Supreme Court Delays Hearing on Shri Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Dispute Case मथुरा: केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई टली, Delhi Hindi News - Hindustan
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मथुरा: केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष को केंद्र सरकार और एएसआई को पक्षकार बनाने की अनुमति देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 28 April 2025 08:50 PM
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मथुरा: केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई टली

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष को मामले में केंद्र सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को पक्षकार बनाने की अनुमति देने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई टाल दी। शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन समिति ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 5 मार्च 2025 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत हिंदू पक्षकारों को अपने दो वाद में संशोधन करने और मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय और एएसआई को प्रतिवादी बनाने की अनुमति दी थी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मामले की संक्षिप्त सुनवाई के दौरान कहा कि पहली नजर में उच्च न्यायालय द्वारा हिंदू पक्षकारों को वादों में संशोधन की अनुमति देने में कुछ भी गलत नहीं है और संशोधित वाद पर जवाब दाखिल किया जा सकता है। पीठ ने इसके साथ ही, शाही ईदगाह मस्जिद की प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई स्थगित करने के साथ ही, मामले को इससे संबंधित अन्य लंबित मामलों के साथ संलग्न कर दिया। मस्जिद समिति ने अपनी अपील में कहा है कि उच्च न्यायालय द्वारा वाद में संशोधन की अनुमति दिए जाने से उन हिंदू वादियों द्वारा दायर मूल वाद के स्वरूप को मौलिक रूप से बदल दिया है, जिन्होंने शाही मस्जिद ईदगाह के स्थल पर अधिकार का दावा करते हुए इसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान बताया है। समिति ने कहा है कि एक ही संपत्ति के संबंध में विभिन्न वादियों की ओर से 15 से अधिक मुकदमे लंबित हैं, जिनमें अलग-अलग दावे किये गए हैं। समिति की याचिका में कहा गया है कि संशोधन की अनुमति देने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश ने पहले से ही रिकॉर्ड में मौजूद उसके बचाव को कमजोर कर दिया और प्रभावी रूप से वादियों को एक नया मामला स्थापित करने की अनुमति दे दी। याचिका में कहा गया है कि संशोधन की अनुमति देते हुए उच्च न्यायालय ने एएसआई और गृह मंत्रालय को भी दीवानी प्रक्रिया संहिता के तहत किसी औपचारिक अर्जी के बिना पक्षकार बनाने की अनुमति दी।

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