मेडिकल पीजी छात्रों को शोध संस्थानों में मिलेगी तीन माह की तैनाती
भारतीय चिकित्सा आयोग ने मेडिकल स्नातकोत्तर छात्रों को तीन महीने के लिए अनुसंधान संस्थानों में तैनाती का अवसर देने का निर्णय लिया है। इससे छात्रों को अनुसंधान गतिविधियों को समझने और अपने कार्य में...

- भारतीय चिकित्सा आयोग की पहल, देश में चिकित्सा क्षेत्र में नए शोध को बढ़ावा देना मकसद - इससे छात्रों को देश में चल रही अनुसंधान गतिविधियों को समझने का मौका भी मिलेगा
73 हजार से ज्यादा हैं देश में मेडिकल पीजी सीटों की संख्या
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। मेडिकल में स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई कर रहे छात्रों को कोर्स के दौरान तीन महीने के लिए देश के चुनिंदा शोध संस्थानों में भी तैनाती का मौका मिलेगा। भारतीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने अपने नए नियमों में यह प्रावधान जोड़ा है। इससे मेडिकल छात्रों का शोध के प्रति रुझान बढ़ेगा। दरअसल, देश में चिकित्सा क्षेत्र में नए शोध कम होना चिंता का विषय बना हुआ है।
एनएमसी ने 2023 में पीजी मेडिकल छात्रों के लिए डिस्ट्रिक रेजिडेंसी कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके तहत कोर्स के दौरान पीजी छात्रों को तीन महीने जिलास्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं में तैनाती दी जाती थी, लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल के दौरान इसके तहत एनएमसी को जो फीडबैक प्राप्त हुआ है, उसके अनुसार सभी पीजी छात्रों को जिलास्तरीय स्वास्थ्य तंत्र में तैनात कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह कई राज्यों में पीजी के छात्रों की संख्या अधिक होना है। इसके बाद एनएमसी ने इस कार्यक्रम का दायरा बढ़ाते हुए नई कदमों का ऐलान किया है।
राज्यों को जारी नए निर्देशों में कहा गया है कि पीजी छात्रों को जिला स्वास्थ्य संस्थानों के अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की प्रयोगशालाओं में भी तैनात किया जाए। देश के करीब-करीब हर बड़े राज्य में आईसीएमआर की प्रयोगशालाएं हैं। आईसीएमआर के अलावा, राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों जैसे सीएसआईआर, डीआरडीओ की भी कई प्रयोगशालाएं हैं, जो स्वास्थ्य विज्ञान पर काम करती हैं। इनमें भी मेडिकल पीजी छात्रों को तीन महीने के लिए भेजा जा सकता है। इससे छात्रों को देश में चल रही अनुसंधान की गतिविधियों को समझने का अवसर मिलेगा। साथ ही आगे जाकर वह अनुसंधान को अपने कामकाज में शामिल कर सकेंगे।
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दूसरे राज्यों में तैनाती का भी विकल्प
मालूम हो कि देश में कुल मेडिकल पीजी की सीटें 73 हजार से ज्यादा हैं। दक्षिणी राज्यों में अपेक्षाकृत सीटें ज्यादा हैं। इन राज्यों के लिए सभी छात्रों को जिलास्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं में समायोजित कर पाना संभव नहीं हो पा रहा है। एनएमसी ने यह भी अनुमति प्रदान कर दी है कि यदि किसी राज्य में पीजी छात्र ज्यादा हैं तो वह उन्हें जिला स्तर पर तैनाती के लिए दूसरे राज्यों में भी भेज सकते हैं। बता दें कि पीजी पाठ्यक्रम के दौरान तीन महीने की जिलास्तर पर तैनाती अनिवार्य है। विकल्प के तौर पर अब छात्र तीन महीने के लिए आईसीएमआर या अन्य शोध संस्थानों में भी तैनात किए जा सकेंगे।
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