भाजपा MLA की सदस्यता पर मंडराया संकट! नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्यपाल को लिखा पत्र
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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने अंता से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता को लेकर जारी अनिश्चितता की स्थिति को संवैधानिक परम्पराओं पर कुठाराघात करार दिया है। इस मुद्दे पर उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को पहले ही तीन बार पत्र लिखे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इसी क्रम में उन्होंने राज्यपाल हरिभाऊ बागडे को पत्र भेजते हुए विधायक की सदस्यता को निरस्त करने की मांग की है।
जूली ने कहा कि इस मामले में विधानसभा सचिवालय की निष्क्रियता और ढिलमुल रवैया कई प्रकार के संदेहों को जन्म दे रहा है। उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सात दिन की निर्धारित समयावधि में कोई फैसला नहीं लिया जाना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।
गौरतलब है कि विधायक कंवरलाल मीणा को लेकर अदालत का निर्णय विधानसभा सचिवालय को 5 मई को प्राप्त हो चुका है। नियमों के अनुसार, विधानसभा को इस फैसले के सात दिनों के भीतर सदस्यता पर निर्णय लेना होता है। सोमवार को यह अवधि पूर्ण हो चुकी थी, लेकिन विधानसभा की ओर से अब तक किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है।
टीकाराम जूली ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यदि विधानसभा ऐसे मामलों में निष्क्रिय बनी रहती है तो इससे लोकतांत्रिक संस्थानों की साख पर प्रश्नचिह्न लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून सभी के लिए बराबर होना चाहिए और कोर्ट के फैसलों का पालन समय पर किया जाना आवश्यक है।
वहीं दूसरी ओर, जूली ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अटल ज्ञान केन्द्रों में नियुक्त किए जाने वाले अटल प्रेरकों के चयन में "युवा मित्रों" को प्राथमिकता देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा युवाओं को रोजगार से जोड़ने की दिशा में यह एक बड़ा अवसर हो सकता है, जिसे पारदर्शी और युवा-हितैषी तरीके से लागू किया जाना चाहिए।
टीकाराम जूली के ये प्रयास न सिर्फ विधानसभा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि यह संकेत भी देते हैं कि विपक्ष इस मुद्दे को आगामी समय में और अधिक आक्रामक रूप से उठाने के मूड में है।