बोले आगरा, इनमें भी है मेडल पाने का दम पर मौके ही बहुत कम
Agra News - आगरा में जूडो और कराटे सीख रहे खिलाड़ियों ने कहा है कि उन्हें पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। खिलाड़ियों ने खेल के क्षेत्र में पारदर्शिता और नियमित प्रतियोगिताओं की मांग की है। उनके अनुसार, आर्थिक...
आगरा। प्रतिस्पर्द्धा के लिए महज हुनर होना काफी नहीं है। संयम एवं अनुशासन के साथ यदि हुनर को तराशा जाए तो लक्ष्य की ओर कदम स्वत: ही बढ़ने लगते हैं। और इस राह में किसी की प्रेरणा भी मिल जाए तो कहना ही क्या। अपने आगरा में हुनर की कहीं कमी नहीं। ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो लक्ष्य को पाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। लेकिन उनकी यह मेहनत वो करिश्मा नहीं कर पा रही जिसकी देश और समाज को आवश्यकता है। अधिकतर की शिकायत है कि पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से वे करियर में अपेक्षित सफलता नहीं पा सके। आपके अखबार हिन्दुस्तान के साथ संवाद में जूडो और कराटे सीख रहे खिलाड़ियों ने कहा कि खेल के मैदान पर पारदर्शिता बरते जाने की जरूरत है। तभी मेहनत करने वाले खिलाड़ियों को उनका मुकाम मिल पाएगा।
आगरा में जूडो कराटे का इतिहास दशकों पुराना है। आज भी स्टेडियम और निजी संस्थानों में करीब 1500 युवा खिलाड़ी रोजाना ही जूडो और कराटे के खेल में भविष्य बनाने के लिए प्रेक्टिस करते हैं। अन्य खेलों से भी हजारों की संख्या में खिलाड़ी जुड़े हुए हैं। इनमें से कुछ खिलाड़ी तो संपन्न हैं लेकिन कई हुनरमंद खिलाड़ी ऐसे भी हैं। जो अभाव झेल कर भी अपने खेल प्रतिभा को लगातार तराश रहे हैं। आर्थिक अभाव की पथरीली जमीन उनके इरादों को और ठोस कर रही है। इन खिलाड़ियों में काफी संख्या बेटियों की है। जो इस उम्मीद में हैं कि उनकी प्रतिभा को भी एक न एक दिन सम्मान मिलेगा। देश के लिए कुछ कर गुजरने का अवसर मिलेगा।
यह आसान काम नहीं। हालांकि कोच हर कदम पर खिलाड़ियों का साथ देकर उनका मनोबल बढ़ा रहे हैं। लेकिन वो भी खेल प्रतिभाओं के साथ अन्याय होते देख दुखी हो जाते हैं। एक ने बताया कि उन्होंने कई मुकाबलों में खेल प्रतिभाओं के साथ अन्याय होते देखा है। यही वजह है कि अच्छे खिलाड़ी अन्याय की स्थिति में मैदान से दूरी बना लेते हैं। अच्छी प्रतिभाएं भी गुमनामी के अंधेरे में खो जाती है। युवा खिलाड़ी कहते हैं कि उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। जिससे वह अपनी प्रतिभा को निखार पाएं। परिवार और कोच का नाम रोशन कर सकें।
अभाव में भी खेल को आगे बढ़ा रही कई लड़कियों के पास किट भी नहीं है। जैसे तैसे अपना काम चलाती हैं। निजी स्तर पर जो भी प्रतियोगिताएं होती हैं। उनमें भाग लेने के लिए एंट्री फीस भरनी पड़ती है। कई बार ऐसी स्थिति होती है कि प्रवेश शुल्क की रकम भी नहीं जुटा पाते। सभी चाहते हैं कि शासन स्तर पर हर छह महीने में ओपन प्रतियोगिताएं कराई जाएं। खेल के आधार पर मैदान में ही खिलाड़ियों का चयन हो सके। बेटियों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए आगे आना होगा। कोच उन्हें लंबे समय से निशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। खेल में निखार के साथ उन्हें आत्मरक्षा के गुण भी सीखने को मिल रहे हैं। इससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। कोच के पास पर्याप्त संसाधन न होने की वजह से कुछ मायूस नजर आईं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मांग की है कि उन्हें दो घंटे प्रेक्टिस के लिए कोई पार्क मिल जाए तो उनकी मुश्किल हल हो जाए।
अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की जरूरत
आगरा की खेल प्रतिभाओं ने कई प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व किया है। यहां लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण की मांग की जा रही है। जनप्रतिनिधि भी कई बार शासन को पत्राचार कर चुके हैं। इसके बाद भी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की मांग की अब तक पूरी नहीं हो पाई है। यही वजह भी है कि आगरा से राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं। क्रिकेट के क्षेत्र में आगरा की महिला और पुरुष खिलाड़ियों ने जरूर भारतीय टीमों में जगह बनाई है। लेकिन जूडो कराटे समेत अन्य खेलों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
नियमित रूप से आयोजित कराई जाएं प्रतियोगिताएं
