सिंधु जल समझौता रोककर पाकिस्तान की हलक सुखाएगा भारत
इंट्रो नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद

इंट्रो नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद एक तरफ जहां पूरा देश गम और गुस्से में है, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सख्त फैसलों से पाकिस्तान पर शिकंजा कस दिया है। इनमें सिंधु जल समझौते पर रोक एक तरह से पाकिस्तान की हलक सुखाने वाला निर्णय है। आइए जानते हैं सिंधु जल समझौता क्या है और इस फैसले का पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा...
क्या है सिंधु जल संधि
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे। यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। इस पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने साइन किया था। संधि में रेखांकित किया गया कि भारत और पाकिस्तान दोनों सिंधु नदी के पानी का उपयोग करेंगे।
सिंधु नदी प्रणाली में कुल छह प्रमुख नदियां हैं
सिंधु
झेलम
चेनाब
रावी
ब्यास
सतलुज
जल का बंटवारा
सिंधु, झेलम और चेनाब का जल अधिकार पाकिस्तान को मिला
रावी, ब्यास और सतलुज का जल अधिकार भारत को मिला
पाकिस्तान को मिलता है 80 प्रतिशत पानी
भारत और पाकिस्तान के बीच नौ साल तक चली लंबी बातचीत के बाद 1960 में यह जल समझौता हुआ था। इसके तहत पाकिस्तान को सिंधु जल प्रणाली से 80 प्रतिशत पानी मिलता है, जबकि भारत 20 प्रतिशत पानी ही उपयोग करता है। पाकिस्तान की 80 फीसद खेती योग्य भूमि (16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है। इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बिना खेती असंभव है। इससे 237 मिलियन से अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है। जाहिर है, भारत सरकार के फैसले से भीषण गर्मी के इन महीनों में पूरा पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरस सकता है।
जल संधि रोकने का क्या असर होगा
भारत ने पहली बार सिंधु जल समझौते पर रोक लगाई है। इस समझौते पर रोक लगाने से पाकिस्तान में गंभीर जल संकट उत्पन्न होगा। इसका सीधा असर कृषि पर पड़ेगा। पाकिस्तान में सिंधु नदी से जुड़ी कई हाइड्रोपावर परियोजनाएं हैं। ऐसे में पानी की कमी से बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा और ऊर्जा संकट गहराएगा। पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में लाखों लोग इसी नदी से पीने के पानी के लिए निर्भर हैं।
लगातार तनाव के बाद भी भारत ने जल समझौते को नहीं तोड़ा
पाकिस्तान से निरंतर तनाव और युद्ध के बावजूद भारत ने सिंधु जल समझौते को नहीं तोड़ा। लगातार आतंकी साजिशों के बाद भी भारत ने इस समझौते को बनाए रखा है। अब भारत के ताजा फैसले से पाकिस्तान में पानी के लिए हाहाकार मच सकता है। बता दें, आजादी के बाद विवादों के कारण समझौते के लागू होने से पहले 1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया था, जिससे पाकिस्तान स्थित पंजाब की 17 लाख एकड़ जमीन सिंचाई को तरस गई थी।
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