Exciting Ramleela Festival in Babhnan Key Performances on Day 7 लंका दहन, कुंभकर्ण व मेघनाद वध से बौखलाया रावण, Basti Hindi News - Hindustan
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लंका दहन, कुंभकर्ण व मेघनाद वध से बौखलाया रावण

Basti News - - बभनान रामलीला महोत्सव का सातवां दिन फोटो परिचय - लंका दहन व कुंभकर्ण

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीTue, 29 Oct 2024 01:38 AM
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लंका दहन, कुंभकर्ण व मेघनाद वध से बौखलाया रावण

बभनान। हिन्दुस्तान संवाद नगर पंचायत बभनान के रामलीला मैदान में चल रही आठ दिवसीय रामलीला महोत्सव में सातवें दिन श्री धनुषधारी अवध आदर्श मानव सेवा संस्थान संचालक पंडित विश्राम पाण्डेय मंडली के कलाकारों द्वारा लंका दहन, लक्ष्मण शक्ति,कुंभकरण वध,मेघनाद वध का मंचन किया गया। जिसका मंचन देख देख दर्शक रोमांचित होते रहे।

हनुमान जी प्रभु श्रीराम की आज्ञा से समस्त बंदर भालुओं समेत माता सीता को खोजते हुए समुद्र के तट पर आ पहुंचते हैं। गिद्ध सम्पाती से उनकी भेंट होती है। वो कहता है कि जो भी इस सौ योजन समुद्र को पार करके गिरी त्रिकूट पर बसी लंका नगरी में जाएगा। वहीं माता सीता की सुधि ला सकता है। सभी बंदर भालू अपने अपने बल का बखान करते है किंतु कोई भी माता सीता की सुधि पाने में स्वयं को स्मर्थ नहीं पाता। तब जामवंत जी हनुमान जी को उनके बल का ध्यान कराते हैं। जामवंत जी कहते हैं कि हे हनुमान जी आपका अवतार तो प्रभु श्री राम चंद्र जी के कार्य के लिए ही हुआ है। जागिए पवनपुत्र जागिए। बस इतना सुनते ही बजरंग बली विशाल स्वरूप धारण कर लेते हैं और एक ही छलांग में समुद्र के उस पार चले जाते हैं। अत्यंत दुखी माता सीता को अशोक वाटिका में बहुत प्रकार से समझाते हैं। तत्पश्चात रावण की सुंदर अशोक वाटिका को तहस नहस कर डालते हैं। रावण क्रोधित होकर अपने पुत्र इंद्रजीत को हनुमान जी को बांधने के लिए भेजता है। हनुमान जी रावण की प्रभुता को देखने के बध कर उसकी सभा में जाते हैं फिर रावण को बहुत प्रकार से समझाते हैं किंतु वो उनकी बातों को मानने के बजाय उनकी पूछ में आग लगा देता है। हनुमंत लाल उसी आग से समस्त लंका नगरी को जला डालते हैं फिर माता सीता की सुधि प्रभु तक पहुंचाते हैं। प्रभु की जय जयकार करते हुए भगवान की सेना लंका में आ जाती है। लक्ष्मण और मेघनाद में घनघोर युद्ध होता है। मेघनाद लक्ष्मण जी पर शक्ति का प्रयोग कर देता है। जिससे वो मूर्छित हो जाते है। सुषेन वैद्य द्वारा बताई हुई बूटी को लाने के लिए हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पर जाते हैं किंतु बूटी की पहचान न होने के कारण पूरा पर्वत ही उठा लाते हैं। लक्ष्मण जी का उपचार संजीवनी से हो जाता है और वो जाग उठते हैं। भगवान कुंभकरण का वध करते हैं। इसके बाद मेघनाद भी लक्ष्मण जी के हाथों मारा जाता है। इस मौके पर राधेश्याम जायसवाल, सम्पूर्णानंद जायसवाल, शंकर कसौधन, महेश भुज सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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