अपडेट ::: पहलगाम पैकेज (परिजनों की नजर से खौफनाक मंजर महाराष्ट्र से)
पहल गाम में आतंकवादी हमले में पुणे के व्यवसायी संतोष जगदाले और उनके परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी गई। हमलावरों ने हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया। असावरी जगदाले ने अपने पिता की हत्या का खौफनाक...

(अपडेट : अतुल मोने के सहकर्मियों की प्रतिक्रिया व डोंबिवली के संजय से संबंधित इनपुट जोड़ते हुए) --------------------------------------------------
आतंकियों के निशाने पर थे केवल हिंदू पुरुष
आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले पुणे के व्यवसायी संतोष जगदाले की बेटी असावरी जगदाले की आंखों के सामने आज भी वह खौफनाक मंजर सिहरन पैदा कर देता है। असावरी अपने पिता व अंकल कौस्तुभ गनबोटे सहित कुल पांच लोगों के समूह में ‘मिनी स्विट्जरलैंड कहे जाने वाली बेताब घाटी पहुंची थीं। वह बताती हैं कि वहां सैकड़ों की संख्या में पर्यटक मौजूद थे। तभी वहां गोलियों की आवाज सुनाई दी। उनका दावा है कि कुछ लोग स्थानीय पुलिस जैसी वेशभूषा में एक पहाड़ी से नीचे की ओर आ रहे थे।
असावरी के अनुसार वहां सैकड़ों की तादात में पर्यटक थे लेकिन आतंकियों ने लोगों का धर्म पूछकर केवल हिंदु पुरुषों को ही निशाना बनाया। उन्होंने बताया कि परिवार के साथ जान बचाने के लिए वे लोग पास के ही एक टेंट में छिप गए लेकिन आतंकियों ने वहां पहुंचकर उनके पिता से कहा, ‘चौधरी तू बाहर आजा ....और उन पर प्रधानमंत्री का समर्थक होने का आरोप लगाया।
असावरी ने बताया कि उसके बाद आतंकियों ने उनके पिता से इस्लामिक आयत (संभवतया कलमा) पढ़ने के लिए कहा लेकिन जब वह ऐसा नहीं कर पाए तो उनके पिता को सिर, कान के पीछे व पीठ पर तीन गोलियां मार दी गईं। उसके बाद उन्होंने असावरी के साथ खड़े उनके अंकल कौस्तुभ गनबोटे पर भी चार से पांच गोलियां बरसाईं। वह कहती हैं कि वहां 20 मिनट तक उनकी मदद के लिए कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था उसके बाद घोड़े वालों ने उन्हें, उनकी मां व एक अन्य महिला रिश्तेदार को वापस लाने में मदद की।
हमनाम होने से दोस्त व रिश्तेदारों की सांसें अटकीं
सांगली के रहने वाले संतोष जगदाले भी हमले से एक घंटा पहले उसी जगह पर मौजूद थे जहां यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। पेशे से जूस विक्रेता 49 वर्षीय संतोष बताते हैं कि उनके हमनाम पुणे के संतोष जगदाले की आतंकियों द्वारा हत्या की खबर मीडिया में आने के बाद उनके दोस्त व रिश्तेदार सकते में आ गए। उसके बाद से रात से लेकर सुबह तक उनका फोन बजता रहा और उनके गांव से दोस्त व रिश्तेदार उनका हाल जानने के लिए बेचैन रहे।
जगदाले ने बताया कि वह हमला होने से एक घंटा पहले ही वहां से वापस निकले थे और होटल पहुंचने के बाद टीवी पर खबर देखकर उन्हें इस खौफनाक घटना का पता चला। उन्होंने बताया कि वह अब पहली उपलब्ध उड़ान से वापस लौटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें टिकट ही नहीं मिल पा रहे हैं।
भाजपा विधायक को भी फोन कर ले रहे जगदाले की खैरियत
सांगली के भाजपा विधायक सुधीर गाडगिल ने बताया कि घटना के बाद से ही उनके पास भी लोग लगातार संतोष जगदाले की खैरियत पूछने के लिए फोन कर रहे हैं। उन्होंने कहा हमनाम होने की वजह से लोग परेशान हैं और उन्हें यही बताया जा रहा है कि जिन संतोष जगदाले की मृत्यु की दुखद खबर सामने आई है सांगली वाले नहीं, पुणे के रहने वाले हैं।
पूछा क्या तुम हिंदू हो और मार दिया
ठाणे के अतुल मोने भी उस दुर्भाग्यपूर्ण हमले के शिकार हो गए। मोने अपनी पत्नी व दो अन्य लोगों के परिवार के साथ पहलगाम में थे जिस समय आतंकी हमला हुआ। उनके रिश्तेदार राहुल अकुल के चेहरे पर घटना का जिक्र करते हुए खौफ के निशां देखे जा सकते हैं। राहुल ने बताया कि घटना के बाद उन्होंने अतुल की पत्नी से बात की तो पत्नी ने कहा कि उनके सामने ही आतंकियों ने पति को मार डाला।
राहुल के अनुसार आतंकियों ने अतुल से पूछा कि क्या तुम हिंदू हो और धर्म का पता चलते ही राहुल सहित तीन पुरुषों पर फायरिंग कर उनकी जान ले ली।
अतुल की भाभी राजश्री अकुल ने बताया कि अतुल को पेट में गोली मारी गई। उन्होंने कहा कि अब तो आंसू भी सूख गए हैं। राजश्री ने सरकार से बिना किसी देरी के आतंकियों को सजा देने की मांग की है।
मोने के कार्यस्थल पर पसरा सन्नाटा
अतुल मोने परेल की रेलवे वर्कशॉप में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। उनकी मौत की खबर से उनके सहकर्मी स्तब्ध हैं और रेलवे वर्कशॉप में दिनभर सन्नाटा पसरा रहा। उनके सहकर्मियों ने मोने की तस्वीर रखकर उस पर पुष्पांजलि अर्पित की। लोगों का कहना था कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मोने भी मृतकों में शामिल होंगे। वह सप्ताहांत पर ही एक सप्ताह के लिए कश्मीर के दौरे पर गए थे। उनके सहकर्मी राजेश नदार ने बताया कि घटना के पता चलने के बाद रात 8 बजे उन्होंने मोने को फोन किया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला।
एक अन्य सहकर्मी दीपक कईपथ कहते हैं कि वह और मोने सालों से साथ काम कर रहे थे और रोजाना मिलते और बातचीत करते थे लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने उन्हें छीन लिया। भूषण गायकवाड़ ने कहा कि रेलवे ने एक बेहतरीन इंजीनियर खो दिया है। मध्य रेलवे ने भी एक विज्ञप्ति जारी कर मोने के निधन पर शोक जताया है।
वह धरती पर स्वर्ग देखने गए थे और...
