Wife gave birth to a daughter after husband sterilization High Court refused compensation पति की नसबंदी के बाद पत्नी को हो गई बेटी, हाईकोर्ट ने मुआवजे से किया इनकार, Punjab Hindi News - Hindustan
Hindi Newsपंजाब न्यूज़Wife gave birth to a daughter after husband sterilization High Court refused compensation

पति की नसबंदी के बाद पत्नी को हो गई बेटी, हाईकोर्ट ने मुआवजे से किया इनकार

  • मामले के अनुसार साल 1986 में आबादी को कम करने के लिए सरकार ने 1986 नसबंदी की मुहिम चलाई थी। इसके तहत नसबंदी करवाने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाती थी।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, चंडीगढ़Fri, 18 April 2025 10:46 PM
share Share
Follow Us on
पति की नसबंदी के बाद पत्नी को हो गई बेटी, हाईकोर्ट ने मुआवजे से किया इनकार

पति के नसबंदी ऑपरेशन के विफल होने पर महिला के एक लड़की को जन्म देने पर निचली अदालत से दंपति को दिए गए मुआवजे के आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। जस्टिस निधि गुप्ता ने दंपति को एक लाख रुपए का मुआवजा देने के कुरुक्षेत्र जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि राम सिंह की नसबंदी विफल रही। हालांकि, निचली अदालत को इस तथ्य पर विचार करना चाहिए था कि वादी द्वारा इस बात से इनकार नहीं किया गया कि डॉ. आर.के. गोयल ने ऐसे हजारों ऑपरेशन किए हैं। नसबंदी के असफल होने की संभावना बहुत कम है, जो 0.3 से 9 प्रतिशत तक है। वादी उस दुर्लभ श्रेणी में आते हैं। इससे डाक्टर की ओर से किसी लापरवाही का संकेत नहीं मिलता। निचली अदालत ने भी इस बात पर विचार नहीं किया कि आप्रेशन से पहले दंपति को जारी प्रमाण पत्र में यह साफ कहा गया है कि आप्रेशन फेल होने की स्थिति में प्रतिवादियों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

चौथी बेटी को जन्म दिया

मामले के अनुसार साल 1986 में आबादी को कम करने के लिए सरकार ने 1986 नसबंदी की मुहिम चलाई थी। इसके तहत नसबंदी करवाने वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। कुरुक्षेत्र निवासी राम सिह ने भी नसबंदी कराई थी। राम सिंह को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि वह अगले 3 महीनों तक संभोग न करें और कंडोम का उपयोग करें और 3 महीने बाद वीर्य की जांच कराएं। यह दलील दी गई कि राम सिंह की पत्नी शारदा रानी गर्भवती हो गई और फिर वह सिविल अस्पताल गया और अपनी जांच करवाई। उसे बताया गया कि नसबंदी आप्रेशन फेल हो गया है। शारदा रानी ने अपने 5वें बच्चे और चौथी बेटी को जन्म दिया।

गर्भपात का विकल्प क्यों नहीं चुना ?

सभी पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि वादी कोई भी ऐसा सबूत पेश करने में विफल रहे हैं कि उनकी ओर से कोई लापरवाही नहीं थी या उन्होंने डाक्टर के निर्देशों का पालन किया था। इस बात का कोई व्यावहारिक कारण नहीं दिया गया है कि महिला द्वारा उक्त गर्भावस्था को समाप्त क्यों नहीं किया गया। वादी ने दलील दी थी कि शारदा रानी गर्भावस्था को समाप्त करने में असमर्थ थी क्योंकि वह कमजोर थी। हालांकि वादी ने इस दावे को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश किया। यहां तक कि शारदा रानी ने भी कभी गर्भावस्था को समाप्त करने का प्रयास नहीं किया। अपीलीय न्यायालय ने केवल यह नोट किया है कि नसबंदी आप्रेशन अगस्त 1986 को किया गया था और 5वां बच्चा जुलाई 1988 को पैदा हुआ था। हरियाणा सरकार की अपील को स्वीकार कर लिया गया और निचली अदालत के एक लाख रुपये मुआवजे देने के आदेश को रद्द कर दिया।

रिपोर्ट: मोनी देवी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।