Challenges Faced by Provincial Armed Constabulary PRD Personnel Demands for Equal Treatment and Resources बोले बरेली: पीआरडी जवानों को छह-छह महीने तक न करना पड़े वेतन का इंतजार, समय पर हो भुगतान, Bareily Hindi News - Hindustan
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बोले बरेली: पीआरडी जवानों को छह-छह महीने तक न करना पड़े वेतन का इंतजार, समय पर हो भुगतान

Bareily News - प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवानों को ड्यूटी के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जैसे संसाधनों की कमी, उचित मानदेय का न मिलना, और वर्दी का अभाव। वे लंबे समय से अपनी समस्याओं का समाधान...

Newswrap हिन्दुस्तान, बरेलीMon, 3 March 2025 02:40 AM
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बोले बरेली: पीआरडी जवानों को छह-छह महीने तक न करना पड़े वेतन का इंतजार, समय पर हो भुगतान

प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवानों को अपनी ड्यूटी निभाने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चाहे सर्दी हो या गर्मी, वे बिना किसी सुरक्षा साधन के अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभालते हैं। संसाधनों की कमी, ड्यूटी में भेदभाव और उपयुक्त मानदेय का न मिलना जैसी समस्याओं से ये लगातार परेशान रहते हैं। इसके अलावा वर्दी, टॉर्च, और अन्य जरूरी सामान भी इन्हें विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता। समस्याओं का समाधान और बेहतर सुविधा की मांग को लेकर ये लंबे समय अपनी आवाज उठा रहे हैं। चाहे सर्दी हो धूप हो या बारिश, हमें ड्यॺूटी ईमानदारी से करनी है। सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा अपने कंधों पर रखना है। हम लोगों की सुरक्षा की चिंता करते हैं पर हमारी दिक्कतें ही कोई नहीं समझ रहा है। यह कहना है प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवानों का। बोले-संसाधनों का अभाव, डॺ्यूटी लगाने में भेदभाव, जवानों की संख्या ज्यादा होने से कई-कई दिन तक घर में बैठना पड़ता है। काम के अनुरूप पैसा न मिलना जैसी कई समस्याएं परेशान किए हैं। कार्यस्थल पर साफ पानी तक नसीब नहीं होता। ड्यॺूटी ऐसी जगह लगाई जाती है जहां आने-जाने के लिए संसाधन भी नहीं होते। वे होमगार्ड के बराबर सम्मान मिलने की मांग कर रहे हैं। पर्याप्त ड्यूटी न मिलने से भी काफी परेशान हैं। वहीं मेडिकल क्लेम से लेकर अन्य कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य सेवाएं मिलने की मांग कर रहे हैं।

चौराहों और प्रमुख सड़कों पर ट्रैफिक का दायित्व संभाल रहे प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान अपनी ड्यॺूटी तो पूरी तत्परता से निभा रहे पर इन्हें सुख-चैन नसीब नहीं। धूप-छांव की परवाह किए बिना सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को चैन की नींद देने वाले जवानों को संसाधनों और सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा। न दिन में सुकून है और न रात में चैन। जब चाहे जहां चाहे डॺूटी लगा दी जाती है। संख्या के अनुसार पर्याप्त ड्यूटी उपलब्ध नहीं है, ऐसे में कई-कई दिन तक घर में ही बैठना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान के सामने यह दर्द प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) ने बयां किया। वह लंबे समय से पीआरडी जवानों के हकों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि ड्यूटी लगाने में भी भेदभाव होता है।

कम संख्या होने के बाद भी उन्हें पर्याप्त ड्यूटी नहीं मिलती है। ऐसे में कई-कई दिन तक घर में ही बैठना पड़ता है। जवानों ने बताया कि उन्हें वर्दी तक नहीं मिलती है। वर्दी भत्ता न मिलना भी बड़ी समस्या है। ऑनलाइन पोर्टल से 70 किमी दूर तक ड्यूटी लगा दी जाती है। 20 से 30 किलोमीटर के एरिये में पीआरडी जवानों की ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। ब्लॉक वाइज ड्यूटी लगेगी तो बड़ी राहत मिलेंगी। कुछ लोगों को तो लगातार ड्यूटी मिल जाती है जबकि कई जवानों को महीनों बैठना पड़ता है। रोस्टर व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं है। बैंक में प्रत्येक पीआरडी जवान का दुर्घटना बीमा के लिए खाता खुलवाने में हीलाहवाली हो रही है। समस्या उठाने पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाकर उत्पीड़न कर धमकाया भी जाता है। पीआरडी जवानों ने कहा कि जवानों की प्रतिमाह आईटीआई, पॉलीटेक्निक, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय व अन्य संस्थानों में ड्यूटी लगाई जाती है। वहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है। कार्यस्थल पर उन्हें न तो शुद्ध पानी नसीब होता है, न बैठने के लिए स्थान और छाया। रात की ड्यूटी तो और मुश्किल होती है। दूर-दराज और सुनसान जगह की ड्यूटी करने में उनकी जान को खतरा बना रहता है। कई जवानों को रायफल का प्रशिक्षण दिया गया है पर विभागीय रायफलें पुलिस लाइन में ही जमा हैं।