जूडो कराटे सीख रही बेटियों ने नियमित रूप से ओपन प्रतियोगिताएं कराए जाने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि ओपन प्रतियोगिताएं आयोजित होने से जिले के सभी खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। इससे बेहतरीन खेल प्रतिभाएं सामने आएंगी। खिलाड़ियों के चयन में भी पारदर्शिता रहेगी। ऐसा होना शुरु हो जाएगा तो खिलाड़ी भी प्रतियोगिताओं में जीत के लिए जी जान लड़ा देंगे। देश के लिए मेडल जीतने को कुछ भी कर गुजरेंगे। उन्होंने बताया कि वर्तमान में ज्यादातर प्रतियोगिताएं निजी स्तर पर भी कराई जा रही हैं। इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अच्छी खासी एंट्री फीस देनी पड़ती है।
बेटियों को दी जा रही है सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग
राजपुर चुंगी क्षेत्र में बेटियों को जूडो कराटे की निशुल्क ट्रेनिंग दी जा रही है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए साथ ही उन्हें आत्मरक्षा के गुण भी सिखाए जा रहे हैं। जिससे वो जरूरत पड़ने पर अपनी हिफाजत कर सकें। उनकी अस्मत से खिलवाड़ करने की कोशिश करने वालों को कड़ा सबक सिखा सकें। प्रतिकूल परिस्थिति में अपनी और परिवार की रक्षा कर सकें। बेटियों ने कहा कि हर अभिभावक को अपनी बेटियों को इस तरह का प्रशिक्षण दिलवाना चाहिए। ताकि बेटियां भी शारीरिक रूप से मजबूत बन सकें। अपनी सुरक्षा के लिए उन्हें किसी पर निर्भर न रहना पड़े। हालात कैसे भी हों बेटियां उनका मुकाबला करने में सक्षम रहें।
प्रेक्टिस के लिए नहीं मिलता पर्याप्त स्थान
राजपुर चुंगी क्षेत्र में काफी संख्या में बेटियां जूडो कराटे की प्रेक्टिस करने के लिए कोच हरीश के पास पहुंचती हैं। लेकिन इतनी संख्या में बेटियों को एक साथ प्रेक्टिस कराने के लिए कोच के पास पर्याप्त स्थान और संसाधन नहीं हैं। महिला खिलाड़ियों ने बताया कि कोच उनका पूरा सहयोग करते हैं। लेकिन प्रेक्टिस के लिए पर्याप्त स्थान न होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी होती है। महिला खिलाड़ियों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग उठाई है कि वो उनकी मदद करें। क्षेत्र के किसी भी पार्क में उन्हें प्रेक्टिस करने के लिए दो घंटे का समय दिलवा दें। जिससे वह आसानी से अपनी प्रेक्टिस कर पाएं।
लिम्का बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है कोच का नाम
बेटियों को जूडो और कराटे के साथ निशुल्क आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रहे कोच का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। खास बात ये भी है कि कोच महिला खिलाड़ियों को अपने खर्च पर प्रतियोगिताओं में भाग दिलवाते हैं। खिलाड़ियों की देखभाल परिवार के सदस्यों की तरह करते हैं। उनका उद्देश्य बेटियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के साथ उन्हें आत्मरक्षा के लिए भी प्रशिक्षण देना है। जिससे बेटियां खुद को कमजोर न समझे। हर हालात का डटकर मुकाबला कर सकें। जरूरत पड़ने पर शोहदों को सही सबक सिखा पाएं।
ये हैं समस्याएं
महिला खिलाड़ियों के पास प्रेक्टिस के लिए स्थान नहीं है।
जिले में सरकारी खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन में कमी।
खिलाड़ियों ने कहा चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रहती है।
आर्थिक अभाव के कारण खेल प्रतिभाएं निखर नहीं पाती हैं।
जिले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम का सपना है अधूरा।
ये हैं समाधान
स्थानीय स्तर पर भी सरकारी खेल मैदान का निर्माण किया जाए
हर छह महीने में सरकारी स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन
खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता बरती जाए
आर्थिक रूप से कमजोर होनहार खिलाड़ियों को सुविधा दी जाए
जिले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम का निर्माण कराया जाए
वर्जन (फोटो)
जिले में आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताओं को पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है। खिलाड़ियों के चयन में पारदर्शिता रहेगी तो इसका फायदा देश और प्रदेश को मिलेगा।
नाव्या, महिला खिलाड़ी
जूडो कराटे सीखने से हमें आत्मरक्षा के गुण भी सीखने को मिलते हैं। इससे न सिर्फ हम शारीरिक रूप से मजबूत हो रहे हैं। बल्कि किसी भी परिस्थिति से निपटने की हिम्मत मिलती है।
वियान, खिलाड़ी
जिले में हर छह महीने में ओपन प्रतियोगिताएं कराए जाने की जरूरत है। इससे खिलाड़ियों को अपना हुनर साबित करने का मौका मिलेगा। वह अपनी कमियों को समझकर उन्हें दूर कर पाएंगे।
अनुष्का, महिला खिलाड़ी
