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100 कत्ल कर चुक़ा 'हवस का हत्यारा': डॉक्टर बोला- मारने में आता है मज़ा, जयपुर से खुला खूनी राज!"

खतरनाक सीरियल किलर और 'डॉक्टर डेथ' के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में है।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरWed, 21 May 2025 06:08 PM
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100 कत्ल कर चुक़ा 'हवस का हत्यारा': डॉक्टर बोला- मारने में आता है मज़ा, जयपुर से खुला खूनी राज!"

खतरनाक सीरियल किलर और 'डॉक्टर डेथ' के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा एक बार फिर पुलिस की गिरफ्त में है। टैक्सी ड्राइवरों की बेरहमी से हत्या कर शव मगरमच्छों को खिलाने वाला यह हैवान पिछले डेढ़ साल से दौसा के एक आश्रम में साधु बनकर रह रहा था। लेकिन एक मामूली मोबाइल रिचार्ज उसकी तबाही की वजह बन गया।

67 साल का यह ‘कातिल डॉक्टर’ अब तक 100 से ज्यादा हत्याओं का इल्जाम झेल चुका है, जिनमें से 50 मर्डर्स उसने खुद कुबूल किए। इसके अलावा 125 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट्स का नेटवर्क भी वह चला चुका है, जिसमें 5 से 7 लाख रुपये वसूले जाते थे।

कैसे खुला 'डॉक्टर डेथ' का चौंकाने वाला राज?

2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर निकला देवेंद्र अगस्त से फरार था। दिल्ली पुलिस को दौसा में किए गए एक मोबाइल रिचार्ज से उस तक पहुंचने का सुराग मिला। जब पुलिस ने उसे पकड़ा, तो सामने आया भगवा वस्त्रों में छुपा कातिल साधु, जो फर्जी नाम से रह रहा था।

2004 की कहानी दोहराई गई

साल 2004 में भी जयपुर की जीआरपी पुलिस ने उसे एक मामूली गुमशुदगी मामले में पकड़ा था। लेकिन जैसे ही वह खुलकर बोलना शुरू हुआ, पूरे देश की पुलिस हिल गई। उसने बताया कि कैसे वह टैक्सी बुक करता, ड्राइवरों की हत्या करता और टैक्सी बेच देता था। शवों को मगरमच्छों को खिला देता ताकि कभी कोई सबूत न मिले।

नदी में फेंकी लाशें, मगरमच्छों को बनाया गवाह!

डॉ. देवेंद्र ने राजस्थान, यूपी, दिल्ली और हरियाणा में टैक्सी चालकों की हत्याएं कीं। वह ड्राइवरों को सुनसान जगह ले जाकर गला घोंटकर या हथियार से मार डालता और फिर शवों को नहरों या नदी में फेंक देता। कई मामलों में शव कभी नहीं मिले।

ऐसे टूटा था 2004 में पहला पर्दा

जयपुर के चांद खां और शराफत खां दो भाई अपनी टाटा सूमो लेकर डॉक्टर के साथ निकले थे। दौसा पहुंचकर उन्होंने घर पर लैंडलाइन से फोन किया था। उसके बाद वे कभी वापस नहीं लौटे। लेकिन उसी एसटीडी बूथ से तीसरा कॉल डॉक्टर ने किया था, जिससे पुलिस को सुराग मिला।

अंत में फिर जेल से बाहर आकर साधु बन बैठा

2010 में उसे उम्रकैद की सजा हुई, कुछ मामलों में फांसी भी। लेकिन पैरोल का फायदा उठाकर वह फिर गायब हो गया। दौसा में ‘पुजारी’ बनकर रह रहा था, लेकिन क्राइम की आग ठंडी नहीं हुई थी, सिर्फ चोला बदल लिया था।

डॉ. देवेंद्र उर्फ डॉ. डेथ को फिर से न्याय की कटघरे में खड़ा किया जाएगा। दिल्ली पुलिस उसे हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है और अब उसके ‘संत बनने के पाखंड’ के पीछे छुपे नए राज खोलने की तैयारी है। डॉक्टर के वेश में राक्षस" का पर्दाफाश एक बार फिर साबित करता है कि अपराध का कोई चेहरा नहीं होता — वह साधु भी हो सकता है!

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