Health Crisis in Ambedkarnagar No Primary Health Centers in Three Lakh Population Area बोले अम्बेडकरनगर:न बेहतर इलाज न जांच दवाएं भी नहीं मिलतीं , Ambedkar-nagar Hindi News - Hindustan
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बोले अम्बेडकरनगर:न बेहतर इलाज न जांच दवाएं भी नहीं मिलतीं

Ambedkar-nagar News - अम्बेडकरनगर जिले की भीटी तहसील क्षेत्र में तीन लाख की आबादी के लिए एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। केवल दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, जहां उचित सुविधाएं और दवाएं नहीं मिलतीं। मरीजों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, अंबेडकर नगरSat, 12 April 2025 06:56 PM
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बोले अम्बेडकरनगर:न बेहतर इलाज न जांच दवाएं भी नहीं मिलतीं

अम्बेडकरनगर। जिले की भीटी तहसील क्षेत्र में एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। लगभग तीन लाख की आबादी वाले इस तहसील क्षेत्र में मात्र दो सीएचसी ही हैं। ऐसे में मरीजों व तीमारदारों को बेहतर इलाज की उम्मीदों को तगड़ा झटका लग रहा है। जिले में कुल 29 पीएचसी तो हैं, लेकिन न तो जांच की किसी प्रकार की सुविधा है और न ही पर्याप्त दवाएं ही हैं। इसी का नतीजा है कि पीएचसी पर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन कम हो रही है। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए दावे तो बढ़ चढ़कर किए जाते हैं, लेकिन इन्हें जमीनी हकीकत देने के लिए कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले की पांच तहसील में एक तहसील है भीटी।

तीन लाख की आबादी वाले इस तहसील क्षेत्र में एक भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। लंबे समय से यहां कम से कम दो पीएचसी के निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया जा सका है। पूर्व सांसद व एमएलसी हरिओम पांडेय ने दो पीएचसी के निर्माण के लिए शासन को पत्र भेजा तो है, लेकिन अब तक इस संबंध में किसी भी प्रकार की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है। भीटी व कटेहरी में सीएचसी है, लेकिन यहां भी समुचित सुविधाएं नहीं हैं। इतना ही नहीं, जिले में कुल 29 पीएचसी संचालित हैं। हालांकि कहीं भी किसी भी प्रकार की जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में इसके लिए मरीजों को निजी पैथालॉजी सेंटर तक की दौड़ लगानी पड़ती है। इससे उन्हें आर्थिक चपत भी लगती है। इसके अलावा पर्याप्त दवाएं भी नहीं मिलती हैं। इससे मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से दवाएं लेने को मजबूर होना पड़ता है। इन अस्पतालों में मरीजों का बेहतर तरीके से इलाज भी सुनिश्चित नहीं होता है। चिकित्सकों की लापरवाही के चलते ही मरीजों को इधर-उधर की भागदौड़ लगानी पड़ती है। ऐसे में इसका लाभ झाोलाछाप उठाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि यदि सरकारी अस्पताल की दशा में सुधार कर दिया जाए, तो फिर मरीजों को निजी अस्पतालों तक की दौड़ लगाने से राहत मिलेगी। पीएचसी पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराए जाने की जरूरत है। सरकारी अस्पतालों में इलाज के प्रति बरती जा रही लापरवाही का ही नतीजा है कि इसका पूरा लाभ निजी अस्पताल संचालकों को हो रहा है।

बेपटरी रहती है सफाई व्यवस्था : अस्पतालों में सफाई व्यवस्था को लेकर कोई पुरसाहाल नहीं है। खासकर पीएचसी में। इन अस्पतालों के निरीक्षण में स्वास्थ्य अधिकारी स्वच्छता को लेकर निर्देश तो देते हैं, लेकिन इसका पालन नहीं हो पाता। ऐसे में चहुंओर गंदगी ही पसरी मिलती है। नतीजा यह है कि लगभग सभी पीएचसी पर परिसर से लेकर भवन के अंदर तक जगह जगह गंदगी आसानी से देखी जा सकती है। संचारी रोगों से निपटने व अस्पतालों के चहुंओर स्वच्छ परिवेश बनाने के लिए बेहतर सफाई के निर्देश तो हैं, लेकिन वास्तविकता इससे कहीं परे है। स्वच्छता पर अभियान तो चलता है लेकिन वह सिर्फ फर्ज अदायगी तक ही साीमित रहता है। नतीजा यह है कि सरकारी अस्पतालों में ही साफ सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर परिसर से लेकर भवन के अंदर तक जगह जगह आसानी से गंदगी देखी जा सकती है।

पेयजल की व्यवस्था है न बैठने की:सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के दावे तो बढ़ चढ़कर किए जाते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे परे है। अव्यवस्थाओं के चलते ही अब मरीजों को निजी अस्पतालों का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। आलम यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर न तो पेयजल की समुचित व्यवस्था है और न ही बैठने का ही। नतीजा यह है कि पेयजल के लिए मरीजों व तीमारदारों को अस्पताल के बाहर तक का चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ता है। मरीजों को बेहतर इलाज की सुविधा प्रदान करने के लिए पीएचसी की स्थापना तो कर दी गई, लेकिन मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ज्यादातर पीएचसी पर पेयजल की बड़ी समस्या लंबे समय से बनी हुई है। कहीं हैंडपंप खराब है, तो कहीं हैंडपंप से गंदा पानी निकल रहा है। इन्हें दुरुस्त कराने की सुध जिम्मेदारों को नहीं है। नतीजा यह है कि मरीजों व तीमारदारों को पेयजल के लिए इधर उधर की दौड़ लगानी पड़ती है। सबसे अधिक दिक्कत गर्मी के मौसम में होती है। पेयजल की बेहतर व्यवस्था किए जाने के लिए जिम्मेदारों से शिकायत दर्ज कराई जाती है, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। किछौछा के मोहम्मद शमीम व हंसवर के राकेश कुमार ने कहा कि कम से कम जो मूलभूत सुविधाएं हैं, उसी को बेहतर कर दिया जाए। पीएचसी पर सबसे जरूरी पेयजल व्यवस्था की है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर हैंडपंप लगे तो हैं, लेकिन ज्यादातर खराब हैं। इतना ही नहीं, मरीजों व तीमारदारों के बैठने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। इससे अक्सर मरीजों व तीमारदारों को खड़े होकर ही अपना इलाज कराने की मजबूरी बनी रहती है। इस संबंध में जिम्मेदारों से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। नतीजा यह है कि इसका खामियाजा मरीजों व तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है।

बोले जिम्मेदार:पीएचसी पर इलाज व्यवस्था को बेहतर किया जा रहा है। संबंधित चिकित्सकों व स्टाफ को यह निर्देश है कि वह आने वाले मरीजों का ढंग से इलाज करें और उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का पूरा लाभ दें। टीकाकरण व अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रचार प्रसार के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्राथमिकता पर करने का निर्देश है।

-डॉ सालिकराम पासवान, प्रभारी सीएमओ

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