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हजारों फ्लैट खरीदार रो रहे, बैंक-बिल्डर गिरोह का पता लगाइए; सीबीआई से बोला सुप्रीम कोर्ट

  • कई घर खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि विभिन्न आवास परियोजनाओं में फ्लैटों पर कब्जा नहीं मिलने के बावजूद बैंक उन्हें EMI का भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

Sourabh Jain भाषा, नई दिल्लीTue, 18 March 2025 10:23 PM
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हजारों फ्लैट खरीदार रो रहे, बैंक-बिल्डर गिरोह का पता लगाइए; सीबीआई से बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को एक ऐसा रोडमैप पेश करने का निर्देश दिया, जिसके जरिए घर खरीदारों को ठगने वाले बिल्डर-बैंकों के गिरोह का पता लगाया जा सके। कोर्ट ने कहा कि वह एनसीआर में हजारों घर खरीदारों को ठगने वाले इस गिरोह की जड़ तक पहु्ंचना चाहता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि हजारों घर खरीदार ‘सब्वेंशन योजना’ से प्रभावित हुए हैं, जहां बैंकों ने तय समय के भीतर परियोजनाएं पूरी किए बिना बिल्डरों को आवास ऋण की 60 से 70 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया।

सब्वेंशन योजना के तहत बैंक स्वीकृत राशि को सीधे बिल्डरों के खातों में जारी करते हैं। जब तक घर खरीदारों को फ्लैट सौंप नहीं दिया जाता है, तब तक स्वीकृत ऋण राशि पर EMI का भुगतान बिल्डर करते हैं। वहीं जब बिल्डर EMI का भुगतान नहीं करते हैं, तो त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार बैंक घर खरीदारों से EMI मांगते हैं।

पीठ ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इसमें कोई माफिया शामिल नहीं है। हम सीबीआई की ओर से कोई झिझक नहीं चाहते। हम इसकी गहराई तक जाना चाहते हैं, अंतिम सीमा तक। उन्हें पूरी छूट होगी।’

न्यायालय ने सीबीआई की वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को जांच और संसाधनों, वित्तीय विशेषज्ञों सहित जरूरी जनशक्ति का खाका पेश करने का निर्देश दिया। साथ ही पीठ ने मामले में अधिवक्ता राजीव जैन को न्यायमित्र नियुक्त किया और कहा कि वह खुफिया ब्यूरो के पूर्व अधिकारी हैं और उन्हें इस तरह के आर्थिक अपराधों से निपटने का अनुभव है।

शीर्ष अदालत कई घर खरीदारों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने एनसीआर में विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में सब्सिडी योजनाओं के तहत फ्लैट बुक किए थे। याचिका में आरोप लगाया गया था कि फ्लैटों पर कब्जा नहीं होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन्हें EMI का भुगतान करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।