PDS Ration Distributors Face Challenges in Uttar Pradesh Low Commission Corruption and Technical Issues बोले बस्ती : तकनीकी खामियां और कम कमीशन का झेल रहे दंश, Basti Hindi News - Hindustan
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बोले बस्ती : तकनीकी खामियां और कम कमीशन का झेल रहे दंश

Basti News - उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन वितरित करने वाले कोटेदारों को कम कमीशन, तकनीकी खामियों, प्रशासनिक दबाव और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 1352...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीTue, 8 April 2025 05:03 AM
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बोले बस्ती : तकनीकी खामियां और कम कमीशन का झेल रहे दंश

Basti News : सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन वितरण करने वाले कोटेदार भी समस्याओं से जूझ रहे हैं। अन्य राज्यों के सापेक्ष उन्हें यहां काफी कम कमीशन मिल रहा है। वे डिजिटल प्रणाली में तकनीकी खामियों, प्रशासनिक दबाव, गंवई राजनीति और भ्रष्टाचार के आरोपों जैसी चुनौतियों से परेशान हैं। ढुलाई का खर्च भी वे अपनी जेब से वहन करने को मजबूर हैं। जिले के 1352 कोटेदारों को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। हाल यह है आज भी अन्य प्रदेशों के सापेक्ष कमीशन, हेल्थ कार्ड जैसी सुविधाओं के लिए कोटेदार तरस रहे हैं। इससे उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में कोटेदारों ने अपनी समस्याएं साझा कीं।

जिले में कोटदारों की संख्या 1352 है। जिले में 4289938 कार्डधारक विभाग में रजिस्टर्ड हैं। खाद्यान्न योजनाओं को पात्रों तक पहुंचाने का जिम्मा कोटेदारों के कंधे पर है। उचित दर विक्रेता को आज भी कई तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरों तक योजना का लाभ पहुंचाने वाले उचित दर विक्रेता बदहाली की मार झेल रहे हैं। काम के सापेक्ष कोई सरकार से सहयोग नहीं मिलने से उनके सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट पैदा हो गया है। राशन वितरण से लेकर अपात्रों का कार्ड बनवाने व अन्य कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने को लेकर उचित दर विक्रेता सदैव मुस्तैद रहते हैं। इसके बाद भी उन्हें अपने हक के लिए जूझना पड़ता है।

कोरोना महामारी के दौरान कोटेदार राशन वितरित कर रहे थे। इससे जनता को राशन के लिए कोई परेशानी नहीं झेलनी पड़े। विभाग से कोईं भी सहयोग नहीं मिलने पर काफी समस्या होती है। कोटेदार अब्दुल्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अन्य प्रदेश के सापेक्ष कोटेदारों को राशन वितरण को लेकर कम कमीशन मिलता है। इस वजह से परिवार का खर्च वहन करने में काफी समस्या होती है। कोटेदारों का कहना है उत्तर प्रदेश में 90 रुपये कुंतल मिलता है। जबकि अन्य प्रदेशों में 200 प्रति कुंतल दिया जा रहा है। उनका कहना है कि कोटेदारों के मामले में भी ‘वन नेशन-वन कमीशन लागू होना चाहिए। इससे सभी कोटेदारों को एक समान कमीशन मिलेगा। अन्य प्रदेशों में कोटदारों को मानदेय मिलता है, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह सुविधा नहीं है। कोटेदार राजेश सिंह का कहना है राशन की घटतौली का खमियाजा कोटेदारों को भुगतना पड़ता है। इससे काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जो ठेकेदार वाहन से राशन रिसीव कराता है, वह अपने कांटे से देता है। हर बोरे में राशन एक से दो किलो कम रहता है। ऐसे में कोटेदार के कांटे से राशन का तौल होना चाहिए। कई बोरे क्षतिग्रस्त रहते हैं, जिससे अधिक राशन गिरकर बर्बाद हो जाता है। राशन में बोरे का वजन नहीं दिया जाता है। जिससे आर्थिक नुकसान कोटेदारों को झेलना पड़ता है। कोटेदार अजय ठाकुर का कहना है राशन वितरण का कमीशन कोटेदारों को एक महीने में भुगतान किया जाता हैं। इसके लिए कई बार अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता है। जबकि शासनादेश के तहत एक सप्ताह के भीतर कोटेदारों को कमीशन का भुगतान उनके बैंक खातों में हो जाना चाहिए। जल्द भुगतान पाने के लिए अधिकारियों को कमीशन देना पड़ता है। कोटेदारों का कहना है सरकारी स्कूल में जाने वाला एमएडीएम के राशन का कमीशन 1995 से लेकर अभी तक नहीं भुगतान नहीं किया।