एनआईसी से ड्यूटी पोर्टल किया जाए लिंक

पीआरडी जवानों ने बताया कि जिस पोर्टल से उनकी ड्यूटी लगाई जाती है वह युवा कल्याण विभाग ने प्राइवेट खरीदकर बनवाया है। इसे एनआईसी से लिंक कराया जाए। पोर्टल लिंक होने के बाद उसी से ड्यूटी लगाई जाए। ड्यूटी लगाने में भौगोलिक जोन हटाकर सभी से तीन-तीन ड्यूटी स्थान भरवाएं जाए ताकि सभी अपने घर के पास में ड्यूटी कर सके।

होमगार्ड्स की तरह पीआरवी में लगाई जाए ड्यूटी

प्रांतीय रक्षक दल के जवानों ने बताया कि होमगार्ड्स की तरह उनका भी वेतन 918 रुपये किया जाए, इसके साथ ही नियमति ड्यूटी लगाई जाए। होमगार्ड्स की तरह पीआरवी डायल 112 में पीआरडी जवानों की तैनाती की जाए। इसके साथ ही डीएम आवास, बैंक आदि में ड्यूटी लगाई जाए।

घायल आदि होने पर नहीं मिलती कोई सुविधा

ड्यूटी के दौरान घायल आदि होने पर भी पीआरडी जवानों को कोई सरकारी राहत नहीं दी जाती है। बताया कि राहत देना तो दूर की बात है कोई उनका हाल तक लेने वाला नहीं है। पीआरडी राहत कोष होने के बाद भी इस कोष से उन्हें न तो कोई सुविधा मिलती है और न कोई राहत मिलती है। सभी का कहना है जिले में उनकी समस्या सुनने वाला कोई अधिकारी भी नहीं है। जिससे वह अपना दुखड़ा रो सके।

न टॉर्च दी जाती और न वर्दी

प्रांतीय रक्षक दल के जवानों ने बताया कि विभाग की ओर से न तो उन्हें टॉर्च दी जाती है और न ही वर्दी। डंडा और जूते भी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। सारे संसाधनों का खर्च अपने मानदेय से उठाना होता है। कभी-कभी ड्यूटी ऐसे स्थानों पर लग जाती है जहां परिवहन का साधन तक उपलब्ध नहीं होता है। धन उगाही के चक्कर में ऑनलाइन ड्यूटी सिस्टम में भी सेंध लगा कर जिम्मेदार मनमानी करते हैं।

शस्त्र प्रशिक्षण लेकर भी डंडों के सहारे ड्यूटी

पीआरडी जवानों को पहले 22 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता था पर नए आदेशों के अंतर्गत अब होमगार्ड के समान 45 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। विभाग ने उनकी रायफलें पुलिस लाइन में जमा करवा दी हैं। उन्हें सिर्फ डंडों के सहारे ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में किसी भी आपात स्थिति में जवानों के पास आत्मरक्षा या कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उचित संसाधन तक नहीं हैं। कई बार अफसरों के सामने यह मांग उठाई पर इस समस्या का समाधान नहीं निकल सका, इसे सुधारवाना चाहिए।

लोकसभा चुनाव का मेहनताना अब तक बकाया

लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले कुछ जवानों को अब तक उनका मेहनताना नहीं मिल सका है। इन जवानों के लाखों रुपये भुगतान का अटका हुआ है। समय पर मेहनताना नहीं मिलने की वजह से जवानों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। पीआरडी जवानों ने बताया कि उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग जनपदों के साथ कई अन्य प्रांतों में अपने खर्च पर ड्यूटी की थी पर अब तक उन्हें मेहनताना न मिलने से उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। इनका कहना है कि अगर इसी तरह होता रहा तो परिवार कैसे चलाएंगे।

