Kanshiram Housing Scheme Faces Severe Problems Residents Struggle with Basic Amenities बोले बस्ती : जर्जर और असुरक्षित हो गया गरीबों का आवास, Basti Hindi News - Hindustan
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बोले बस्ती : जर्जर और असुरक्षित हो गया गरीबों का आवास

Basti News - बस्ती में कांशीराम आवासीय योजना के तहत बने आवासों में अब गंभीर समस्याएं आ रही हैं। यहां रहने वाले लोगों को बिजली, पानी, सफाई और सुरक्षा की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जर्जर भवन, टूटे फर्श और जल...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीWed, 16 April 2025 07:34 PM
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बोले बस्ती : जर्जर और असुरक्षित हो गया गरीबों का आवास

Basti News : गरीबी के दौर में सिर पर छत नहीं थी। आशियाने के अभाव में खुले आसमान के नीचे जीवनयापन मजबूरी थी। इसी दौरान सरकार शहरी गरीबों के लिए कांशीराम आवासीय योजना आई और बस्ती में लगभग एक हजार आवासों का निर्माण हुआ। तीन फेज में बनने के बाद कांशीराम आवास गरीबों को आवंटित हुआ। लगभग एक दशक पहले स्थापित इन भवनों में रह रहे लोगों के सामने अब समस्याओं का अंबार है। बिजली, पानी, मेंटिनेंस, सफाई से लेकर सुरक्षा तक की समस्याएं खड़ी हैं। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में यहां रहने वाले लोगों ने अपनी परेशानियां साझा कीं। शहर से सटे मिश्रौलिया और डारीडीहा में बने कांशीराम शहरी आवास में जर्जर हो रहे भवन, टूटे फर्स और दीवारों के उजड़ रहे सीमेंटेड प्लास्टर निवासियों को डरा रहे हैं। यहां पर रहने वाले लोगों के पास निवास के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है। काशीराम आवास में रहने वाले गरीब तबके के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। यहां के लोगों का कहना है कि जब से आवास बनकर आवंटित हुआ तब से लेकर अब तक आवास की मरम्मत नहीं हुई। कांशीराम आवास में कूड़ा फेंकने की कोई व्यवस्था नहीं है। डारीडीहा कांशीराम आवास के सामने परिसर में एक छोटा सा पार्क बनवाया गया था, लेकिन उसका सौंदर्यीकरण नहीं हुआ। यहां पर रहने वाले लोग वहीं पर कूड़ा फेंकते हैं। निवासियों का कहना है कि बच्चों के खेलने के लिए कहीं कोई स्थान नहीं है। नालियों का पानी सड़कों पर पसरा रहता है। घर के कमरों के पानी की भी जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पर महिलाएं और लड़कियां घरों का पानी वाइपर से खींचकर निकालती हैं। चार फ्लोर में बने आवास लोगों को आवंटित हैं। तीसरे व चौथे तल पर लोग अपनी जान की बाजी लगाकर आते-जाते हैं, क्योंकि यहां पर सीढ़ियों के फर्स इस तरह से टूट गए हैं कि बच्चों के पैर कब फिसले, यह कुछ कहा नहीं जा सकता है। यहां के निवासी अमजद आलम का कहना है कि अन्य मौसम में जैसे-तैसे हम लोग रह लेते हैं लेकिन बरसात के दिनों में यहां रहना बहुत मुश्किल हो जाता है। छत से पानी टपकता रहता है। हम लोग किसी तरह से घर का सामन सुरक्षित रखकर एक कोने में बैठकर पूरी रात बिताते हैं। आवास के खिड़िकियों के शीशे टूट गए हैं। यहां लोग खिड़कियों पर दफ्ती और कागज लगाकर रहते हैं। जलनिकासी और कूड़ा हटवाने की व्यवस्था नहीं होने से संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना रहता है। कांशीराम आवास क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट नहीं लगा है। क्षेत्र में शाम से लेकर रात तक पूरी तरह से अंधेरा हो जाता है। किचन के दरवाजे टूटे हैं। लोगों का कहना है कि हम लोग खुद मरम्मत कराते हैं।

गरीब अपना पैसा लगाकर बना रहे शौचालय : मिश्रौलिया कांशीराम आवास योजना निर्माण के समय बना शौचालय अब टूट गया है। जिससे लोगों को शौचालय जाने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रविवार को मिश्रौलिया के आवास में एक मकान में रहने वाले लोग अपने पैसे और मिस्त्री को लगाकर ईंट रखकर शौचालय बनवाते दिखे। उन लोगों का कहना है कि इस तरह से नरक भोगने से तो अच्छा है कि हम लोग अपने खर्चे में से पैसा बचाकर ईंट, मोरंग, सीमेंट खरीदकर लाकर शौचालय और किचन की व्यवस्था कर लें।

