बोले आगरा: खेतों से उठ रही पुकार, वन गायों को पकड़ो ‘सरकार
Agra News - जगनेर ब्लाक के किसानों के लिए आवारा गोवंश और वन गायों की समस्या गंभीर संकट बन गई है। किसान रातों को खेतों में मचान बनाकर फसलों की रक्षा कर रहे हैं। उनकी मांग है कि वन गायों को पकड़कर गोशाला या जंगलों...

आवारा गोवंश खासकर वन गायों की समस्या जगनेर ब्लाक के किसानों के लिए बड़ा संकट पैदा कर चुकी है। यहां नील गायों का भी आतंक है। उनके झुंड भी किसानों के लिए सालों से मुसीबत बना हुआ है। किसानों की रातें खेत में फसलों की रखवाली में कट रही हैं। उन्होंने वहां मचान बना लिए हैं। दिन में लू के थपेड़ों के बीच वो वन गायों से फसलों की रक्षा करने को मजबूर हैं। फसल बचाने के लिए उन्होंने अपने खर्चों से फेसिंग (तारों की बाड़) भी लगाई है। पीड़ित किसानों की मांग है कि वन गायों को पकड़कर गोशाला या फिर जंगलों में छोड़ा जाए। जगनेर ब्लाक क्षेत्र में किसानों ने खेतों पर मचान बनाकर फसलों की रखवाली के लिए अस्थायी ठिकाने बना लिए हैं। रात के समय खेतों में बनाए गए मचानों पर किसान रात बिताते हैं और फसलों की समय-समय पर रखवाली के लिए टॉर्च जलाकर जानवरों को डराते हैं। इतना ही नहीं दिन के समय फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों के किनारों पर तारों की फेंसिंग कर दी है।
आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद के दौरान किसानों ने अपनी पीड़ा रखी। किसानों ने साफ कहा कि सरकार कुछ भी करे वन गायों और गोवंशों से उन्हें छुटकारा दिला दिया जाए।
जहां तक जगनेर ब्लाक का सवाल है सरैंधी, स्याइच, मेवली, मेवला, कोसमा, वरिगवां, नौनी सहित करीब 50 गांवों में वन गायों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। ये वन गाय रात होते ही फसलों पर धावा बोल देती हैं। जरा सी चूक हुई तो किसानों की कई महीनों में तैयार होने वाली फसलों को नुकसान पहुंचा देते हैं। किसानों का कहना है कि सरकार ने गोशालाओं को बजट दे रखा है। गोवंशों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है। किसानों का कहना है कि वन गायों के झुंड को पकड़वाकर उन्हें जंगलों में छोड़ा जाए, तभी फसलों की रखवाली होगी। किसानों ने कहा कि हम गोवंश से प्यार करते हैं, मगर फसल की बर्बादी होती है तो उनकी आंखों से आंसू आते है। सरकार इन आंसुओं को पोछने के लिए संरक्षण की मदद करे तभी किसानों का भला होगा और उनकी फसलों की रखवाली हो पाएगी।
सुझाव
1. किसानों को खेतों की फेंसिंग के लिए सरकारी मदद दी जाए।
2. आवारा जानवरों को गोशालाओं में संरक्षित करवाया जाए।
3. फेंसिंग करवाकर वन गायों को एक स्थान पर सीमित करें।
4. फसलों की बर्बादी हो किसानों को मुआवजा दिया जाए।
शिकायत
1. गोशालाओं में संरक्षित नहीं किए जा रहे आवारा जानवर।
2. खुले में घूमने वाले जानवर फसलें कर रहे बर्बाद।
3. वन गाय के पास के झुंड जंगलों में नहीं छोड़े जा रहे।
4. फसलें बर्बाद होने पर किसानों को मुआवजा नहीं मिलता।
किसानों का कष्ट
जगनेर क्षेत्र में गोवंश के अलावा वन गायों का भी आतंक का पर्याय है। यह हमारी फसल को बर्बाद करती हैं। गेहूं, सरसों और चलना की फसल पर भी वन गायों के झुंड का हमला होता है। इनसे सुरक्षा की जाए।
-रामेश्वर
आवारा गोवंश और नीलगाय ने पूरे इलाके के किसानों के लिए बहुत बड़ा संकट खड़ा कर रखा है। किसान परेशान है, शिकायतें की जा रही है परंतु प्रशासनिक अधिकारी आवारा गोवंश की समस्या का समाधान नहीं कर रहे।
-कमल सिंह
सरेंधी, नौनी, कोसमा, मेवली आदि गांवों में किसानों ने आवारा जानवरों से फसलों की रक्षा के लिए एक दूसरा तरीका निकाल लिया है। किसान खेतों के खिलाफ किनारे रंगीन साड़ियां लगा रहे हैं।
-रवि
रंगीन रस्सी लगाकर किसान फसलों की रक्षा कर रहे है। ताकि गोवंश या अन्य कोई जानवर फसलों को बर्बाद न कर सके। किसान मचान बनाकर भी फसलों के झुंड पर निगाहें रखते हैं। अब दोपहर में खेत में रहना मुश्किल हो रहा है।
-राकेश
आवारा गोवंश के अलावा इस इलाके में वन गाय का बड़ा आतंक है। वन गायों के झुंड किसानों की फसलों पर हमला कर देते हैं और कुछ ही देर में फसल को बर्बाद कर देते हैं। नीलगायों को पकड़ने के लिए कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है।
-बहादुर सिंह
वन क्षेत्र में भी फेंसिंग करा वन गायों को अंदर रोकने का प्रयास हुआ। यह प्रयास असफल रहा है। यह वन गाय दिन और रात किसी भी समय सड़कों पर आकर वाहनों से टकराते हैं और लोग हादसे का शिकार हो जाते हैं। यह बड़ी समस्या है।
-सतीश
जगनेर में आवारा जानवर किसानों के सबसे बड़ी दुश्मन है। वन गायों का आतंक जगनेर इलाके में इस कदर है कि लोग दिन में भी अपनी फसल की रक्षा करने के लिए खेतों पर ही डेरा जमाए रहने पर मजबूर हैं।
-मुनेश कुमार
गोशालाओं में जितने गोवंश संरक्षित किया जा रहे हैं उतने ही जानवर सड़कों पर घूम रहे हैं और किसानों की फैसले बर्बाद कर रहे हैं। गोवंश के अलावा वन गायों का झुंड भी किसानों का सबसे बड़ा सिर दर्द बना हुआ है।
-बनवारी
सरकार ने आवारा गोवंश के संरक्षण के लिए दर्जनों गोशालाओं को बजट भी दिया है। कर्मचारी भी दिए हैं। इसके बावजूद यह आवारा जानवर सड़कों पर घूमते हैं। किसानों की फैसले बर्बाद करते हैं। और हादसों को जन्म दे रहे हैं।
-ग्यानेंद्र
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