एएमयू में बनना चाहिए मंदिर: देवकी नंदन ठाकुर
Aligarh News - कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मंदिर बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब वहां मस्जिद है तो मंदिर की भी आवश्यकता है। सभी को समान अधिकार मिलने की बात करते हुए, उन्होंने...

एएमयू में बनना चाहिए मंदिर: देवकी नंदन ठाकुर कथा वाचक बोले, विश्वविद्यालय में मस्जिद है तो मंदिर क्यों नहीं
केंद्र से संचालित विवि में सभी को समान अधिकार मिलने की पैरवी
अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिंटी में मंदिर बनने पर निशुल्क कथा करुंगा
अगली पीढ़ी को सुरक्षित रखने को बच्चों को दें रामायण व गीता ज्ञान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कल्प वृक्ष समान, जिसकी अपनी इच्छा नहीं
केशव धाम में गौवंश संरक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बोले
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अलीगढ़। वरिष्ठ संवाददाता। कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने सोमवार को केशव सेवाधाम में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मंदिर बनना चाहिए। यूनिवर्सिटी में मस्जिद बनी हुई हैं तो मंदिर क्यों नहीं। केन्द्र से संचालित यूनिवर्सिटी में सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए।
कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर सोमवार मथुरा रोड सिंघारपुर स्थित केशवसेवा धाम में माधव सम्मेलन केन्द्र के शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। कथा वाचक ने कहा कि एएमयू केंद्र के पैसे से संचालित होती है, वहां अधिकार भी समान होना चाहिए। बंगाल में रामनवमी के दिन हिंदुओं को पत्थर पड़े। एएमयू में कुछ लोग होली नहीं खेलने दे रहे थे। देश में जितने भी केंद्रीय विश्वविद्यालय है जो केंद्र द्वारा संचालित होती है. संविधान कहता है कि सबको बराबर का अधिकार मिलना चाहिए। अलीगढ़ के छात्रों ने एएमयू में मंदिर निर्माण की बात उठाई है, ये उचित है। यहां पांच से छह हजार हिन्दू छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। जब यहां मस्जिद हो सकती हैं, तो मंदिर क्यों नहीं। अगर मंदिर बना तो मैं निशुल्क कथा करने आऊंगा।
0- सनातन को आगे बढ़ाना है तो बच्चों को गीता, रामायण पढ़ाइये.
कथा वाचक ने कहा कि मेरठ में पति को ड्रम में काट कर डालने की घटना पर कहा, इसे लेकर मैं बहुत रोया था। उन्होंने कहा कि इतनी क्रूरता हमारे समाज में कहां से आ रही है। इस पर विचार करें तो पता चलेगा कि मुसलमान बच्चे जब पढ़ते हैं तो मदरसे में सबसे पहले उन्हें कुरान का ज्ञान कराते हैं। अपने यहां के 99 प्रतिशत बुजुर्ग नहीं जानते की गीता और रामायण में क्या है? जब बुजुर्ग ही नहीं जानते की रामायण और गीता में क्या है, तो बच्चों को कैसे बताएंगे कि सीता ने कैसे कष्ट सहा था, अयोध्या जैसा साम्राज्य राम ने चुटकियों में छोड़कर चले गए थे। प्यार और समर्पण की भावना जब तक हमारे समाज में नहीं आएगी। इस तरह की घटनाएं होती रहेगी। घर-घर रामायण और गीता पढ़नी होगी। उन्होंने लोगों से कहा कि माथे पर तिलक, सिर पर शिखा, हाथ में कलावा और सूर्य को जल चढ़ाने का कार्य बच्चों को बताइए क्योंकि यह हिंदू संस्कृति है।
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