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राजस्थान में पुजारी बन रह रहा था ‘डॉक्टर डेथ’; पुलिस ने दबोचा; मगरमच्छों को खिलाता था लाशें

67 साल का देवेंद्र शर्मा नाम के इस सीरियल किलर को कई हत्याओं के मामले में दोषी ठहराया गया था।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तानTue, 20 May 2025 08:34 PM
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राजस्थान में पुजारी बन रह रहा था ‘डॉक्टर डेथ’; पुलिस ने दबोचा; मगरमच्छों को खिलाता था लाशें

आयूर्वेदिक डॉक्टर से अपराधी बना सीरियल किलर आखिरकार दिल्ली पुलिस के शिकंजे में फंस गया है। दिल्ली पुलिस ने उसे रविवार को राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया। यहां वह एक आश्रम में फर्जी पहचान के साथ पुजारी बनकर रह रहा था। वह 2023 में पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार हो गया था जिसके बाद पुलिस ने उसे मंगलवार को गिरफ्तार किया। 67 साल का देवेंद्र शर्मा नाम के इस सीरियल किलर को कई हत्याओं के मामले में दोषी ठहराया गया था।

वह जिन लोगों की हत्या करता था उनके शव उत्तर प्रदेश के कासगंज में मगरमच्छों से भरी हजारा नहर में फेंक देता था। उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में सात अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी और गुड़गांव की एक अदालत ने तो उसे मृत्युदंड की सजा भी सुनाई थी। पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा 2002 से 2004 के बीच कई टैक्सी और ट्रक चालकों की बेरहमी से हत्या करने के जुर्म में तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा था, लेकिन अगस्त 2023 में वह पैरोल पर छूटने के बाद से फरार था।

लोगों को कैसे बनाते थे शिकार

गौतम ने बताया कि डॉक्टर डेथ और उसके साथी फेक ट्रिप के लिए ड्राइवरों को बुलाते थे, उनकी हत्या कर देते थे और फिर उनकी गाड़ियों को 'ग्रे मार्केट' में बेच देते थे। इसके बाद सबूत मिटाने के लिए उनके शवोंको मगरमच्छों से भरी हजारा नहर में फेंक दिया जाता था। अधिकारी ने बताया कि शर्मा पर हत्या, अपहरण और लूट के 27 से अधिक मामले दर्ज हैं। सबसे पहले वह 1995 से 2004 के बीच अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाने के लिए चर्चा में आया। उसके पास बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी की डिग्री भी है। उसने 1984 में राजस्थान में एक क्लीनिक खोला था। उसने पुलिस के सामने कई राज्यों में काम कर रहे डॉक्टरों और बिचौलियों की मदद से 125 से अधिक अवैध ट्रांसप्लांट कराने की बात कबूल की थी।

आयूर्वेदिक डॉक्टर से कैसे बना सीरियल कीलर

सबसे पहले अपराध की दुनिया में कदम उसने उस वक्त रखा जब गैस डीलरशिप डील फेल होने के बाद उसे भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। 1994 में उसने डीलरशिप हासिल करने के लिए एक कंपनी में 11 लाख रुपये का निवेश किया था। एक साल बाद उसने एक फर्जी गैस एजेंसी खोली और अवैध अंग व्यापार में भी शामिल हो गया। 1995 से 2004 के बीच उसने एक गैंग बनाया जो कथित तौर पर एलपीजी सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों को रोकता था, ड्राइवरों को मारता था और खेप चुरा लेता था। उसने टैक्सी ड्राइवरों की टारगेट किलींग भी कीं। वह पहले टैक्सियों को किराए पर लेता था फिर ड्राइवरों की हत्या करता और उनकी गाड़ियों को ग्रे मार्केट में बेच देता। इसके बाद वह उनके शवों को मगरमच्छों को खिला दिया करता था।। पुलिस सूत्रों ने बताया, उसका गिरोह ट्रकों को तोड़कर बाज़ारों में बेच देता था।