सिरदर्द बनी खराब सर्वर कनेक्टिविटी की समस्या

कोटेदारों ने कहा कि कमीशन बढ़ाने की मांग लगातार सरकार से की जा रही है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कोटे की दुकान चलाने में अब पहले जैसा फायदा नहीं रह गया है। सरकार द्वारा राशन वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ई-पॉस) मशीनों का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क की समस्या बनी रहती है। अक्सर मशीनें काम नहीं करतीं हैं। इससे राशन वितरण का काम प्रभावित होता है। कई बार लाभार्थियों के अंगूठे के निशान ई-पॉस मशीन में दर्ज नहीं होते। इसके कारण राशन देने में दिक्कत होती है।

केवाईसी के लिए कोटेदारों पर बनाया जा रहा दबाव

कोटेदारों का कहना हैं कार्डधारकों की 75 प्रतिशत केवाईसी को पूरी कर ली गईं है। 25 प्रतिशत ही कार्डधारकों में गांव के बच्चे, बुजुर्ग और अन्य प्रदेशों में जीवन-यापन कर रहे हैं। शासनादेश के तहत 30 अप्रैल तक केवाईसी को शत-प्रतिशत पूर्ण का आदेश जारी किया गया है। लेकिन विभागीय अधिकारी तीन दिनों के अंदर पूर्ण करने का दबाव बना रहे हैं, जिससे मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

विभाग से नहीं मिला बोरे का भुगतान

कोटेदारों का कहना हैं कोरोना काल में लेवी में खरीद के लिए सभी कोटेदारों से बोरा जमा करा लिया गया था। इस आश्वासन पर बोरे का पैसा खाते में भेजा जाएगा लेकिन विभाग से कोई भुगतान नहीं किया गया। कई बार कोटेदारों ने इसके लिए अधिकारियों को पत्र लिखकर भुगतान की मांग की लेकिन विभाग ने भुगतान के लिए कोई पहल नहीं हुईं।

स्वास्थ सुविधाओं का अभाव

कोटेदारों का कहना कोटेदारों को कसरकार की तरफ से स्वास्थ सुविधाओं को लेकर कोई लाभ नहीं मिलता है। कोटेदारों को आयुष्मान कार्ड और अन्य स्वास्थ सुविधाओं से वंचित रखा गया हैं।

भ्रामक शिकायतों पर अधिकारी बनाते हैं दबाव

कोटेदारों का कहना है कि अधिकारी भ्रामक शिकायतों की जांच को लेकर दबाव बनाते हैं। नियमानुसार शिकायतकर्ता प्रमाण-पत्र के साथ शिकायती-पत्र पर ग्रामीणों के हस्ताक्षर होना चहिए।

डोर स्टेप डिलिवरी में समस्या

कोटेदारों को डोर स्टेप डिलिवरी के तहत कोटेदारों की दुकानों तक राशन नहीं पहुंचाया जा रहा है। ठेकेदार रास्ते में ही राशन ले जाने का दबाव बनाते हैं जिससे कोटेदारों को किराये के वाहन से राशन पहुंचाना पड़ता है। जबकि शासनादेश के तहत ठेकेदार छोटे वाहनों से राशन को घर तक पहुंचाए। कई बार संबंधित अधिकारी से इस बारे में शिकायत की गईं, लेकिन कोई पहल नहीं की गईं।

पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को अब नहीं मिलती चीनी

कोटेदारों का कहना कि पहले पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को विभाग से चीनी दी जाती थी लेकिन काफी वर्षों से नहीं मिलता। विभाग से केवल अन्त्योदय कार्डधारकों को चीनी दी जाती है। ऐसे में कार्डधारक चीनी देने के लिए दबाव बनाते हैं। शासनादेश के तहत चीनी वितरण का कमीशन 90 पैसा निर्धारित किया गया है लेकिन कोटेदारों को 70 पैसा ही दिया जाता है। कई बार इसको बढ़ने के लिए पत्राचार किया गया, लेकिन कोई पहल नहीं की गई।

