सामान्य से ज्यादा होगी मानसूनी बारिश : मौसम विभाग
- 105 फीसदी बारिश होने का अनुमान - बिहार, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर में

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। इस बार मानसून के चार महीने जून से सितंबर तक अच्छी बारिश की संभावना है। हालांकि, बिहार, तमिलनाडु और पूर्वोत्तर के इलाकों में बारिश सामान्य से कम हो सकती है। मौसम विभाग ने मंगलवार को मानसूनी बारिश को लेकर पूर्वानुमान जारी करते हुए यह बात कही।
मालूम हो कि पिछले लगातार छह वर्षों से देश में मानसूनी बारिश सामान्य या इससे अधिक दर्ज की गई है। अच्छी बारिश का यह लगातार सातवां साल होगा। पृथ्वी विज्ञान विभाग के सचिव एम. रविचंद्रन, मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र, अतिरिक्त महानिदेशक आरके जेनामणि ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मानसून के चार महीनों में इस बार सामान्य के 105 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। 1971 से 2000 तक के आंकड़ों के आधार पर इन चार महीनों में 870 मिमी सामान्य बारिश होती है। इस प्रकार यदि मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही निकलता है तो इस बार 913.5 मिमी बारिश होगी। विभाग ने कहा कि इसमें माडलीय त्रुटि पांच फीसदी की हो सकती है। यानी बारिश अनुमान से पांच फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है।
मानसून के दौरान अल नीनो के आसार नहीं
डॉ. महापात्र ने कहा कि इस बार मानसून को प्रभावित करने वाले सभी मानक सामान्य हैं। जैसे कि मानसून के दौरान अल नीनो (जलवायु घटना) के आसार नहीं हैं। दूसरा, उत्तरी गोलार्द्ध और यूरेशिया में बर्फ की चादर सामान्य से कम है। जब भी ऐसा होता है तो मानसूनी बारिश अच्छी होती है। जब बर्फ ज्यादा होती है तो बारिश कम होती है। इसके अलावा प्रशांत महासागर में विषुवत रेखा के इर्द-गिर्द समुद्र के तापमान से जुड़ी स्थितियां भी सामान्य बनी हुई हैं। भारतीय समुद्र से भी सकारात्मक आंकड़े आ रहे हैं। कहा कि पूर्वोत्तर में सामान्य बारिश का रिकॉर्ड काफी ज्यादा है, इसलिए कम के बावजूद वहां पर्याप्त बारिश होगी।
मई अंत में अपडेट : डॉ. महापात्रा ने कहा कि मानसून कब दस्तक देगा और उसकी प्रगति देश के दूसरे हिस्सों में कैसी रहेगी, इसे लेकर मई के अंत में एक और पूर्वानुमान जारी किया जाएगा।
मानसून शिफ्ट होने के कारण स्पष्ट नहीं
एक प्रश्न के उत्तर में रविचंद्रन ने कहा कि पिछले एक दशक से यह देखा गया है कि पूर्वोत्तर में बारिश घट रही है और राजस्थान के इलाकों में बढ़ रही है। इसका कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन जलवायु प्रभावों को लेकर अध्ययन किए जा रहे हैं।
पूर्वनानुमान अब ज्यादा सटीक
मौसम विभाग ने दावा किया कि मानसून को लेकर जारी किए गए पूर्वानुमानों में पिछले चार वर्षों में महज 2.27 फीसदी की त्रुटि रही, जबकि उससे पहले के चार वर्षों में यह 7.5 फीसदी तक थी। यानी पूर्वनानुमान पहले की तुलना में ज्यादा सटीक हो रहे हैं।
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