फुटपाथ पर चलने का अधिकार लोगों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट
प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फुटपाथ पर चलने के अधिकार को

प्रभात कुमार नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फुटपाथ पर चलने के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हिस्सा बताया है। शीर्ष अदालत ने देशभर में सड़कों पर फुटपाथ के अभाव और अतिक्रमण पर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश के सरकारों को आड़े हाथ लेते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने इसे देश की राजधानी सहित सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पैदल यात्रियों के चलने के लिए फुटपाथ नहीं होने या अतिक्रमण हो जाने पर कड़ी नराजगी जाहिर की और कहा कि यह लोगों का संवैधानिक अधिकार है।
शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैदल चलने वालों लोगों के लिए सड़कों के किनारे फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश बनाने का निर्देश दिया है। पीठ ने केंद्र सरकार को भी पैदल चलने वालों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने दिशा-निर्देश दो माह के भीतर अदालत के रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया है। जस्टिस अभय एस ओका ने फुटपाथ को लोगों का संवैधानिक अधिकार बताते हुए कहा कि इसके अभाव में लोगों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पीठ ने कहा कि मजबूरी में सड़कों पर चलने की वजह से लोग जोखिम और दुर्घटनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। शीर्ष अदालत ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ‘लोगों के लिए उचित फुटपाथ होना बहुत ही आवश्यक है और वे ऐसे होने चाहिए जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों। जस्टिस ओका ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने का आदेश देते हुए कहा कि ‘संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पैदल चलने वालों के फुटपाथ का उपयोग करने के अधिकार की गारंटी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ‘बिना किसी बाधा के फुटपाथ का अधिकार निश्चित रूप से एक आवश्यक विशेषता है। शीर्ष अदालत ने पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ‘फुटपाथों का निर्माण और रखरखाव इस तरह से किया जाना चाहिए कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी पहुंच आसानी से सुलभ और सुनिश्चित हो। इसके साथ ही, पीठ ने केंद्र सरकार को राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए छह माह का वक्त दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि बोर्ड के गठन के लिए इससे अधिक समय नहीं दिया जाएगा। शीर्ष अदालत ने यह आदेश उस याचिका पर दिया है, जिसमें पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई। याचिका में कहा गया है कि देशभर में उचित फुटपाथों की कमी और अतिक्रमण हो जाने के चलते लोगों को सड़कों पर चलना पड़ता है, इसकी वजह से लोग दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि देश की राजधानी सहित पूरे देशभर में फुटपाथों पर अतिक्रमण हो रखा है और समक्ष प्राधिकार समुचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
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