बैठने को न भवन न बेंच

पीआरडी जवानों का स्वयं का कोई दफ्तर नहीं है। ट्रैफिक पुलिस लाइन में जिस जगह से ड्यूटी लगने के साथ बायोमैट्रिक होती हैं वहां केवल चार कुर्सियां डाली गई है। दफ्तर के परिसर में बैठने के लिए एक भी बेंच नहीं है। इस वजह से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

पीआरडी जवान की मौत के बाद मिले फंड

पीआरडी जवान की मौत के बाद उसके आश्रित को नौकरी तो मिल जाती है, लेकिन फंड नहीं मिलता। इससे उसके परिवार को काफी परेशानी होती है। पीआरडी जवान बराबरी का दर्जा, समान कार्य और समान वेतन मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

2019 के बाद से नहीं हुई कोई भर्ती

जिले में 2019 में कुछ पीआरडी जवानों की भर्ती हुई थी। उसके बाद से अभी तक पीआरडी जवानों की कोई भर्ती नहीं हुई। अगर पीआरडी जवानों की भर्ती हुई तो जिले में पीआरडी जवानों की संख्या में इजाफा होगा। पीआरडी जवानों को समय समय पर ट्रेनिंग भी दी जाती है।

आर्थिक और सामाजिक स्तर पर होगा सुधार

वित्तीय वर्ष 2025-26 से पीआरडी को 500 रुपये प्रतिदिन का मानदेय प्राप्त होने लगेगा जो कि उत्तर प्रदेश सरकार का एक बहुत ही सराहनीय कदम है। इससे समस्त पीआरडी जवानों के आर्थिक स्तर में वृद्धि होगी, जिससे जवानों के सामाजिक स्तर पर भी प्रतिष्ठा में सुधार होगा। इसके अलावा भी पीआरडी की अन्य समस्याओं पर सरकार द्वारा विचार किया जा रहा है। जल्द ही उनके द्वारा की जा रही मांग भी पूरी की जाएंगी।

सुझाव:

1. सभी को नियमित मिले ड्यूटी, कोई भी न रहें विरत

2. वर्दी भत्ता पीआरडी जवानों को मिले।

3. टीए,डीए की मिले सुविधा।

4. सम्मान के साथ साथ मिले समान मानदेय

5. मेडिकल क्लेम मिले और साथ ही लगाए जाए मेडिकल कैंप

6. सभी जवानों की सार्वजनिक स्थलों पर उनकी तैनाती की जाए।

7. प्रशिक्षित जवानों को डंडे के बजाए हथियार दिए जाएं।

8. लोकसभा चुनाव का मेहनताना जल्द जारी किया जाए।

9. ड्यूटी पर आने-जाने का खर्च सरकार उठाए, साधन उपलब्ध हों।

10. जवानों को उनके थाना क्षेत्र के आसपास तैनात किया जाए।

शिकायतें:

1. पीआरडी जवानों को मिलता है बहुत कम मानदेय।

2. 70 किलोमीटर दूर तक लगाई जाती है ड्यटी।

3. ऑनड्यूटी मौत होने पर नहीं मिलता कोई फंड।

4. पीआरडी जवानों को नहीं मिलता होमगार्ड के बराबर सम्मान।

5. पीआरडी जवानों को हर माह नहीं मिलती पर्याप्त ड्यूटी।

6. जवानों को सिर्फ 395 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं, घर-परिवार चलाना मुश्किल है।

7. प्रशिक्षित जवानों को रायफल न देकर डंडा पकड़ा दिया जाता।

8. लोकसभा चुनाव के अटके रुपये जल्द दिया जाए।

9. ड्यूटी के लिए वर्दी तक नहीं दी जाती है।

10. जवानों को उनके घर एवं थाना क्षेत्र से दूर तैनात करने से आवागमन में दिक्कत होती है।

हमारी भी सुनिए:

होमगार्ड के बराबर मानदेय मिलना चाहिए। समान कार्य समान वेतन मिलना चाहिए। साथ ही बराबरी का दर्जा भी मिलना चाहिए। - अमर सिंह सोमवंशी

काफी दूर ड्यूटी लगती है। आने जाने में ही काफी खर्च हो जाता है। पीआरडी जवान को यात्रा एवं भोजन भत्ता आदि की सुविधा मिले। - अंकित शर्मा

पीआरडी जवान को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलना चाहिए। किसी तरह की कोई स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पीआरडी जवान को नहीं मिलता है। - दिनेश चंद्र पांडेय

