Panjab Villages Living in Fear Amidst India-Pakistan Tensions दिन में सायरन, रात में ब्लैकआउट- अमृतसर बॉर्डर के गांव खौफ और उम्मीद साथ चल रहे हैं, Delhi Hindi News - Hindustan
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दिन में सायरन, रात में ब्लैकआउट- अमृतसर बॉर्डर के गांव खौफ और उम्मीद साथ चल रहे हैं

अमनदीप सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के गांवों में दिन अब सायरनों की

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 9 May 2025 12:35 PM
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दिन में सायरन, रात में ब्लैकआउट- अमृतसर बॉर्डर के गांव खौफ और उम्मीद साथ चल रहे हैं

अमनदीप सिंह भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे पंजाब के गांवों में दिन अब सायरनों की आवाज से शुरू होता है और रातें ब्लैकआउट के अंधेरे में सिमट जाती हैं। अमृतसर के कई सीमावर्ती गांव जैसे अटरी, भिखी पिंड और तरन तारन में लोग अनिश्चितता और डर के बीच जी रहे हैं। खेतों में काम बंद हो गया है और स्कूलों में सन्नाटा पसरा है। लोगों के दिलों में एक ही सवाल है- क्या वाकई जंग छिड़ेगी? 70 वर्षीय गुरविंदर सिंह जो अटारी के पास रहते हैं, बताते है कि चिंता खाए जा रही है। पहले लगा था कुछ दिन की बात है।

लेकिन अब तो हर रात डर के साए में बीत रही है। ब्लैकआउट के दौरान छोटे बच्चे लाइट जलाने की जिद करते हैं लेकिन वह नहीं समझते। खिड़कियों को काले कपड़े से ढक दिया है। गुरविंदर बताते हैं कि रातभर अपने पोते को अपने साथ लेकर सोते हैं। गुरविंदर सिंह ने कहा कि भारत की हर कार्रवाई की खबर राहत लेकर आती है। हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है इसलिए कुछ टाइम की नींद चैन की भी ले लेते हैं। यह सब जल्द बंद हो जाए इसकी अरदास करते हैं। मनजीत कौर ने बताया कि चैनलों पर खबर सुनते हैं तो डर और बढ़ जाता है। घर में सब्जी राशन पहले दिन ही मंगा लिया था। मनजीत ने बताया कि अब हालात ये हो गए हैं दिन में सायरन की आवाज और रात में हल्की सी भी कोई आवाज कानों में पड़ती है तो दिल कांप जाता है। 55 वर्षीय जसबीर सिंह का गांव (भिखी पिंड) सीमा से सिर्फ 10 किलोमीटर दूर है। वे बताते हैं कि प्रशासन की ओर से लगातार समय समय पर जानकारी दी जा रही है। लेकिन इसे मानना आसान नहीं। पूरे गांव को खाली करने के लिए बोल दिया है। कई परिवार सुरक्षित ठिकानों पर निकल गए हैं। हम भी अपने जानवरों को लेकर अपने रिश्तेदारों के यहां जरूरी सामान के साथ निकल रहे हैं। 38 साल के जश्नदीप सिंह ने बताया कि अमृतसर के बॉर्डर गांवों में पूरी तरह शांति है। आसपास के इलाकों में लेकिन जो चल रहा है, वो तनावपूर्ण है। हर घर में रात को अरदास होती है कि कोई नुकसान न हो। लेकिन सच्चाई ये है कि जब तक हालात स्पष्ट नहीं होते, हर दिन एक नया मोर्चा है- जीने का, टिके रहने का और हिम्मत बनाए रखने का।

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