बोले आगरा: सुरक्षा और सुविधाएं मिलने से बढ़ेगी मेले की रौनक
Agra News - मलपुरा के कबूलपुर के नगला शिशिया में 22 और 23 अप्रैल को दो दिवसीय मेला लगेगा। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। मेले की व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा की जाती हैं। सुरक्षा, सफाई और...

मलपुरा। जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर कबूलपुर के नगला शिशिया में इस बार दो दिवसीय मेला 22 और 23 अप्रैल को लगेगा। मेले में दूर-दराज से लोग पहुंचते हैं। दोनों दिन काफी रौनक रहती है। मेला आयोजन की सभी व्यवस्थाएं ग्रामीण अपने स्तर से ही करते हैं। उनकी शिकायत है कि उनको कोई सरकारी मदद नहीं मिलती है। मेला स्थल तक पहुंचने वाली सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। इसकी किसी को भी चिंता नहीं है। मेले का स्तर ऊंचा उठाने के लिए सरकारी मदद की दरकार है। मेले के आयोजन कर्ता पूर्व प्रधान छोटेलाल कुशवाहा है। उन्होंने बताया कि सन् 1999 में पिता पातीराम की आकस्मिक मृत्यु हुई थी। पिता की मृत्यु की सूचना जब हमने मां प्रेम देवी को दी तो उन्होंने भी लगभग 15 मिनट बाद अपने प्राण त्याग दिए। इससे पहले उन्होंने पूरे परिवार को आशीर्वाद भी दिया। उन्हीं की याद में वैशाख कृष्ण पक्ष नवमी को वर्ष 2000 में प्रथम बार मेले का आयोजन किया गया। मेले में आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में आते हैं। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से सती मैया से पूजा-अर्चना के बाद मनौती मांगता है, उसको फल अवश्य मिलता है। हर मनोकामना पूर्ण होती है। भक्त मनोकामना पूर्ण होने पर मां के मंदिर पर नेजा और घंटा भी चढ़ाते हैं।
पिछले 25 वर्ष से प्रतिवर्ष दो बार मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें वैशाख कृष्ण पक्ष नवमी एवं दशमी तथा भादों माह में शुक्ल पक्ष की नवमी और दशमी को मेले का आयोजन किया जाता है।
नगला शीशिया में रविवार को आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद के दौरान ग्रामीणों ने कहा कि सरकार की ओर से मेले में किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी जाती है। यह मेला नगला शिशिया, नगला ककरारी एवं कबूलपुर के समस्त ग्रामीणों द्वारा आयोजित किया जाता है। सारी व्यवस्थाएं ग्रामीणों द्वारा की जाती है। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किए जाते हैं। अपनी संस्कृति और सभ्यता को इन कार्यक्रमों के माध्यम से जनता के मध्य रखा जाता है।
संवाद के दौरान ग्रामीण रामेश्वर सिंह ने पुलिस-प्रशासन से मांग की है कि मेले में ग्रामीण और भक्तों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त फोर्स तैनात रहना चाहिए ताकि शरारती तत्वों पर अंकुश लग सके। इस दौरान ग्रामीण भगवान सिंह कुशवाहा ने बताया कि मेले में प्रशासन के द्वारा सफाई की व्यवस्था नहीं होती है। ग्रामीण सभी व्यवस्थाएं करते हैं। यहां मेले में कर्मचारी सफाई करने नहीं आते।
ग्रामीण कैलासी राम ने बताया है कि मंदिर प्रांगण में विद्युत व्यवस्था उचित नहीं है। मेले में खंभों पर लाइट लगी होनी चाहिए ताकि दुकानदारों को असुविधा का सामना न करना पड़े। मेले में वह सही तरीके से दुकानदारी कर सकें।
प्रधान प्रतिनिधि गोपाल सिंह कुशवाहा ने बताया है कि ग्वालियर रोड से नगला शिशिया और कबूलपुर आने वाला रास्ता जर्जर हो गया है। सड़क में जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं। मंदिर प्रांगण में दर्शन करने वाले आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से कर दी है। इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि मेला काफी पुराना है। इसके बावजूद मंदिर और गांव के मुख्य रास्ते पर गंदगी, जल भराव और गड्ढे हैं। अतः प्रशासन से अपील है कि गांव के मुख्य रास्ते की मरम्मत कराई जाए।
सुझाव
1. मेला स्थल के पास पर्याप्त सफाई के लिए विशेष अभियान चले।
