यूपी के लखनऊ, आगरा समेत 16 शहरों में बनेंगे 320 नए चार्जिंग स्टेशन, ई व्हीकल वालों के लिए सहूलियतें
यूपी के लखनऊ, आगरा समेत 16 शहरों में 320 नए चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। इसस ई व्हीकल वालों के लिए सहूलियत होगी। योगी सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी ला रही है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी ला रही है। शहरी परिवहन निदेशालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत प्रदेश के 16 प्रमुख शहरों में 320 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (पीसीएस) स्थापित करने की महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है।
यूपी में तेजी से बढ़ रहे ई-व्हीकल
यूपी में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। वर्ष 2022 में 75,998, 2023 में 1,29,466 और 2024 में 1,55,889 ईवी पंजीकरण के साथ उत्तर प्रदेश देश में सबसे अधिक ईवी उपयोग वाला राज्य बन गया है। इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार आवश्यक है। योगी सरकार ने 2022 में ही इस दिशा में सक्रिय कदम उठाते हुए इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति-2022 लागू की थी, जिसका लक्ष्य 30,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने के साथ ही करीब 10 लाख रोजगार सृजन करना है।
किन-किन शहरों में कितने नए ईवी चार्जिंग स्टेशन होंगे
योगी सरकर अब प्रदेश के 16 नगर निगमों, आगरा (20), फिरोजाबाद (20), मथुरा (21), अलीगढ़ (22), मेरठ (22), बरेली (16), मुरादाबाद (07), सहारनपुर (05), लखनऊ (27), गोरखपुर (21), शाहजहांपुर (20), अयोध्या (28), कानपुर (26), प्रयागराज (25), झांसी (20) और वाराणसी (20) में कुल 320 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की तैयारी कर रही है। प्रत्येक स्टेशन के लिए 180 वर्ग फीट जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। इन स्टेशनों में फास्ट और स्लो चार्जर (जैसे CCS-2, CHAdeMO, Bharat AC/DC) लगाए जाएंगे, जो 2-व्हीलर, 3-व्हीलर और 4-व्हीलर के लिए उपयुक्त होंगे। चार्जिंग स्टेशन बाजारों, रेस्तरां और अन्य भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों के पास स्थापित किए जाएंगे, ताकि उपयोगकर्ताओं को सुविधा हो।
क्या होगी चार्ज पॉइंट ऑपरेटर की भूमिका
चार्जिंग स्टेशनों का डिजाइन, निर्माण, संचालन और रखरखाव निजी क्षेत्र के चार्ज पॉइंट ऑपरेटर (सीपीओ) द्वारा किया जाएगा। सीपीओ को बिजली बिल, कर और बीमा का भुगतान करना होगा, साथ ही सुरक्षा और उपभोक्ता सेवा सुनिश्चित करनी होगी। स्टेशनों को तकनीकी रूप से उन्नत और स्केलेबल बनाया जाएगा, ताकि भविष्य में ईवी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। सीपीओ विज्ञापन और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के जरिए भी राजस्व कमा सकेंगे, बशर्ते नगर निगम की अनुमति हो।
क्या होगी नगर निगम और सरकार की जिम्मेदारियां
नगर निगम चार्जिंग स्टेशनों के लिए जमीन उपलब्ध कराएंगे और बिजली कनेक्शन में सहायता करेंगे। वे प्रति किलोवाट बिल्ड यूनिट पर एक रुपये की राजस्व हिस्सेदारी लेंगे। शहरी परिवहन निदेशालय नियमित निरीक्षण करेगा, ताकि तकनीकी और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित हो। योगी सरकार ने इस परियोजना को पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया है। सरकार ने ईवी क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया है, जिसे स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा मॉनिटर किया जाता है। योगी सरकार की इस दूरदर्शी नीति की सराहना करते हुए विशेषज्ञों का कहना है कि यह उत्तर प्रदेश को ईवी और बैटरी निर्माण में वैश्विक हब बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
2030 तक भारत में 102 मिलियन ईवी होने की उम्मीद
यह योजना न केवल उत्तर प्रदेश में ईवी के उपयोग को बढ़ाएगी, बल्कि प्रदूषण को कम करने और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। वर्ष 2030 तक भारत में 102 मिलियन ईवी होने की उम्मीद है और उत्तर प्रदेश इस लक्ष्य को हासिल करने में अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है। योगी सरकार की इस पहल से न केवल पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि रोजगार सृजन और आर्थिक समृद्धि को भी नई दिशा मिलेगी।