राजस्थान में चपरासी भर्ती के लिए रिकॉर्ड तोड़ क्रेज, PhD धारक भी कतार में; उठी आवेदन की तारीख बढ़ाने की मांग
- भर्ती की आखिरी तारीख 19 अप्रैल निर्धारित की गई है, लेकिन उम्मीदवारों का कहना है कि वेबसाइट पर बार-बार OTP न आने जैसी तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं।

राजस्थान में युवाओं की शिक्षा का स्तर जितना ऊपर जा रहा है, रोजगार के मौके उतने ही सीमित होते जा रहे हैं। यही वजह है कि चपरासी जैसे पदों के लिए भी अत्यधिक शिक्षित अभ्यर्थी आवेदन कर रहे हैं। अगर बात करें वर्तमान में निकली चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों (चपरासी) की भर्ती की, तो इसने एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा निकाली गई इस वैकेंसी में अब तक 18.5 लाख से अधिक युवा आवेदन कर चुके हैं, जबकि पदों की संख्या महज 53,749 है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इन पदों के लिए शैक्षणिक योग्यता केवल 10वीं पास रखी गई है, लेकिन इसके बाद इस भर्ती के लिए BA, MA, एमफिल से लेकर पीएचडी धारक तक अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
भर्ती की आखिरी तारीख 19 अप्रैल निर्धारित की गई है, लेकिन उम्मीदवारों का कहना है कि वेबसाइट पर बार-बार OTP न आने जैसी तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं। इससे बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फॉर्म भरने से वंचित रह जा रहे हैं। इसी वजह से युवाओं द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार सरकार से यह मांग की जा रही है कि आवेदन की अंतिम तिथि को कम से कम 7 दिन आगे बढ़ाया जाए, ताकि कोई भी अभ्यर्थी इस मौके से वंचित न रह जाए।
भजनलाल शर्मा सरकार के गठन के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी भर्ती मानी जा रही है। बता दें कि चपरासी के 53,749 पदों में से 48,199 गैर-अनुसूचित और 5,550 अनुसूचित क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं। परीक्षा 18 से 21 सितंबर के बीच कंप्यूटर आधारित टेस्ट (CBT) मोड में होगी। परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर दोगुनी संख्या में अभ्यर्थियों को डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया जाएगा। उम्मीदवार rsmssb.rajasthan.gov.in वेबसाइट पर जाकर नोटिफिकेशन देख सकते हैं और नियमानुसार आवेदन कर सकते हैं। उन्हें SSO ID के माध्यम से लॉगइन कर आवेदन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
हालांकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनने के लिए जिस तरह से युवाओं में उत्साह देखा जा रहा है, यह स्थिति न केवल प्रदेश में गहराते बेरोजगारी संकट की ओर इशारा करती है, बल्कि नीति निर्माताओं को यह सोचने पर मजबूर भी करती है कि योग्यताओं और अवसरों के बीच संतुलन किस कदर बिगड़ चुका है।