकों में से लगभग 70 फीसदी यानी 4.16 करोड़ विभिन्न ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं। इसी लिहाज से आयोग ने ओबीसी कोटा को मौजूदा 32 से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। राज्य में अनुसूचित जाति को मौजूदा समय में 17 फीसदी, जबकि जनजाति को सात प्रतिशत आरक्षण हासिल है। ऐसे में ओबीसी समुदाय को 51 प्रतिशत आरक्षण मिला तो राज्य में कुल आरक्षण 75 फीसदी हो जाएगा।
एसी-एसटी सबसे बड़ा सामाजिक समूह
रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि कर्नाटक में एसी-एसटी समुदाय मिलकर सबसे बड़ा सामाजिक समूह हैं। इनकी कुल जनसंख्या लगभग 1.52 करोड़ है। सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट से ओबीसी समुदाय का जातिवार ब्योरा अभी पता नहीं चल सका है, जबकि इसमें ओबीसी की श्रेणी-2बी के तहत आने वाले मुसलमानों की आबादी लगभग 75.25 लाख और सामान्य वर्ग की जनसंख्या करीब 29.74 लाख बताई गई है। कर्नाटक के दो प्रमुख समुदाय-वोक्कालिगा और लिंगायत-इस सर्वेक्षण को अवैज्ञानिक बताते हुए इसे खारिज करने और नया सर्वेक्षण कराने की मांग कर रहे हैं।
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