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पत्नी ने पूर्व पति के खिलाफ दर्ज कराई मानहानि की शिकायत, कोर्ट ने संज्ञान लेने से किया इनकार

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला द्वारा अपने पूर्व पति के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। महिला के पूर्व पति ने क्रूरता और व्यभिचार के आधार पर कर्नाटक में तलाक की याचिका दायर की थी।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 May 2025 01:49 PM
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पत्नी ने पूर्व पति के खिलाफ दर्ज कराई मानहानि की शिकायत, कोर्ट ने संज्ञान लेने से किया इनकार

दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में एक महिला द्वारा अपने पूर्व पति के खिलाफ दायर मानहानि की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। महिला के पूर्व पति ने क्रूरता और व्यभिचार के आधार पर कर्नाटक में तलाक की याचिका दायर की थी।

ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमएफसी) यशदीप चहल ने की अदालत ने महिला की शिकायत का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लेने से इनकार करते हुए कहा, “मानहानि का अपराध पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व यह है कि आरोप, संबंधित व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाया गया हो।”

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जेएमएफसी चहल ने 16 मई को पारित आदेश में कहा, "मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि शिकायतकर्ता का बयान आरोपी के खिलाफ मानहानि का अपराध साबित करने के लिए आवश्यक तत्वों और संबंधों को उजागर करने में विफल रहा है। इस प्रकार संज्ञान लेने के लिए कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। तदनुसार, बीएनएसएस की धारा 223 के तहत संज्ञान लेने से इनकार किया जाता है और शिकायत का निपटारा किया जाता है।"

अदालत ने शिकायत दर्ज कराने के लिए दिल्ली को अधिकार क्षेत्र बनाने की ओर भी इशारा किया।

जज यशदीप चहल ने कहा, “यह इस बात से भी स्पष्ट है कि दिल्ली में कार्रवाई का कारण किस तरह बनाया गया है। मामले को लगातार गरम रखना एक तरीका है, जिसके बारे में अदालतों को सतर्क रहना चाहिए। मुझे इस बारे में और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।”

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क्या है पूरा मामला

दरअसल, एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति ने तलाक याचिका में झूठा आरोप लगाया है कि उसके अपने जिम ट्रेनर के साथ संबंध हैं। वह उससे चोरी-छुपे मिलता था। आरोपी पति की गैरहाजिरी में वह उसे अपने घर बुलाती थी और उसके साथ अक्सर होटलों में भी जाती थी।

महिला ने यह भी आरोप लगाया गया कि तलाक की कार्यवाही में जिरह के दौरान पति अपने आरोपों को साबित नहीं कर सका और व्यभिचार के आधार को उचित ठहराने में नाकाम रहा। इस मामले में अंततः क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया।

दंपती की शादी 28.04.2008 को शादी को हुई थी। दोनों के रिश्ते में खटास आने पर पति ने 2020 में बेंगलुरु के फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी। उस याचिका में पति ने अपना हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उसने क्रूरता और व्यभिचार के दोहरे आधार पर तलाक की मांग की थी। व्यभिचार के अपने आधार को साबित करने के लिए आरोपी ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता के खिलाफ कुछ आरोप लगाए थे।