हम काफी समय से जूडो कराटे खेल में दक्षता के लिए प्रेक्टिस कर रहे हैं। कोच का पूरा सहयोग मिलता है। वह हमसे फीस भी नहीं लेते हैं। जनप्रतिनिधियों को हमारी मदद के लिए आगे आना चाहिए।
रौनक, खिलाड़ी
प्रदेश में क्रिकेट को जितनी तव्वजो दी जाती है। उतनी ही तव्वजो अन्य खेलों को भी दिए जाने की जरूरत है। इससे खिलाड़ियों को बहुत फायदा मिलेगा। ओलंपिक में पदकों की संख्या में इजाफा होगा।
विक्रांत, खिलाड़ी
जिले में खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए सकारात्मक प्रयास किए जाने की जरूरत है। आगरा में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निर्माण को हरी झंडी मिलनी चाहिए। तभी खिलाड़ियों को मुकाम मिल पाएगा।
अनुष्का, महिला खिलाड़ी
बेटियों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए। जरूरतमंद बेटियों की मदद करनी चाहिए। कई बेटियां आर्थिक अभाव के कारण खेल के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाती हैं।
इशाना, महिला खिलाड़ी
जूडो कराटे सीखने से करियर बनाने का मौका तो मिलता ही है। बेटियों को आत्मरक्षा के गुण भी सीखने को मिलते हैं। मेरा यही कहना है कि बेटियों को इस तरह की कलाओं का प्रशिक्षण लेना चाहिए।
प्रीति प्रजापति, महिला खिलाड़ी
जब भी मौका मिला है। हम बेटियों ने खुद को साबित किया है। चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर खेल का मैदान। बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं है। बस उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है।
शिवम कुशवाहा, खिलाड़ी
सरकार स्तर पर खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए इंतजाम किए जाने की जरूरत है। स्टेडियम में जो सुविधाएं हैं। वह पर्याप्त नजर नहीं आती हैं। सुविधाएं बढ़ेंगी तो खिलाड़ियों को इसका फायदा मिलेगा।
रागिनी राजपूत , महिला खिलाड़ी
कई मुकाबलों में खेल प्रतिभाओं के साथ अन्याय होते देखा है। यही वजह है कि अच्छे खिलाड़ी ये हालात देखकर मैदान से दूरी बना लेते हैं। खेल के मैदान में पारदर्शिता लाए जाने की जरूरत है।
पलक, महिला खिलाड़ी
निजी स्तर पर जो भी प्रतियोगिताएं होती हैं। उनमें भाग लेने के लिए खिलाड़ियों को एंट्री फीस भरनी पड़ती है। जिनके पास एंट्री फीस भरने के रूपये नहीं होते हैं। वो प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाते हैं।
संचिता, महिला खिलाड़ी
मेरी यही मांग है कि जिले में निश्चित अवधि में नियमित रूप से खुली प्रतियोगिताओं का आयोजन किए जाने की जरूरत हैं। परिणाम सार्वजनिक रूप से घोषित किए जाएं। इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।
प्राची, महिला खिलाड़ी
आगरा ने खेल जगत को कई बड़े खिलाड़ी दिए हैं। आगरा में खेल प्रतिभाओं को सही मंच देने की जरूरत है। स्कूल-कॉलेजों में भी खेलों का बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है। तभी प्रदर्शन बेहतर हो पाएगा।
अनाया, महिला खिलाड़ी
खिलाड़ियों ने देश को गौरवांवित करने का काम किया है। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। खेलों को प्राथमिकता के साथ बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।
राखी, महिला खिलाड़ी
मेरे द्वारा महिला खिलाड़ियों को कई वर्षों से ट्रेनिंग के साथ आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मेरा बस यही कहना है कि जनप्रतिनिधियों को महिला खिलाड़ियों को मंच देने के लिए आगे आना चाहिए।
हरीश कुमार गोला, कराटे कोच
आज कल के माहौल को देखते हुए युवतियों का शारीरिक रूप से मजबूत होना बेहद आवश्यक है। जूडो और कराटे समेत तमाम ऐसे खेल हैं। जिनसे युवतियों की शारीरिक क्षमताएं मजबूत होती हैं।
भावना कश्यप, महिला खिलाड़ी
मेरी तो सरकार से यही मांग है कि विधानसभा वार शहर में मिनी स्टेडियम का निर्माण करना सुनिश्चित किया जाए। इससे स्थानीय खिलाड़ियों को काफी फायदा मिलेगा। खेल प्रतिभाएं निखरेंगी।
योग्यता, महिला खिलाड़ी
आगरा में सभी सांसद और विधायक सत्तारूढ़ दल के हैं। इसके बाद भी शहर में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम का निर्माण नहीं हो पाया है। मेरी जनप्रतिनिधियों से मांग है कि स्टेडियम की मांग को प्रमुखता से मुखर करें।
श्वेता, महिला खिलाड़ी
मेरा बस यही कहना है कि अच्छे खिलाड़ियों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। जो खिलाड़ी स्थानीय स्तर पर खेलों में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्हें प्रोत्साहित कर आगे बढ़ने का मौका दिया जाए।
प्रिया, महिला खिलाड़ी
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