supreme reject the plea of NTBCL against toll free on DND flyway डीएनडी फ्लाईवे से गुजरने वालों को 'सुप्रीम' राहत, एनटीबीसीएल की याचिका खारिज; फैसला बरकरार, Ncr Hindi News - Hindustan
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डीएनडी फ्लाईवे से गुजरने वालों को 'सुप्रीम' राहत, एनटीबीसीएल की याचिका खारिज; फैसला बरकरार

डीएनडी फ्लाईवे से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए राहतभरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीबीसीएल की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 दिसंबर 2024 को दिए गए फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी।

Subodh Kumar Mishra भाषा, नई दिल्लीFri, 9 May 2025 05:40 PM
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डीएनडी फ्लाईवे से गुजरने वालों को 'सुप्रीम' राहत, एनटीबीसीएल की याचिका खारिज; फैसला बरकरार

डीएनडी फ्लाईवे से गुजरने वाले लाखों लोगों के लिए राहतभरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीबीसीएल की याचिका खारिज कर दी है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 20 दिसंबर 2024 को दिए गए फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने उस फैसले की समीक्षा करने से इनकार कर दिया, जिसमें दिल्ली-नोएडा-डायरेक्ट (डीएनडी) फ्लाईवे को टोल फ्री रखने का आदेश दिया गया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने डीएनडी फ्लाईवे का संचालन करने वाली निजी कंपनी नोएडा टोल ब्रिज कंपनी लिमिटेड (एनटीबीसीएल) की याचिका पर 20 दिसंबर, 2024 के फैसले की समीक्षा संबंधी अनुरोध ठुकरा दिया।

कंपनी ने उस सीएजी रिपोर्ट का हवाला दिया जिस पर शीर्ष अदालत ने भरोसा किया था। कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट में कंपनी पर कुछ सकारात्मक टिप्पणियां थीं, जो आदेश में नहीं दिखाई देती हैं। पीठ ने कंपनी के वकील से कहा कि उसने (कंपनी ने) बहुत सारा पैसा कमाया है।

हालांकि, एनटीबीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप पुरी की एक अन्य याचिका का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह सीएजी के निष्कर्षों के आधार पर फैसले में उनके खिलाफ कथित तौर पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणियों को हटाने के लिए रिपोर्ट को फिर से देखेगी। पुरी के वकील ने कहा कि सीएजी ने उनके खिलाफ कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है और इसलिए फैसले में पैराग्राफ को स्पष्ट किया जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 20 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के डीएनडी फ्लाईवे को टोल-फ्री बनाने के फैसले को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण तथा उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि सत्ता के दुरुपयोग और जनता के विश्वास के उल्लंघन ने इसकी अंतरात्मा को गहरी ठेस पहुंचाई है।

शीर्ष अदालत ने तब एनटीबीसीएल की अपील को इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2016 के फैसले के खिलाफ खारिज कर दिया था, जिसमें उसे यात्रियों से टोल वसूलना बंद करने के लिए कहा गया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि एनटीबीसीएल ने परियोजना की लागत और पर्याप्त लाभ वसूल कर लिया है। अब उपयोगकर्ता शुल्क या टोल को लगातार लगाने या वसूलने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

अदालत ने कहा कि एनटीबीसीएल पिछले 11 साल से लाभ कमा रही है। 31 मार्च, 2016 तक इसका कोई संचित घाटा नहीं था। इसने अपने शेयरधारकों को 31 मार्च, 2016 तक 243.07 करोड़ रुपए का लाभांश दिया है तथा अपने सभी ऋणों को ब्याज सहित चुका दिया है।

अदालत ने कहा, ‘‘इस प्रकार, एनटीबीसीएल ने 31 मार्च 2016 तक परियोजना लागत, रखरखाव लागत तथा अपने प्रारंभिक निवेश पर उल्लेखनीय लाभ वसूल कर लिया था। उपयोगकर्ता शुल्क/टोल का संग्रह जारी रखने का कोई तुक या कारण नहीं है।