2. मंदिर परिसर के पास गोवंशों को पकड़ने के लिए प्रयास किए जाएं।
3. यहां स्ट्रीट लाइटें लगवाई जायें ताकि श्रद्धालुओं को असुविधा न हो।
4. मंदिर और मेला स्थल तक पहुंचने के लिए सड़क की मरम्मत कराई जाए।
शिकायत
सुझाव
1. मेला स्थल के पास गंदगी रहती है। इससे श्रद्धालु परेशान रहते हैं।
2. मंदिर परिसर के पास गोवंशों का आतंक है। इससे भक्तों को हादसे की आशंका रहती है।
3. मेला स्थल पर अंधकार छाया है। स्ट्रीट लाइटें नहीं लगी हैं। इससे भक्त परेशान होते हैं।
4. मंदिर और मेला स्थल तक पहुंचने वाले मार्ग पर गहरे गड्ढे हो चुके हैं।
भक्तों की बात
यह मेला काफी प्रसिद्ध है। हमारी अपील है कि इस बार मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ग्राम पंचायत की ओर से सुलभ शौचालय का इंतजाम किया जाए।
पूर्व प्रधान चंद्रभान सिंह
मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। सुरक्षा इंतजाम के लिए प्रशासन से अपील है कि पुलिस मेले में लगाई जाए। महिला सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।
भगवान सिंह
हाईवे से लेकर मेला प्रांगण तक सड़क में जगह-जगह गड्ढे हैं जो कि भक्तों के लिए मुसीबत बन चुके है। हमारी तहसील प्रशासन से अपील है कि सड़क को बनवाया जाए।
पूर्व प्रधान छोटेलाल कुशवाहा (मंदिर महंत)
मेले में दर्शनार्थी असहज महसूस करते हैं। क्योंकि मंदिर में स्ट्रीट लाइट नहीं लगी है जबकि प्रशासन का दावा है कि मंदिर और चौराहे पर लगातार स्ट्रीट लाइट लगाई जा रही हैl
हर प्रसाद
नगला शिशिया में सती मैया और श्री राम मंदिर प्रांगण में मेला है। प्रशासन का पूर्ण सहयोग नहीं मिलता है। इसके चलते भव्य रूप नहीं मिल पा रहा है । विद्युत व्यवस्था के तहत स्ट्रीट लाइट लगनी चाहिए।
छीतरीय प्रसाद
मेला स्थल के अंदर और बाहर पुलिस चौकसी बहुत जरूरी है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टरों की टीम प्राथमिक उपचार के लिए मेला प्रांगण में लगाई जाए। गर्मी से बचाव किया जाए।
विजय सिंह
मेले के दौरान साफ सफाई का विशेष इंतजाम किया जाना चाहिए। मेला हटने के बाद साफ सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि ग्रामीणों को गंदगी और बीमारियों का सामना न करना पड़े।
सतीश चंद्र कुशवाहा
मेले में कुछ ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाए, जिससे हमारी संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो। परंतु प्रशासन इसमें मदद नहीं करता है। ग्रामीण अपनी ओर से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम तय करते हैं।
सत्य प्रकाश कुशवाहा
मेले में दुकानें और स्टॉल व्यवस्थित क्रम से हों। इससे भीड़भाड़ में आसानी से खरीदारी की जा सके। खासकर महिलाओं व बच्चों को परेशानी न हो।
भूपेंद्र सिंह
मेले के दौरान वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। महिला पुलिस की मेला स्थल पर तैनाती होनी चाहिए।
भूपेंद्र सिंह
मेले में विशेष समस्या महिलाओं की सुरक्षा की होती है। हर बार कोई न कोई घटना घटित होती है। महिला पुलिस सादा कपड़ों में तैनात की जाए।
धर्मवीर सिंह
मेला आयोजन व्यवस्थित तरीके और एकजुटता से होना चाहिए, जिससे युवा आकर्षित हों। और अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से रूबरू हो सकें।
पप्पू कुशवाहा
मेले में गोवंशों का रोका जाना जरूरी है। इससे हादसे की आशंका रहती है। ग्राम पंचायत इस दिशा में कार्य करे।
रवि कुशवाहा
पुलिस अराजकता फैलाने वालों पर कड़ी निगरानी रखे, जिससे मेले का माहौल खराब ना हो सके। सौहार्द्र और भाईचारा कायम रहे।
विजेंद्र सिंह
प्रशासन द्वारा भजन कीर्तन व्यवस्थित ढंग और अच्छे कलाकारों द्वारा कराए जाएं। जिसमें हमारी संस्कृति झलकती हो।
रामेश्वर सिंह
मेले के दौरान ऐसा कोई भी कार्यक्रम न हो, जो कि अश्लीलता फैलाए। समाज और मेले की छवि खराब करे। भाईचारे को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम हों।
नरेंद्र कुमार
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