Lack of Fire Station in Bhiti Tehsil Causes Delays in Fire Response बोले अंबेडकरनगर:भीटी को मिले अग्निशमन केंद्र, संसाधन भी दिए जाएं , Ambedkar-nagar Hindi News - Hindustan
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बोले अंबेडकरनगर:भीटी को मिले अग्निशमन केंद्र, संसाधन भी दिए जाएं

Ambedkar-nagar News - भीटी तहसील क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र का निर्माण नहीं हो सका है, जिससे आग लगने पर फायर ब्रिगेड को अकबरपुर से 30 किमी दूर यात्रा करनी पड़ती है। इससे आग बुझाने में देरी होती है और नुकसान बढ़ता है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, अंबेडकर नगरTue, 8 April 2025 06:36 PM
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बोले अंबेडकरनगर:भीटी को मिले अग्निशमन केंद्र, संसाधन भी दिए जाएं

अंबेडकरनगर। लगभग चार लाख की आबादी वाले भीटी तहसील क्षेत्र में अब तक अग्निशमन केंद्र का निर्माण नहीं हो सका है। लगभग डेढ़ दशक पहले अग्निशमन केंद्र के निर्माण को शासन ने मंजूरी प्रदान की थी,और भूमि का चिंहांकन भी हो गया था, लेकिन धनाभाव के चलते अब तक निर्माण कार्य ही प्रारंभ नहीं हो सका। नतीजा यह है कि आग लगने की दशा में अकबरपुर से फायर ब्रिगेड की टीम जाती है। लंबी दूरी तय कर जब टीम मौके पर पहुंचती है, तो लगभग सबकुछ जलकर राख हो चुका होता है। आग से निपटने को लेकर लापरवाही का आलम यह है कि अकबरपुर नगर में आधा दर्जन वॉटर हाइडेंट हैं, लेकिन उनका अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। ऐसे में आग लगने की दशा में फायर कर्मियों को आग बुझाने के लिए पानी की बड़ी समस्या खड़ी होती है।

जिले की पांच तहसीलों में अकबरपुर, टांडा व आलापुर में तो अग्निशमन केंद्र का अपना भवन है, लेकिन भीटी तहसील में अब तक अग्निशमन केंद्र का निर्माण नहीं हो सका है। अकबरपुर से भीटी तहसील मुख्यालय की दूरी लगभग 30 किमी है। ऐसे में भीटी तहसील क्षेत्र में आग लगने की दशा में अकबरपुर से फायर ब्रिगेड की टीम जाती है। इससे टीम को संबंधित क्षेत्र में पहुंचने में काफी समय लगता है। इसे देखते हुए संबंधित क्षेत्र के लोग कभी-कभी तो खुद ही आग पर काबू पा लेते हैं। हालांकि इसमें काफी नुकसान हो चुका होता है। अग्निशमन केंद्र के निर्माण के लिए भीटी कस्बे के निकट भूमि का चिंहांकन लगभग डेढ़ दशक पहले किया गया था, लेकिन अब तक धनाभाव के चलते निर्माण नहीं हो सका। इतना ही अकबरपुर में जगह-जगह आधा दर्जन वॉटर हाइडेंट स्थापित किए गए थे। मौजूदा समय में हालत यह है कि सभी वॉटर हाइडेंट का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। सड़क के चौड़ीकरण के दौरान सभी वॉटर हाइडेंट सड़क के नीचे दब गए। नतीजा यह है कि आग लगने की दशा में फायर कर्मियों को पानी के लिए दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा स्टॉफ की कमीं भी आग पर काबू पाने में सबसे बड़ी बाधा बन रही है।

औपचारिकता भर ही रहता है जागरूकता अभियान : आग की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश पाने के लिए समय-समय पर अग्निशमन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान चलाया तो जाता है, लेकिन ज्यादातर महज औपचारिकता तक ही सीमित रहता है। नतीजा यह होता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में आग की घटनाएं अधिक होती हैं। आग की चपेट में आने से घर व दुकानों के साथ-साथ फसलें राख हो जाती हैं, जिससे संबंधित लोगों को व्यापक नुकसान उठाना पड़ता है। जिम्मेदारों को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभियान चलाकर लोगों को इस संबंध में जागरूक करें। ऐसे हादसों पर अंकुश पाने के लिए अग्निशमन विभाग द्वारा जागरूकता अभियान तो चलाया जाता है, लेकिन वह महज कागजों तक ही सीमित रहता है। ज्यादातर अभियान स्कूलों व कॉलेज परिसर तक ही सीमित रहता है।

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार सिंह कहते हैं कि जिम्मेदारों को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में समय-समय पर विशेष अभियान चलाएं। लोगों को आग से निपटने के बारे में जानकारी दें। साथ ही उन्हें आग लगने के कारण के बारे में भी जानकारी दें। यदि लोगों में जागरूकता होगी, तो आग पर पूरी तरह से अंकुश पाया जा सकता है।

संकरी सड़कें व गलियां बढ़ा रहीं दिक्कतें:मोहल्लों या फिर भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर आग लगने पर वहां अग्निशमन विभाग की टीम को पहुंचने में कभी कभी संकरी सड़कें व गलियां बड़ी बाधक बनती हैं। दरअसल लोगों ने स्थाई व अस्थाई अतिक्रमण कर सड़क व गलियों को संकरा कर दिया है। ऐसे में संबंधित क्षेत्र के अंदर तक वाहन नहीं पहुंच पाते। ऐसे में आग पर काबू पाने में फायर ब्रिगेड कर्मचारियों को कई प्रकार की दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उन्हें वैकल्पिक सहायता लेने को मजबूर होना पड़ता है।

अकबरपुर के अलावा अन्य शहरी क्षेत्रों में सड़क के किनारे या फिर गलियों में अस्थाई या फिर स्थाई निर्माण कराकर उसे काफी संकरा कर दिया है। अकबरपुर की घनी आबादी वाले मीरानपुर, शहजादपुर, शहजहांपुर समेत कई अन्य मोहल्लों की गलियां कहीं कहीं इतनी अधिक संकरी हैं कि एक साथ दो बाइक नहीं गुजर सकते। ऐसे में यदि संबंधित क्षेत्र में आग लगती है, तो ऐसी दशा में फायर ब्रिगेड को वाहन ले जाने में मुश्किल होती है। उन्हें दूर ही वाहन खड़ा करने को मजबूर होना पड़ता है। लगभग तीन वर्ष पहले मीरानपुर में ऐसे ही एक स्थान पर आग लग गई थी। फायरकर्मी पहुंचे, लेकिन वाहन अंदर तक नहीं पहुंच सका। ऐसे में उन्हें वैकल्पिक माध्यम से आग पर काबू पाना पड़ा। हालांकि इसमें समय लगा, जिससे काफी नुकसान हुआ। अकबरपुर के सुरेश कुमार व अनिल कुमार ने कहा कि जिम्मेदारों को चाहिए कि सड़क के किनारे किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाएं। जहां सड़क पतली है, उसे मानक के अनुरूप चौड़ा कराएं। इसी प्रकार से गलियों को भी मानक के अनुरूप चौड़ा कराएं, जिससे पुायर ब्रिगेड के वाहन आसानी से अंदर तक जा सकें। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक इस प्रकार की समस्या लगातार बनी रहेगी।

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