Anuj Encounter: Mukhtar shooters were killed one by one or were sent to jail the network was broken अनुज से पहले मुख्तार के ये खास शूटर भी एक-एक कर हो चुके हैं ढेर, कुछ जेल में तो कुछ ‘शरीफ’ हो गए, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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अनुज से पहले मुख्तार के ये खास शूटर भी एक-एक कर हो चुके हैं ढेर, कुछ जेल में तो कुछ ‘शरीफ’ हो गए

  • मुख्तार के शार्प शूटर अनुज एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया है। मुख्तार गिरोह पूर्वांचल से लेकर आसपास जिनके दम पर दबंगई करता था। बीते नौ साल में मुख्तार के खास शूटर एक-एक कर खत्म होते में गए। एनकाउंटर मारे गये या फिर जेल में हैं।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानMon, 31 March 2025 11:35 AM
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अनुज से पहले मुख्तार के ये खास शूटर भी एक-एक कर हो चुके हैं ढेर, कुछ जेल में तो कुछ ‘शरीफ’ हो गए

मुख्तार के शार्प शूटर अनुज एनकाउंटर में ढेर हो गया। एक समय था जब मुख्तार अंसारी अपने शूटरों मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, अनुज कन्नौजिया, मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज, हनुमान पांडे, अजीत सिंह, वाराणसी के मेराज समेत अन्य कई गुर्गों और शूटरों के जरिये पूर्वांचल से लेकर आसपास के प्रदेशों पर ‘कंट्रोल’ रखता था। इन शूटरों के जरिये न केवल हत्या, अपहरण, रंगदारी से आतंक फैलाया बल्कि सरकारी ठेकों पर कब्जे किए। करीब ढाई दशक तक सरकारी ठेकों में मुख्तार गिरोह की दखल रही। इन अपराधियों का इस्तेमाल मुख्तार ने राजनीतिक रसूख के लिए भी किया। हालांकि बीते नौ साल में मुख्तार के खास शूटर एक-एक कर खत्म होते गए। पुलिस एनकाउंटर में मारे गये या फिर जेल भेज दिये गये। कुछ ने राजनीतिक चोला पहन लिया और ‘शरीफ’ बन गए। गिरोह के नेटवर्क टूट गया।

मुख्तार अंसारी जब पंजाब के रोपड़ जेल से सात अप्रैल 2021 को यूपी के बांदा मंडल जेल लाया गया, इसके पहले से ही इस गिरोह का पतन शुरू हो गया था। मुख्तार पर जेल में शिकंजा कसता गया।

मारे गए शूटर

5 मार्च 2016 - मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज समेत दो की हत्या लखनऊ में।

9 जुलाई 2018- बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या।

9 अगस्त 2020- मुख्तार के करीबी हनुमान पांडे को एसटीएफ ने ढेर किया।

6 जनवरी 2021 - मुख्तार का फाइनेंसर रहा अजीत सिंह लखनऊ में मारा गया।

14 मई 2021- चित्रकूट के रगौली जेल में मेराज की हत्या।

7 जून 2023- लखनऊ कचहरी परिसर में संजीव जीवा माहेश्वरी की गोली मारकर हत्या।

29 मार्च 2025 - झारखंड के जमशेदपुर में एसटीएफ ने अनुज कन्नौजिया को मारा गिराया।

सलाखों के के पीछे भी हैं कई

मुख्तार गैंग के कई शूटर प्रदेश के विभन्न जेलों में बंद है। गाजीपुर के कुख्यात शूटर अंगद राय, अमित राय जेल में हैं। अंगद राय चर्चित शूटर रहा है। इसपर कई संगीन वारदातों के आरोप में रपट दर्ज है।

ये भी पढ़ें:एनकाउंटर में ढेर अनुज की पत्नी भी गैंगस्टर, इनकी शादी की कहानी भी फिल्मों जैसी
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मुख्तार के शार्प शूटर अनुज एनकाउंटर में ढेर हो गया। एक समय था जब मुख्तार अंसारी अपने शूटरों मुन्ना बजरंगी, संजीव जीवा माहेश्वरी, अनुज कन्नौजिया, मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज, हनुमान पांडे, अजीत सिंह, वाराणसी के मेराज समेत अन्य कई गुर्गों और शूटरों के जरिये पूर्वांचल से लेकर आसपास के प्रदेशों पर ‘कंट्रोल’ रखता था। इन शूटरों के जरिये न केवल हत्या, अपहरण, रंगदारी से आतंक फैलाया बल्कि सरकारी ठेकों पर कब्जे किए। करीब ढाई दशक तक सरकारी ठेकों में मुख्तार गिरोह की दखल रही। इन अपराधियों का इस्तेमाल मुख्तार ने राजनीतिक रसूख के लिए भी किया। हालांकि बीते नौ साल में मुख्तार के खास शूटर एक-एक कर खत्म होते गए। पुलिस एनकाउंटर में मारे गये या फिर जेल भेज दिये गये। कुछ ने राजनीतिक चोला पहन लिया और ‘शरीफ’ बन गए। गिरोह के नेटवर्क टूट गया।