कट केबल और टूटे कटाउट वाले बोर्ड से है खतरा

डारीडीहा और मिश्रौलिया के आवासों में लगभग हर आवास में कट केबिल और कटाउट के बोर्ड जीर्णशीर्ण अवस्था में नीचे की तरफ लटक रहे हैं। इससे यहां पर रहने वाले लोगों के जान की खतरा बना रहता है। लोगों का कहना है कि अंधेरे में हाथ पड़ जाने से कई बार बिजली के हल्के झटके लग चुके हैं। लेकिन इसका डर रहता है कि कहीं घर का कोई सदस्य इसकी चपेट में न आ जाए, जिससे असमय ही उसे अपनी जान गंवानी पड़े।

टूटी सड़कों पर जलभराव बन रहा हादसे का कारण

कांशीराम आवास मिश्रौलिया में टूटी इंटरलॉकिंग सड़क और सड़कों पर कीचड़ के साथ फैला नाली का गंदा पानी यहां के लोगों के लिए जानलेवा बना गया है। यहां के बच्चे, बूढ़े, युवा, महिलाएं और युवतियों को आवागमन में काफी बच कर चलना पड़ता है। टूटी इंटरलाकिंग सड़क पर पैर फिसलने से लोगों के हाथ पैर टूटने का खतरा बना रहता है। बच्चों के लिए तो सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बच्चे टूटी सड़कों से आते-जाते समय अक्सर गिरकर चोटिल हो जाते हैं। महिलाओं और युवतियों को तो और भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जरा सा चुक हुई नहीं कि वह सड़क पर गिर पड़ती हैं। जिससे उन्हें आवागमन में काफी परेशानी होती है। पार्कों में पेड़ लगा दिए जाने से बच्चे पार्क में खेलने भी नहीं जा पाते हैं। यहां पर रहने वाले बुजुर्ग रामसुमेर का कहना है कि मुझे गठिया हुआ है चलने में बहुत दिक्कत होती है इसीलिए घर के सामने कुर्सी रखकर बैठा रहता हूं। घूमने के लिए भी नहीं जा पाता हूं क्योंकि इसका डर रहता है कि कहीं मैं गिर न जाऊं।

तीन सफाईकर्मी के जिम्मे है 892 आवासों की सफाई

यहां पर रहने वाले लोगों ने बताया कि वैसे तो सफाई कर्मियों की संख्या ज्यादा है लेकिन सिर्फ तीन सफाई कर्मी ही सफाई करने के लिए आते हैं। वह भी रोज नहीं आते हैं। शिकायत करने पर कहा जाता है कि सफाई कर्मियों को अधिकारियों के यहां सफाई के लिए लगाया गया है तो यहां कैसे आएंगे। लोगों का कहना है कि जबकि मिश्रौलिया कांशीराम आवास में कुल 75 ब्लॉक में 892 आवास हैं। हर आवास में चार से पांच लोग और उससे अधिक लोग रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सफाई कर्मियों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है।

दुश्वारियां भरी जिंदगी जीते हैं मिश्रौलिया के लोग

मिश्रौलिया कांशीराम आवास में रहने वाली अफसाना खातून ने बताया कि हम लोग दुश्वारियों में जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। यहां पर बने आवास के दीवार के बीच में दरार आ गई है। प्लास्टर टूट गया है। तेज आंधी या भूकंप आने पर यहां जर्जर हो चुके आवासों के ढहने का खतरा बना रहता है। दहशत में हम लोगों का परिवार यहां पर जीवनयापन कर रहा है। यहां घरों के गंदे पानी के निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। हम लोगों के घरों के सामने और सड़क पर घरों का गंदा पानी जमा रहता है जिससे हम लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। कभी-कभी तो घर से निकलते समय पैर फिसल जाता है और हम लोग घर के सामने जमा नाली के गंदे पानी में गिरकर चोटिल हो जाते हैं। सबसे अधिक समस्या बच्चों के लिए होती है। नाली के गंदे पानी और कूड़ों के सडांध भरे दुर्गन्ध में रहने के आदि हो गए हम लोग। चौथे तले की छत पर जो रेलिंग लगा है उसका ईंटा भी टूट कर गिर गया है। घरों के सामने लगे छज्जे ज्यादातर टूट कर गिर गए हैं। जो बचे हैं वह जर्जर स्थिति में है। डर लगा रहता है कि कहीं किसी के ऊपर छज्जा टूटकर न गिर जाए। घरों के किचन और वॉसरूम के पाइप तक टूट गए हैं। हम लोगों को पानी निकालने के लिए बर्तनों का प्रयोग करना पड़ता है। अंजुम खान ने बताया कि पूरे आवास की इंटरलाकिंग और आवास के अगल-बगल जलजमाव के कारण यहां पर अक्सर सांप सहित अन्य जहरीले जानवर निकलते हैं।

