थानों में असलहे जमा कर भूल गए गोरखपुर के हजारों आर्म्स लाइसेंसधारी, कारण रोचक है
- गोरखपुर के लगभग दस हजार लोगों के आर्म्स थानों या दुकानों में जमा है जो वो वापस लेने नहीं जा रहे। एक वजह असलहे के लाइसेंस के नवीकरण का बढ़ा हुआ खर्च है तो दूसरा हर्ष फायरिंग में हो रही गिरफ्तारियां।

सुरक्षा के लिए रखे जाने वाले असलहे के शौकीन बहुत लोग हैं लेकिन बहुत लोग अब इन हथियारों से अपना पीछा छुड़ा रहे हैं। आर्म्स लाइसेंस के लिए पैरवी-मारामारी करने वाले गोरखपुर के लोग थानों में जमा असलहे वापस ले जाना ही भूल गए। गोरखपुर में दस हजार से ज्यादा असलहे थानों या दुकान पर जमा हैं लेकिन लाइसेंसधारक उन्हें वापस नहीं ले जा रहे हैं। चुनाव के दौरान इनकी सूची तैयार की गई थी और अब इन असलहों के लाइसेंस निरस्त करने के लिए पुलिस ने रिपोर्ट भी भेज दी है। असलहे से मोहभंग के पीछे प्रशासन की सख्ती और नवीनीकरण का बढ़ा शुल्क वजह मानी जा रही है। कई ऐसे लाइसेंसधारक भी हैं, जिनका निधन हो चुका है।
एक दौर वह भी था, जब सिंगल और डबल बैरक बंदूक की धमक होती थी। लोग इसे स्टेटस से भी जोड़कर देखते थे। अब आलम यह है कि इनके सालाना नवीनीकरण का शुल्क बंदूक की कीमत से ज्यादा है। नवीनीकरण की प्रक्रिया भी सख्त कर दी गई है। मसलन, नवीनीकरण के समय आप को खुद फायरिंग करने जाना ही होगा। पहले बिना जाए भी रिपोर्ट लग जाती थी। यही वजह है कि लोगों का अब इन असलहों से मोहभंग हो रहा है और वे उसे थाने या फिर दुकानों में जमा कर दूरी बनाना चाहते हैं।
जेल जाने की वजह भी बन जाते हैं असलहे का गैर-कानूनी इस्तेमाल
पुलिस के लिए ऐसे असलहे बोझ बन गए हैं। पुलिस इन असलहों को लिखा-पढ़ी में जमा करती है और उन्हें सही सलामत लौटाना भी होता है। थानों में जमा असलहे की सफाई भी पुलिस को करनी पड़ती है। लाइसेंसी असलहे जेल जाने की वजह भी बने हैं। सोशल मीडिया के दौर में अगर हर्ष फायरिंग करते समय या फिर किसी विवाद में असलहा निकला और उसकी फोटो वायरल हुई तो फिर पुलिस आर्म्स एक्ट का केस दर्ज कर लाइसेंसधारी को जेल भेज देती है।
पुलिस ने असलहों के मालिक से कई बार पत्राचार किया है लेकिन वे लेने नहीं आ रहे हैं। शहर के सिटी एसपी बताते हैं कि थानों में जमा असलहों के लाइसेंस निरस्त करने की रिपोर्ट भेजी गई है। कई लाइसेंस कैंसिल हो चुके हैं। बचे असलहों के लाइसेंस भी निरस्त कराए जाएंगे।