मुख्तार अंसारी जब पंजाब के रोपड़ जेल से सात अप्रैल 2021 को यूपी के बांदा मंडल जेल लाया गया, इसके पहले से ही इस गिरोह का पतन शुरू हो गया था। मुख्तार पर जेल में शिकंजा कसता गया।

मारे गए शूटर

5 मार्च 2016 - मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज समेत दो की हत्या लखनऊ में।

9 जुलाई 2018- बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या।

9 अगस्त 2020- मुख्तार के करीबी हनुमान पांडे को एसटीएफ ने ढेर किया।

6 जनवरी 2021 - मुख्तार का फाइनेंसर रहा अजीत सिंह लखनऊ में मारा गया।

14 मई 2021- चित्रकूट के रगौली जेल में मेराज की हत्या।

7 जून 2023- लखनऊ कचहरी परिसर में संजीव जीवा माहेश्वरी की गोली मारकर हत्या।

29 मार्च 2025 - झारखंड के जमशेदपुर में एसटीएफ ने अनुज कन्नौजिया को मारा गिराया।

सलाखों के के पीछे भी हैं कई

मुख्तार गैंग के कई शूटर प्रदेश के विभन्न जेलों में बंद है। गाजीपुर के कुख्यात शूटर अंगद राय, अमित राय जेल में हैं। अंगद राय चर्चित शूटर रहा है। इसपर कई संगीन वारदातों के आरोप में रपट दर्ज है।

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दो ने ‘पीके’ से मिला लिया हाथ

दो बड़े अपराधियों ने मुख्तार के विरोधी खेमे से हाथ मिला लिया। सूबे के पूर्व डीएसपी का बेटा ‘पीके’ मुख्तार गिरोह का धुर विरोधी था। मुख्तार अंसारी गिरोह का पतन शुरू हुआ तो दो अपराधी पीके के साथ हो गए। अब वे पीके के साथ मिलकर प्रापर्टी डीलिंग का काम करते हैं।

जेल जाने के बाद कुछ ने चोला बदला, कुछ ने धंधा

मुख्तार अंसारी गिरोह पर कार्रवाई शुरू हुई तो वाराणसी में कुछ ने राजनीतिक चोला पहन लिया, कुछ ने अपना धंधा बदल लिया। कैंट क्षेत्र के चर्चित मछली कारोबारी से लेकर नदेसर के मुख्तार के खास रहे लोगों पर 2020-21 में कई मुकदमे दर्ज हुए। सभी जेल गए। जेल से छूटे तो अपने आपको बचाने में जुट गए।

कैंट क्षेत्र का मछली व्यापारी पूर्व में मुख्तार अंसारी की पार्टी का नेता था। अवैध कारोबार में जेल गया तो वह सत्ता पक्ष के एक मोर्चे का पदाधिकारी बन गया। अब तो वह छावनी क्षेत्र में बाकायदे छोटे-बड़े मामलों में राजनीतिक दबाव भी बनाने लगा है। इसी तरह पहड़िया क्षेत्र के दो गुर्गे थे। मुख्तार अंसारी के दौर में दूसरों पर रौब झाड़ने वाले ये गुर्गे अब सब्जी का ठेला लगाते हैं। अपराध का धंधा बंद कर शराफत का चोला ओढ़ लिये हैं।

चोला बदलते ही निगरानी भी बंद

वाराणसी पुलिस ने जिस मछली कारोबारी को जेल भेजा था, जेल से बाहर आने के बाद उसके चोला बदलते ही निगरानी बंद कर दी। कैंट पुलिस के मुताबिक उनके क्षेत्र में मुख्तार अंसारी गिरोह का कोई नहीं है। जबकि उक्त कारोबारी से लेकर नदेसर में मेराज के रिश्तेदार आदि मुख्तार गिरोह के नाम पर ही जेल भेजे गए थे। असलहा लाइसेंस के नवीनीकरण में जालसाजी करने के आरोप में नदेसर निवासी गुर्गा सलाखों के पीछे गया था।

मुख्तार के बाद गिरोह की निगरानी ढीली पड़ी

मुख्तार अंसारी की मौत के बाद वाराणसी में गिरोह की निगरानी भी ढीली हो गई है। डीसीआरबी में मुख्तार के गिरोह की सूची भी अपडेट नहीं है। जो पूर्व में थे, उनका नाम ही चल रहा है। गिरोह का कौन सदस्य कहां है, क्या कर रहा है, इसकी कोई जानकारी अपडेट नहीं है।