आवासों में रह रहे असामाजिक तत्व

मिश्रौलिया कांशीराम आवास में आसामाजिक तत्व भी रहते हैं जो दिन के समय कम लेकन रात के समय में काफी संख्या में सक्रिय हो जाते हैं। इससे भी यहां के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोगों का कहना है कि ऐसे लोग शाम होते ही चौराहे पर इकट्ठा हो जो हैं इससे घर की महिलाओं को आने-जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

घरों की दीवार के पास लगे पेड़ से भी रहता है खतरा

मिश्रौलिया में कांशीराम आवास में घरों के आगे-पीछे घने पेड़ों के चलते लोग सहम रहते हैं। लोगों का कहना है हम लोग पेड़ की टहनियां कटवाते रहते हैं, क्योंकि तेज आंधी आने पर घरों के ऊपर पेड़ों के गिरने का खतरा बना रहता है। घरों की दीवार के बीच दरारों में भी अनावश्यक पेड़ उग आए हैं जो आवास में अपनी जड़ें बना रहे हैं इससे भी खतरा है लेकिन यह सब देखने वाला कोई नहीं है। हम लोग किसी तरह से जीवन बीता रहे हैं।

शिकायतें

- एक दशक पहले बना भवन व फर्स जर्जर हो रहा है।

- 800 से अधिक आवास होने के बाद भी कूड़ा फेंकने की व्यवस्था नहीं है।

- कांशीराम आवास से जल निकासी की व्यवस्था नहीं है।

- आवास की खिड़कियां टूट गई हैं, उसे कार्डबोर्ड से ढंका गया है। उनकी मरम्मत होना चाहिए।

- कांशीराम आवास में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था नहीं है। इस कारण रात के समय परिसर में अंधेरा हो जाता है।

सुझाव

- जर्जर भवनों व फर्स की मरम्मत होना चाहिए।

- कांशीराम आवास में कूड़ा फेंकने के लिए सुनिश्चत स्थान हो।

- कांशीराम आवास से जल निकासी के लिए नालों का निर्माण और उसकी कनेक्टिविटी होना चाहिए।

- खिड़कियों की मरम्मत के साथ साथ शीशे लगाए जाने चाहिए।

- कांशीराम आवासीय क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट लगना चाहिए, जिससे रात में प्रकाश रहे।

हमारी भी सुनें

कांशीराम आवास में छह परिवारों का चैंबर एक होने से शौचालय का चैंबर चोक हो जाता है, जिससे काफी समस्या होती हैं। शिकासत के बाद कोई सुनवाई नहीं हुई।

नरेंन्द्र कुमार

आवास में नालियां क्षतिग्रस्त हो गईं है। गंदा पानी बिंल्डिग के अंदर चला जाता है, जिससे नींव कमजोर होने का खतरा रहता हैं। पूरे भवन के सुरक्षा का खतरा पैदा हाहे गया है।

अमजद अली

नालियां चोक होने से परिसर में दुर्गंध फैला रहता हैं, जिससे परिसर में निवास कर रहे लोगों को बीमार होने का खतरा बना रहता हैं। नालियों की साफ-सफाई होनी चाहिए।

मो़. असलम

आवसीय परिसर बहदाली की मार झेल रहा है। निर्माण के बाद कभी परिसर की रंगाई-पुताई नहीं हो सकी है। निवास कर रहे परिवार अपने खर्चे से मरम्मत कराते हैं।

अली अमजद

बरसात में आवसीय परिसर में काफी समस्या होती है। जल निकासी की व्यवस्था न होने से आवासों में गंदा पानी घुस जाता हैं। यहां पर नाली बनना चाहिए।

