बोले आगरा: मौका और सहूलियत मिले तो यहां भी होंगी ‘किरण-रोशनी
Agra News - महिलाएं व्यवसाय और उद्यमिता में कई चुनौतियों का सामना करती हैं, जैसे सामाजिक पूर्वाग्रह, वित्तीय सहायता की कमी और पारिवारिक जिम्मेदारियां। हालांकि, वे आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित हैं। आगरा की...
महिलाएं जब व्यवसाय और उद्यम के क्षेत्र में उतरती हैं तो उन्हें सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पुरुषों की तुलना में उन्हें व्यवसाय शुरू करने और उसे संचालित करने में अधिक कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं। सामाजिक पूर्वाग्रह, लैंगिक असमानता, वित्तीय सहायता की कमी, मार्गदर्शन की अनुपलब्धता और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने जैसी समस्याएं सामान्य हैं। बावजूद इसके, महिलाएं अत्यधिक प्रतिभाशाली, कुशल और व्यावसायिक दृष्टि से सक्षम हो रही हैं। ऑल वूमेन एंटरप्रेन्योर्स समूह (एडब्ल्यूई) से जुड़ी महिलाओं ने कई सवाल उठाए। उनका कहना है कि अपने शहर में जरदोजी, सोल,आईटी और ऑनलाइन व्यवसाय में अपार संभावना हैं।
सुविधाएं मिलने पर यहां भी किरण मजूमदार शॉ और रोशनी नादर जैसे इरादों के साथ आगे बढ़ा जा सकता है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा के संवाद में महिला उद्यमियों ने अपनी समस्याओं को साझा किया और भविष्य की योजनाएं भी बताईं। महिला उद्यमिता धीरे-धीरे सशक्तिकरण का आधार बन रही है। अब महिलाएं केवल पारंपरिक भूमिकाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे व्यवसाय, सेवा, निर्माण, शिक्षा, पर्यटन, स्वास्थ्य और सूचना तकनीकी जैसे क्षेत्रों में भी सक्रिय भागीदारी कर रही हैं। इस बदलाव का मुख्य कारण शिक्षा का प्रसार, डिजिटल प्लेटफॉर्म की उपलब्धता और सरकारी योजनाएं हैं। फिर भी चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं।
अधिकांश महिलाएं अपने व्यवसाय की शुरुआत घर से करती हैं क्योंकि बाहर निकलकर काम करने में सामाजिक दबाव और पारिवारिक दायित्व बड़ी बाधा बनते हैं। वे सीमित संसाधनों में कार्य आरंभ करती हैं और कई बार पूंजी की कमी, प्रशिक्षण की अनुपलब्धता, मार्केटिंग की जानकारी और सही नेटवर्किंग के अभाव में प्रगति नहीं कर पातीं। तकनीकी जागरूकता की कमी और डिजिटल ज्ञान का अभाव भी उन्हें पीछे रखता है। उद्यमिता में महिलाएं अकसर अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखकर आगे बढ़ती हैं, लेकिन सामाजिक स्वीकृति की कमी के कारण वे कई बार अपने ही परिवार में समर्थन से वंचित रहती हैं। उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ व्यवसाय में समय देना पड़ता है, जिससे उनका मानसिक संतुलन प्रभावित होता है। फिर भी कई महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित होकर इन बाधाओं को पार कर रही हैं।
आगरा की महिला उद्यमियों से बातचीत में स्पष्ट हुआ कि उन्हें ऐसे प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है, जहां न केवल प्रशिक्षण मिले बल्कि सरकारी योजनाओं की जानकारी और ऋण की सुविधा भी सरलता से उपलब्ध हो। वीमेन इकॉनामी सेल जैसी संस्थाओं की आवश्यकता महसूस की जाती है, जहां महिला-केन्द्रित उद्योग नीति, कर व्यवस्था और सुरक्षा के उपायों पर भी मार्गदर्शन हो। सामाजिक सोच को बदलना भी आवश्यक है। आज भी उद्यमी महिलाओं को कई जगह यह सुनना पड़ता है कि वे परिवार छोड़कर व्यवसाय में क्यों लगी हैं। जबकि सच्चाई यह है कि महिलाएं अपने परिवार और समाज