मोगा सेक्स स्कैंडल में 18 साल बाद आया कोर्ट का फैसला, पंजाब पुलिस के चार पूर्व अधिकारियों को सजा
- 18 साल पुराने मोगा सेक्स स्कैंडल में मोहाली की विशेष अदालत ने चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को सजा सुनाई है। इनमें से तीन को पांच-पांच साल की कैद और एक को आठ साल की कैद की सजा सुनाई गई है।

18 साल पुराने पंजाब के बहुचर्चित मोगा सेक्स स्कैंडल मामले में मोहाली की विशेष सीबीआई अदालत ने पंजाब पुलिस के चार पूर्व पुलिस अधिकारियों को आज सजा सुनाई है। जस्टिस राकेश कुमार गुप्ता की अदालत ने मोगा के तत्कालीन वरिष्ठ एसएसपी देविंदर सिंह गरचा, तत्कालीन एसपी (हेडक्वार्टर) परमदीप सिंह संधू, तत्कालीन एसएचओ पुलिस स्टेशन सिटी मोगा इंस्पेक्टर अमरजीत सिंह पांच-पांच साल और तत्कालीन एसएचओ रमन कुमार को 8 साल कैद की सजा सुनाई गई है। चारों दोषी पुलिस अफसरों पर पर दो- दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।
दोषियों को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों में दोषी पाया गया, जिन्हें 29 मार्च को दोषी करार दिया गया था। कोर्ट ने तत्कालीन एसएसपी दविंदर सिंह गरचा और पी.एस. संधू को भ्रष्टाचार रोकथाम (पी.सी.) एक्ट की धारा 13(1) और 13 (2) के तहत दोषी ठहराया है। रमन कुमार और अमरजीत सिंह को पीसी एक्ट और आईपीसी की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत दोषी करार दिया गया। अमरजीत सिंह को आईपीसी की धारा 384 और 511 के तहत भी दोषी ठहराया गया। कोर्ट ने अकाली नेता बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और सुखराज सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
महिलाएं फंसाती थी अमीर व्यापारी, केस से बचाने के बदले पैसे वसूलते थे पुलिस अधिकारी
पुलिस के आला अधिकारियों व एक अकाली नेता के बेटे की संलिप्तता वाला मोगा सैक्स स्कैंडल केस साल 2007 में सामने आया था। मनजीत कौर और मनप्रीत कौर सहित कुछ महिलाओं की मदद से पुलिस के आला अधिकारी मोगा के अमीर लोगों को फंसाते थे। महिला मोगा के अमीर व्यापारियों पर उसका शारीरिक तौर पर शोषण करने के आरोप लगाती थी और मामले में शामिल पुलिस अधिकारी इन शिकायतों को निपटाने के एवज में पीड़ित व्यापारियों से मोटी रकम वसूलते थे। यह सैक्स स्कैंडल उस समय सामने आया, जब कुछ पीड़ितों ने पुलिस के आला अफसरों के पास शिकायत दी। मोगा के कुछ सीनियर पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता के कारण यह हाई प्रोफाइल मामला बन गया था।
हाईकोर्ट के निर्देशों पर सीबीआई ने की जांच
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद सीबीआई ने केस दर्ज किया था। 11 दिसंबर 2007 को जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने पीसी एक्ट 1988 की धारा 7, 13(2) और आईपीसी की धारा 384, 211 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की थी। जांच के दौरान पता चला कि दविंदर सिंह गरचा, परमदीप सिंह संधू, अमरजीत सिंह और रमन कुमार ने सरकारी अधिकारी होने के नाते अकाली नेता तोता सिंह के बेटे बरजिंदर सिंह उर्फ मक्खन और अन्य लोगों के साथ मिलकर पैसे वसूलने के लिए साजिश रची थी। उन्होंने कथित तौर पर कई झूठी एफआईआर दर्ज करवाई और निर्दोष लोगों को केस से बाहर निकालने के लिए उनसे मोटी रिश्वत ली। इस साजिश में झूठे हलफनामे का भी इस्तेमाल किया गया।
मुख्य आरोपी महिला की पति के साथ कर दी गई थी हत्या
मनजीत कौर बहुचर्चित मोगा सेक्स स्कैंडल की मुख्य आरोपी थी। बाद में वह गवाह बन गई थी। 2013 में मनजीत कौर जमानत पर जेल से छूटकर बाहर आई। उसने अपना नाम बदलकर प्रभदीप कौर रख लिया और पति राजप्रीत के साथ जीरा के खत्रिया गांव में रहने लगी। सितंबर 2018 में घर में घुसकर पति-पत्नी की गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। कत्ल मामले के तीन लोगों को मोहाली पुलिस ने साल 2020 में गिरफ्तार किया था। मनप्रीत कौर को सरकारी गवाह बनाया गया, लेकिन बाद में अदालत ने उसे विरोधी घोषित कर दिया, जिसके चलते उसके खिलाफ अलग से कानूनी कार्रवाई शुरू हुई। रणबीर सिंह उर्फ राणू और करमजीत सिंह बाठ सरकारी गवाह बन गए। एक अन्य आरोपी महिला मनजीत कौर की केस के दौरान मौत हो गई थी, जिस कारण उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई रोक दी गई थी। (रिपोर्ट- मोनी देवी, लाइव हिन्दुस्तान)
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