बिना विपक्ष के सदन चलाया, अगर इनमें साहस होता...; राजस्थान सरकार पर हमलावर हुए अशोक गहलोत
- बिना विपक्ष के सदन चलाने, विपक्ष से लगातार मतभेद बनाए रखने जैसी बातों को उठाया। गहलोत ने अपने कार्यकाल के दौरान की बातों का भी जिक्र किया। आइए जानते हैं कि एक्स सीएम ने क्या कुछ कहा।

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार पर जमकर हमला किया। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान सत्ता पक्ष की कमियों को गिनाते हुए कई सवाल भी उठाए। बिना विपक्ष के सदन चलाने, विपक्ष से लगातार मतभेद बनाए रखने जैसी बातों को उठाया। गहलोत ने अपने कार्यकाल के दौरान की बातों का भी जिक्र किया। आइए जानते हैं कि एक्स सीएम ने क्या कुछ कहा।
अगर इनमें साहस होता...
गहलोत ने कहा कि लोकतंत्र में बिना विपक्ष के पक्ष कुछ नहीं होता है। जिस तरह इन लोगों ने बरताव किया कि बिना विपक्ष के ही हाउस चला दिया। डोटासरा के बिना ही बहस शुरू करा दी गई। गहलोत ने कहा कि अगर इनमें साहस होता, नैतिक साहस तो विपक्ष को बुलाते और निष्कासन समाप्त करते। गहलोत ने कहा कि एकतरफा बहस हो गई। आरोप लगा दिए गए। ये सब कुछ अनुभव की कमी होने की वजह से किया गया।
6 सदस्यों के निष्कासन का उठाया मुद्दा
हमारा ध्येय लोकतंत्र को मजबूत करने का है, लेकिन अब देखने वाली बात है कि ये लोग विपक्ष को कितना साथ लेकर चलते हैं। गहलोत ने डोटासरा मामले का जिक्र करते हुए कहा कि अभी डोटासरा मामले में सत्ता पक्ष ने 6 लोगों को सदन से निष्कासित किया था।
हम खुद निष्कासन खत्म करते थे
हम लोगों के साथ जो व्यवहार किया कि हम लोगों को सदन के बाहर धरना तक देना पड़ा। इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि मुख्य विपक्ष दल के लोगों को धरना देना पड़े। गहलोत ने अपने कार्यकाल की बात बताते हुए कहा कि हमारे वक्त में कई बार सदस्य निष्कासित हुए हैं। एक दो दिन में हमने कोशिश की कि बुलाकर बात करें और निष्कासन समाप्त करें और सदन पक्ष-विपक्ष से चले।
1 साल से नहीं खड़ा किया कोई आंदोलन
अशोक गहलोत ने कहा कि बीते एक साल से हमने कोई आंदोलन खड़ा नहीं किया है, बल्कि अपनी बात मीडिया के माध्यम से कही है। गहलोत ने खामी बताते हुए कहा कि इनको समझ जाना चाहिए कि हम जो कह रहे हैं, वो इनके हित में भी है।