दोनों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का माध्यम बन रही हैं। यदि उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण, सस्ती दरों पर ऋण, विपणन का मंच और सलाहकार नेटवर्क की सुविधा मिले तो वे न केवल आत्मनिर्भर बनेंगी बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बनेंगी। महिला उद्यमिता का समर्थन केवल एक सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि की कुंजी है। सरकार, समाज और निजी क्षेत्र को इस दिशा में समन्वित प्रयास करने होंगे। फंडिंग की कमी फंडिंग किसी भी व्यवसाय की नींव होती है।
महिला उद्यमियों के सामने सबसे बड़ी समस्या पूंजी की होती है। अधिकतर महिलाओं के नाम पर संपत्ति नहीं होती, जिससे वे किसी बैंक या वित्तीय संस्था से ऋण लेने में अक्षम रहती हैं। उधारदाताओं की ओर से आवश्यक गारंटी या संपार्श्विक की मांग उनकी सबसे बड़ी बाधा बनती है। परिणामस्वरूप, वे परिवार और दोस्तों की आर्थिक मदद या अपनी बचत पर निर्भर रहती हैं। बैंक और वित्तीय संस्थाएं भी महिलाओं के व्यवसाय को संदेह की दृष्टि से देखती हैं और सख्त पात्रता मानदंड लागू करती हैं। इससे महिला उद्यमिता का विस्तार सीमित हो जाता है। जिम्मेदारियों का दबाव भारतीय समाज में महिलाओं को पारिवारिक जिम्मेदारियों की पहली जिम्मेदार माना जाता है। बच्चों की देखभाल, घरेलू काम और सामाजिक अपेक्षाएं उनके लिए अनिवार्य मानी जाती हैं। यही कारण है कि महिला उद्यमियों को अपने व्यवसाय और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाना बेहद कठिन लगता है। लगातार दबाव और समय की कमी उनके आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। वे कार्य के लिए आवश्यक समय और ऊर्जा नहीं दे पातीं, जिससे उनका व्यवसाय सीमित रह जाता है। इस समस्या को हल करने के लिए परिवार और समाज से सहयोग की आवश्यकता है ताकि महिलाएं अपने व्यवसाय को समय दे सकें। प्वाइंटर महिला उद्यमियों को फंडिंग की सबसे अधिक समस्या होती है। पारिवारिक जिम्मेदारियां व्यवसाय में बाधा बनती हैं। औद्योगिक ज्ञान की कमी भी एक बड़ी चुनौती है। नेटवर्किंग और मार्गदर्शन की सुविधाएं सीमित हैं। योजनाओं की जानकारी के लिए जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
सुझाव
महिला उद्यमियों के लिए अलग सेल की स्थापना हो। प्रशिक्षण और मेंटरशिप कार्यक्रम चलाए जाएं। जागरूकता अभियान से योजनाओं की जानकारी दी जाए। सामाजिक सोच और मान्यताओं में बदलाव जरूरी है। फंडिंग के लिए विशेष महिला ऋण सुविधा विकसित हो।
1. सामाजिक पूर्वाग्रह, लैंगिक असमानता, वित्तपोषण की कमी, मार्गदर्शन की कमी और कार्य-जीवन संतुलन बनाए रखने में कठिनाई शामिल हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, महिलाएं लगातार अपने व्यवसाय को सफल बनाने के लिए प्रयास करती हैं। सुरुचि भार्गव
2. महिला उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने और चलाने के लिए फंडिंग को लेकरअक्सर कठिनाई होती है। क्योंकि पहले तो परिवार से ही शुरुआत होती है। अगर उनके पास पैसा नहीं है। घर से लेना है तो उन पर विश्वाास ही नहीं जताया जाता। सुमिता
3. महिला उद्यमियों को अक्सर अपने व्यवसाय को सफल बनाने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और सलाह नहीं मिलती है। इसके लिए एक सेल का गठन होना चाहिए। एक नंबर भी जारी होना चाहिए। जिससे महिलाएं जानकारी ले सकें। नम्रता मिश्रा
4. महिलाओं को अपने व्यवसाय और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है। क्योंकि उन्हें परिवार भी संभालना होता है। इसलिए उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाने में भी सहयोग मिलना चाहिए। मीनल गुप्ता
5. कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों के कारण महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने और चलाने में कठिनाई होती है। यह सबसे बड़ी समस्या है। आखिर महिलाएं हर काम करने में सक्षम है। फिर ऐसा क्यों है। अंकिता
6. महिलाओं के लिए समान अवसर बनाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। क्योंकि यह पहलू कमजोर बनाता है। मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। गीतिका सहगल
7. महिला उद्यमियों को ऋण, अनुदान और निवेश तक पहुंच प्रदान करने के लिए सरकारी और निजी योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए। महिलाओं के पास आईडियाज की कमी नहीं है। लेकिन उन्हें खुद को साबित करना पड़ता है। रितु भटनागर
8. महिला उद्यमियों को अपने व्यवसाय को सफल बनाने के लिए मार्गदर्शन और सलाह प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और मेंटरशिप कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। उद्यमिता से लेकर हर प्रकार की जानकारी मिल सके। डा. जसप्रीत कौर
9. वीमेन इकोनॉमी जोन बनना चाहिए। महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने और चलाने में मदद करने के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों को बदलने की आवश्यकता है। बदलाव जरुरी है। महिलाएं कहां कम है। डा. श्वेता
10. हिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियां महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे दूर नहीं की जा सकतीं। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकारी, निजी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। अल्मास थॉमस
11. महिलाओं को सशक्त बनाकर और उन्हें समान अवसर प्रदान करके, सभी के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। अगर आवश्यकता है तो सांस्कृतिक और सामाजिक मानदंडों को बदलने की आवश्यकता है। नेहा बंसल
12. महिला उद्यमियों को स्टार्ट-अप क्षेत्र में नियमित रूप से लैंगिक रूढ़िवादिता और सामाजिक अपेक्षाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि मुखरता और नेतृत्व के बारे में धारणाएं हैं। जब तक ये खत्म नहीं होगी। आगे बढ़ना कठिन है। श्रुति सैनी
13. महिला उद्यमियों को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ता है, अपने स्टार्ट-अप को शुरू करने से लेकर दैनिक कार्यों की देखरेख और अपने व्यवसाय को बढ़ाने तक । क्योंकि उसे परिवार भी देखना होता है। दीप्ति शर्मा
14. किसी भी उद्यमी उद्यम की आत्मा फंडिंग होती है। ज़्यादातर महिला उद्यमियों को अपने व्यावसायिक विचारों के लिए फंडिंग मिलना मुश्किल लगता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि उनके नाम पर पर्याप्त संपत्ति नहीं है। सेजल
15. अधिकांश बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में सख्त पात्रता मानदंड हैं, जैसे कि एक स्थापित व्यवसाय होना। इस प्रकार, महिला उद्यमी व्यवसाय शुरू करने के लिए अपनी बचत और परिवार और दोस्तों से मिलने वाली मौद्रिक मदद पर निर्भर हैं। अदिति पारौलिया
16. काम और घर के बीच संतुलन बनाने की यह प्रक्रिया महिला उद्यमियों को अधिक तनावग्रस्त बनाती है। महिलाओं को व्यवसाय के लिए बहुत अधिक समय देना मुश्किल लगता है, जब उनका घर और बच्चे उनका बहुत अधिक समय मांगते हैं। विनती श्रीवास्तव
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