आपरेशन सिंदूर, बालाकोट स्ट्राइक में शामिल महिला अधिकारी को सेवामुक्त न करें
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय वायु सेना को आदेश दिया है कि महिला सैन्य अधिकारी विंग कमांडर निकिता पांडेय को फिलहाल सेवा से मुक्त न किया जाए। पांडेय ने स्थायी कमीशन देने से इनकार के खिलाफ...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार और भारतीय वायु सेना को ‘ऑपरेशन बालाकोट और ‘ऑपरेशन सिंदूर में शामिल महिला सैन्य अधिकारी को फिलहाल सेवा से मुक्त नहीं करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने वायु सेना की महिला अधिकारी विंग कमांडर निकिता पांडेय की याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया। पांडेय ने स्थायी कमीशन देने से इनकार किए जाने के वायु सेना के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने महिला सैन्य अधिकारी की याचिका पर केंद्र सरकार और वायुसेना को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद, पीठ ने आदेश दिया है कि फिलहाल याचिकाकर्ता को सेवा से मुक्त नहीं किया जाए। जस्टिस सूर्यकांत ने भारतीय वायुसेना को पेशेवर बल बताते हुए कहा कि सेवा पर अनिश्चितता ऐसे अधिकारियों के लिए अच्छी नहीं है। हमारी वायुसेना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संगठनों में से एक है। अनिश्चितता की भावना अच्छी नहीं शीर्ष अदालत ने कहा कि शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) अधिकारियों के लिए कठिन जीवन उनकी भर्ती के बाद शुरू होता है, जिसमें उन्हें स्थायी कमीशन देने के लिए 10 या 15 साल बाद कुछ प्रोत्साहन देने की बात कही गई थी। कहा कि अनिश्चितता की यह भावना सशस्त्र बलों के लिए अच्छी नहीं हो सकती है। यह एक आम आदमी का सुझाव है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं। पीठ ने कहा कि न्यूनतम मानदंडों पर कोई समझौता नहीं हो सकता। नीति से प्रभावित है अधिकारी इससे पहले महिला सैन्य अधिकारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने पीठ से कहा कि उनकी मुवक्किल एक विशेषज्ञ लड़ाकू नियंत्रक थीं। उन्होंने एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली में एक विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया था। उन्हें ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट में तैनात किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता गुरुस्वामी ने पीठ से कहा कि याचिकाकर्ता ने 13.5 वर्षों से अधिक सेवा की थी, लेकिन 2019 की नीति से प्रभावित थीं, जिसने उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया और उन्हें एक महीने बाद अपनी सेवा समाप्त करने के लिए मजबूर किया।
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