नियमित प्रमोशन बिना भी 1632 पुलिसकर्मियों की होगी वेतन वृद्धि
बिहार पुलिस के 1632 पुलिसकर्मियों को वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। इसमें 250 इंस्पेक्टर, 1310 दारोगा और 72 लिपिक शामिल हैं। एसीपी और एमएसीपी योजनाओं के तहत, प्रमोशन के बिना भी वेतन वृद्धि की मंजूरी दी गई...

राज्य के इंस्पेक्टर से लेकर लिपिक श्रेणी में कुल 1632 पुलिसकर्मियों की वेतनवृद्धि की बाधाएं दूर हो गई हैं। इनको एसीपी (सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना) और एमएसीपी (रूपांतरित सुनिश्चित वृति उन्नयन योजना) के तहत प्रमोशन के बिना भी वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। बिहार पुलिस मुख्यालय के महानिदेशक पर्षद ने करीब 250 इंस्पेक्टर, 1310 दारोगा और 72 लिपिक को एसीपी-एमएसीपी की मंजूरी दे दी है। हालांकि 74 इंस्पेक्टर, 350 दारोगा और 100 से अधिक लिपिकों को अब भी इसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, एसीपी के तहत कर्मियों को नियमित पदोन्नति नहीं होने पर भी निश्चित समय सीमा के बाद वित्तीय उन्नयन यानी वेतनवृद्धि का लाभ मिलता है। वहीं, एमएसीपी के तहत वित्तीय उन्नयन प्राप्त करने के लिए कुछ विशिष्ट प्रदर्शन बेंचमार्क तय हैं, जिन्हें कर्मचारी को वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट में प्रदर्शित करना होता है। जिला पुलिस और इकाइयों से वित्तीय उन्नयन को लेकर प्रस्ताव आते हैं, जिस पर राज्यस्तरीय महानिदेशक पर्षद की बैठक में मंजूरी दी जाती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी कर्मचारी को 10 साल तक एक ही वेतन स्तर पर काम करने के बाद पदोन्नति नहीं मिलती है, तो उसे एमएसीपी योजना के तहत वित्तीय उन्नयन मिल सकता है। यह वित्तीय उन्नयन मूल वेतन में वृद्धि के रूप में दिया जाता है, जो प्रमोशन से मिलने वाले वित्तीय लाभ के समान होता है।
सजा और गोपनीय रिपोर्ट के कारण नहीं मिला लाभ
महानिदेशक पर्षद की बैठक में 2150 से अधिक पुलिसकर्मियों के एसीपी-एमएसीपी संबंधित प्रस्ताव आए थे। इनमें से कई पुलिसकर्मियों की वार्षिक गोपनीय और चरित्र अभियुक्ति लंबित होने से इसका लाभ नहीं मिला। वहीं, कुछ पुलिसकर्मी विभागीय कार्यवाही के कारण भी इस लाभ से वंचित रहे।
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