अमरनाथ पांडेय

परिसर की सभी नालियों का ढक्कन टूट गया है, जिससे आए दिन छोटे बच्चे गिरकर चोटिल हो रहे हैं। आवसीय परिसर का छज्जा कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया है।

अमीरुन्निशा

आवसीय परिसर की सड़के पूरी तरह से बदहाल हो गई हैं। बरसात में सड़कों पर जलभराव होने से आवगमन में काफी परेशानी होती हैं। यहां की इंटरलाकिंग टूट गई है।

साफिया खातून

आवसीय परिसर में सरकारी हैंडपप की स्थिति काफी खराब है। कई हैंडपप खराब पड़े है। हैंडंपप का गंदा पानी पीने से बच्चों सहित परिवार का स्वास्थ्य खराब हो रहा है।

माया देवी

आवसीय परिसर में साफ-सफाईं नहीं होने से विषैले जीव-जन्तु का खतरा रहता हैं। बरसात में स्थिति काफी दयनीय हो जाती हैं। झाड़ियां उगी होने के चलते जहरीले जानवार आते हैं।

जहांआरा

आवसीय परिसर में पुलिस चौकी की व्यवस्था होनी चाहिए। आए दिन अनैतिक घटनाएं होती रहती हैं। विरोध करने पर असामाजिक तत्व मारपीट पर आमादा हो जाते हैं।

डब्लू

आवास की साफ-सफाई नहीं होने से दिवारों पर झाड़ियां उग गई हैं, जिससे दीवार जर्जर हो रही हैं। जो भवन के लिए खतरा बना हुआ है।

अजय कुमार

चौराहे पर आए दिन अनैतिक लोगों की भीड़ जुटती है। यहां पर आए दिन बावल होता रहता है, जिससे महिलाओं को समस्या होती हैं। इस पर नियंत्रण होना चाहिए।

संजय कुमार

आवास की मरमम्त नहीं होने से बारिश में छत से पानी टपकने लगता हैं, जिससे काफी समस्याएं होती हैं। छत के जर्जर होने से ढहने का डर बना रहता है।

बुद्विसागर पांडेय

वाटर सप्लाई खराब होने से तीन महीने पानी की किल्लत हो जाती हैं। पानी का जार खरीदकर काम चलाना पड़ता हैं। स्वच्छ पेयजल के लिए पानी की टंकी और पाइप को ठीक कराया जाए।

गोरख सिंह

परिसर में पेयजल की व्यवस्था सही नहीं होने से बंद बोतल और जार खरीद कर पीने का बाजार से खरीद कर काम चलाना पड़ता हैं। जिससे अर्थिक बोझ पड़ता हैं।

कामिनी

परिसर में चारों तरफ गंदगी फैले होने से निवास करने वालों को बीमार होने का खतरा बना रहता हैं। रोज सफाईं नहीं होने से कूड़े का ढेर लग जाता हैं।

मिथलेश

बोले जिम्मेदार

कांशीराम शहरी आवास में समय-समय पर जल निकासी, इंटरलाकिंग और स्ट्रीट लाइट का काम कराया जाता है। साफ-सफाई पर विशेष जोर रहता है। यदि इस समय वहां पर इंटरलाकिंग टूटी है तो उसका सर्वे कराकर दुरूस्त कराने की योजना बनाई जाएगी। स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए कर्मचारियों को निर्देशित किया जाएगा। साफ-सफाई के लिए वहां पर 14 सफाई कर्मी तैनात है। उन्हें निर्देशित किया जाएगा कि समय से पूरे परिसर की साफ-सफाई करें। इसके साथ ही कूड़ा फेंकने के लिए सभी ब्लॉकों के सामने कूड़ा पात्र रखने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देशित किया जाएगा। यहां से कूड़ा का उठान हो और उसको निर्धारित स्थल पर पहुंचाने के लिए भी व्यवस्था की जाएगी।

नेहा वर्मा, अध्यक्ष, नगरपालिका परिषद, बस्ती

कांशीराम आवास बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं का पूरी तरह से अभाव है। जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा हुआ है। शाम होते ही चौराहे पर भारी भीड़ हो जाती है। यहां के महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर खतरा हो जाता है। इससे बचने के लिए यहां पर एक पुलिस चौकी की स्थापना आवश्यक है। बारिश के दिनों में पूरे कॉलोनी में पानी भर जाता है। इस कॉलोनी में 800 से ज्यादा परिवार निवास करते हैं, लेकिन यहां पर स्वच्छ पेयजल लोगों को नहीं मिलता है।

जमीर अहमद, समाज सेवी

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