नई भर्ती होनी चाहिए। पिछले कई वर्षों से पीआरडी जवानों की कोई भर्ती जिले में नहीं हुई है। महिलाओं और पुरुषों की बराबर भर्ती होनी चाहिए। - बुद्धसेन गंगवार

समय-समय पर मेडिकल कैंप लगने चाहिए। मेडिकल कैंप में नि:शुल्क चेकअप होना चाहिए। इससे समय रहते बीमारियों का पता चल जाएगा। - राजवीर सिंह

मानदेय काफी कम है। वैसे तो एक अप्रैल से मानदेय बढ़ेगा, लेकिन होमगार्ड के बराबर मानदेय होना चाहिए। मानदेय बढ़ने से काफी राहत होगी। - अजय कुमार पाठक

हमें कोई भी छुट्टी नहीं मिलती है। जितनी ड्यूटी करते हैं उनका पैसा मिलता है। सरकारी कर्मचारियों की तरह पीआरडी जवानों को छुट्टी भी मिलनी चाहिए। - सुरेंद्र कुमार कश्यप

सभी पीआरडी जवानों को महीने भर ड्यूटी मिलनी चाहिए। हर किसी को पैसे की जरूरत है। इस पर सरकार व जिम्मेदारों को ध्यान देने की जरूरत है। - धर्मेंद्र कुमार

पीआरडी जवानों के बीमार होने पर उन्हें मेडिकल क्लेम आदि का लाभ मिलना चाहिए। इस तरह की सुविधाओं से पीआरडी जवानों का वंचित रखा गया है। - गेदन लाल

पीआरडी जवानों की नजदीक में ही ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। अगर ऐसा होगा तो पीआरडी जवानों को बड़ी राहत मिलेगी। इस बारे में सोचा जाना चाहिए। - मोहित मिश्रा

वर्दी भत्ता बेहद जरूरी है। इतना मानदेय नहीं मिलता कि उसमें वर्दी की व्यवस्था भी की जाए। इस समस्या का निराकरण किया जाना चाहिए, जो बेहद जरूरी है। - शीलरतन

दुर्घटना बीमा बेहद जरूरी है। सभी पीआरडी जवानों को दुर्घटना बीमा मिलना चाहिए। साथ ही सभी को ड्यूटी मिले ताकि कोई भी खाली घर में न बैठे। - गंगाराम शर्मा

अगर कोई पीआरडी जवान ऑनड्यूटी सड़क दुर्घटना में अपंग हो जाता है तो उसे सरकार द्वारा फंड मिले और उसका उपचार का खर्च भी सरकार उठाए। - बनवारी लाल

सरकारी कर्मचारियों की तरह पीआरडी जवानों को छुट्टी भी मिलनी चाहिए। फंड मिले और उपचार खर्च भी सरकार की ओर से सभी को दिया जाना चाहिए। - नरोत्तम सिंह

हर महीने ड्यूटी नहीं मिलने पर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है। महंगाई के दौर में मासिक 11,700 रुपये काफी कम है। हम पर कोई भी ध्यान नहीं देता है। - हेमकरन लाल

हम होमगार्ड की तरह काम करते हैं। इसलिए सामान काम के बदले हमें भी समान दाम 700 रुपये रोजाना देय होना चाहिए। लेकिन हमें बहुत कम देय होता है। - महीपाल

संवेदनशील जगहों पर बिना शस्त्र ड्यूटी करना जोखिम भरा है। यहां तैनाती करने पर प्रशिक्षण और हथियार दिए जाए। ड्यूटी स्थलों पर छांव और पानी की व्यवस्था की जाए। - उमाशंकर गुप्ता

लोकसभा चुनाव ड्यटी का कई साथियों का मेहनताना अभी भी रुका हुआ है। कई बार चक्कर लगाने के बाद भी उसे नहीं किया गया। जल्द भगुतान किया जाए। - नेत्रपाल

मूलभुत सुविधाओं के बिना ड्यूटी करना बेहद कठिन और थकाने वाले है। सर्दी और गर्मी में दो बार वर्दी मिलनी चाहिए। आने-जाने के लिए वाहन भत्ती भी नहीं मिलता। - छत्रपाल

देश की रक्षा करने वाले जवानों की तरह ही रक्षक दल के जवानों का भी सम्मान किया जाए। मानदेय के साथ यात्रा भत्ता भी हर हाल में दिया जाए। ड्यूटी के लिए दूर न भेजा जाए। - खुर्शीद मियां

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