नवीं मुंबई के नया पनवेल के रहने वाले 64 वर्षीय दिलीप देसले अपनी पत्नी के साथ पहलगाम घूमने गए थे। वह 37 सदस्यीय पर्यटक दल का हिस्सा थे। दिलीप भी आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों में शामिल हैं। उनके दोस्त व रिश्तेदार उन्हें याद करते हुए बताते हैं कि एक केमिकल व ल्यूब्रिकेंट कंपनी से सेवानिवृत्ति के बाद देसले धरती पर स्वर्ग देखने के चाह लेकर कश्मीर गए थे लेकिन अब मृत देह के साथ वापस लौटेंगे।
देसले के दोस्त अशोक नेरकर ने बताया कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह कई जगह घूमने गए थे लेकिन कश्मीर घूमना उनका सपना था। एक अन्य दोस्त बलीराम देशमुख ने कहा कि उनका दोस्त जिस मंजर से गुजरा है उसे सोचना भी दर्दनाक है। उन्होंने आक्रोश जताते हुए कहा कि उस समय सुरक्षाबल कहां थे। उन्होंने घटना के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए उसका नामोनिशान दुनिया के नक्शे से मिटाने की मांग की। देसले के एक अन्य मित्र शिरीश गडकरी ने सरकार से आतंकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
परिजनों की सलामती जानने के लिए रहे बेचैन
नागपुर के भी कुछ पर्यटक पहलगाम में थे। ऐसी ही दो पर्यटक के रिश्तेदार टेलीविजन पर हमले की खबर आने के बाद से ही उनके फोन मिला रहे थे। परिजनों का कहना है कि काफी कोशिश के बाद भी उनसे संपर्क नहीं हो सका जिससे परिजन बेहद परेशान रहे। एक परिजन का कहना है कि उनकी अपने रिश्तेदार से आखिरी बार बात 17 अप्रैल को हुई थी उसके बाद से फोन नहीं लगने के कारण मन आशंकित है। वहीं एक अन्य पर्यटक के परिजनों को उनकी सलामती की खबर मिलने के बाद थोड़ी राहत महसूस हुई।
होटल संचालक ने जाने से रोका
महाराष्ट्र के बुलढाणा के रहने वाले नीलेश जैन अपने परिवार के चार सदस्यों के साथ उस समय पहलगाम के एक होटल में थे जब यह हमला हुआ। नीलेश ने बताया कि उन्हें घटना के बारे में नहीं पता था और वह होटल से घूमने के लिए निकलने वाले थे तभी होटल मालिक ने उन्हें इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना की जानकारी दी और होटल से बाहर जाने से रोक लिया। जैन का कहना है कि इस घटना के बाद अब वह अपनी यात्रा को जारी नहीं रखना चाहते और उन्होंने सरकार से उनकी वापसी के इंतजाम करने की मांग की है।
हमेशा मुस्कुरा कर मिलते थे
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले का शिकार हुए डोंबिवली निवासी संजय लेले की मौत की खबर से हर कोई स्तब्ध है। संजय डोंबिवली के उन तीन नागरिकों में से एक हैं जिनकी आतंकी हमले में मौत हो गई। सुभाष रोड पर अखबार वितरण का काम करने वाले उनके बचपन के दोस्त प्रवीण राउल ने बताया कि उन्हें घटना की जानकारी अखबार में खबर पढ़कर हुई। अखबार में जब तस्वीर देखी तो विश्वास ही नहीं हुआ। संजय को नम आंखों से याद करते हुए प्रवीण ने बताया कि वह और संजय साथ खेलते थे, त्योहार मनाते थे और दोनों के आत्मीय संबंध थे। संजय का स्वभाव मिलनसार था और वह हमेशा मुस्कुराकर मिलता था।
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