एक साल बाद खाली हुए शंभू-खनौरी बॉर्डर, पंजाब में किसानों के ठिकानों पर चला मान का बुलडोजर
- आपको बता दें कि करीब 3000 पुलिसकर्मियों की टीम ख़ानौरी बॉर्डर प्वाइंट पर किसानों को खदेड़ने के लिए पहुंची। इसी तरह पुलिसकर्मी शंभू बॉर्डर पर भी पहुंचे ताकि रास्ता खाली कराया जा सके।

Kisan Andolan: पंजाब पुलिस ने बुधवार को शंभू और ख़ानौरी बॉर्डर प्वाइंट्स से किसानों को खदेड़ते हुए जगह को खाली करा लिया गया है। इसके लिए जेसीबी मशीन का भी इस्तेमाल किया गया। ये किसान करीब एक साल से अधिक समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। इससे पहले सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल को मोहाली में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल से बैठक करने के बाद लौटते वक्त हिरासत में ले लिया गया। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने किसानों को विरोध स्थल से हटाने का बचाव करते हुए कहा कि दो प्रमुख हाईवे के बंद होने के कारण उद्योगों और व्यापारों को भारी नुकसान हो रहा था।
आपको बता दें कि करीब 3000 पुलिसकर्मियों की टीम ख़ानौरी बॉर्डर प्वाइंट पर किसानों को खदेड़ने के लिए पहुंची। इसी तरह पुलिसकर्मी शंभू बॉर्डर पर भी पहुंचे ताकि रास्ता खाली कराया जा सके। ख़ानौरी बॉर्डर पर पंजाब पुलिस ने लगभग 500 से 700 किसानों को हिरासत में लिया। पटियाला रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) मंदीप सिंह सिद्धू इस अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। सिद्धू ने कहा कि पुलिस को राज्य सरकार से आदेश मिला था कि ये मार्ग खोलने चाहिए। आपको बता दें कि 13 फरवरी 2024 से यह आंदोलन चल रहा था।
किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत के अनुसार, किसान नेताओं को मोहाली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बैठक के बाद शंभू बॉर्डर की ओर जाते वक्त हिरासत में लिया गया। डल्लेवाल और पंढेर के अलावा भी कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। उनमें अभिमन्यु कोहड़ और काका सिंह कोटड़ा जैसे नाम भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि डल्लेवाल ने जनवरी में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए 54 दिन तक अनशन किया था। उन्होंने यह तब तक जारी रखने की धमकी दी थी जब तक सरकार 24 फसलों के लिए एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी नहीं देती।
क्या हैं किसानों की मांगें
किसान आंदोलन के अन्य प्रमुख मांगों में एमएसपी की कानूनी गारंटी, ऋण माफी, किसानों और श्रमिकों के लिए पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि का विरोध, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों की वापसी, 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को बहाल करना और 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा शामिल हैं।
केंद्र-किसान वार्ता में कोई नतीजा नहीं
इससे पहले दिन में किसान नेताओं और केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल के बीच चंडीगढ़ में एक नई बैठक हुई, जिसमें किसानों की विभिन्न मांगों पर चर्चा की गई। इस बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक के बाद कहा कि वार्ता जारी रहेगी और अगली बैठक 4 मई को होगी। बैठक में केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री प्रल्हाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल थे। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडिआन भी बैठक में मौजूद थे।
विपक्ष ने आम आदमी पार्टी सरकार पर साधा निशाना
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान किसानों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की योजना बना रहे हैं, जिसमें केंद्र की मदद ली जा रही है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि मान ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। उन्होंने कहा, "चुनावों के दौरान भगवंत मान ने किसानों से सारे वादे किए थे, लेकिन सरकार बनने के बाद वह केवल किसानों से झूठ बोल रहे हैं। पंजाब में अब कोई भी सुरक्षित नहीं है।"
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