जान की परवाह किए बिना बांटे खाद्यान्न

उचित दर विक्रेता ने कमीशन बढ़ाने को लेकर लखनऊ के ईको गार्डन में मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए खाद्य आयुक्त को एक सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। दिए गए ज्ञापन में मांग की कि आदर्श कोटेदार एवं उपभोक्ता वेलफेर एसोसिएशन कोटेदारों को शासन के तहत कार्डधारकों को राशन वितरण करने के लिए व परिवहन ठेकेदारों से शासनादेश के तहत दुकानों पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए कई वर्षों से प्रेरित किया जा रहा है। दिए गए पत्र में बताया कि कोटेदारों को 90 रुपये प्रति कुंतल खाद्यान्न और 70 रुपये प्रति कुंतल चीनी कमीशन मिल रहा है। कोटेदारों ने बताया कि वर्तमान में महंगाई की दृष्टिगत यह बहुत कम हैं। पत्र में कहा गया है कि हरियाणा में 200, उत्तराखंड में 180 और गुजरात में 20 हजार रुपये मिनिमम गारंटी देकर खाद्यान्न वितरण करने के लिए दिया जा रहा है। पत्र में बताया एसोसिएशन द्वारा कई वर्षों से 300 रुपये प्रति कुंतल कमीशन या तीन हजार मिनिमम गांरटी की मांग प्रशासनिक अधिकारियों से की जा रही है। कोरोना काल में कोटेदारों ने जान की परवाह नहीं करते हुए कार्डधारकों को खाद्यान्न वितरित किया। पत्र में कहा कि कोटेदारों को संबोधित करते हुए कहा गया कि कमीशन बढ़ोतरी के प्रस्ताव की पत्रावली प्रस्तावित की जा चुकी है। एसोसिएशन ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद शासन को भेजा जाएगा। सात नवम्बर 2024 को प्रमुख सचिव व खाद्य आयुक्त और एसोसिएशन की हुई बैठक में आश्वासन दिया गया कि 20 नम्बवर 2024 तक कमीशन की पत्रावली मुख्यमंत्री से स्वीकृत हो जाएगी।

40 फीसदी कमीशन देने के बाद मिला भुगतान

सरकार की डोर स्टेप डिलिवरी के तहत राशन एफसीआई गोदाम से उठाया जाता था जिसकी पल्लेदारी व किराया सरकार को 15 रुपये प्रति कुंतल भुगतान करना था। 2001 से 2016 तक डोर स्टेप डिलेवरी का कोटेदार के खाते में भुगतान होना था। लेकिन कोटेदारों को पांच साल का ही भुगतान किया गया। कोटेदारों का कहना है कि विभाग में कुछ कोटेदारों को अधिकारियों को 40 प्रतिशत कमीशन देने के बाद पांच साल का भुगतान ही मिल सका है।

शिकायतें

-कोटेदारों से अन्य योजनाओं का काम कराया जाता है, लेकिन इसके बदले में कोई भत्ता नहीं दिया जाता है।

-ठेकेदार मुख्य सड़क से अंदर कोटे की दुकान तक राशन नहीं पहुंचाते हैं। इससे कोटेदारों को अपने खर्च पर राशन दुकान तक लाना पड़ता है।

-गंवई राजनीति का भी कोटेदारों को सामना करना पड़ता है।

-वर्तमान में कोटेदारों को मिलने वाला कमीशन बेहद ही कम है।

-नेटवर्क खराब होने से ई-पास मशीनें काम नहीं करती हैं। लाभार्थियों को राशन देने में समस्या होती है।

सुझाव

-कोटेदारों से अन्य योजनाओं में सहयोग लिया जाता है। इसके बदले उन्हें भत्ता मिलना चाहिए।

-मुख्य सड़क पर हो या फिर अंदर गली में, सभी दुकानों पर ठेकेदार द्वारा राशन पहुंचाया जाए।

-गंवई राजनीति के कारण की जाने वाली शिकायतों की निष्पक्षता से जांच कराई जाए।

-अन्य राज्यों की तरह यूपी में कोटेदारों के कमीशन को बढ़ाया जाए।

- नेटवर्क न होने पर ऑफलाइन वितरण की अनुमति दी जाए।

बोले कोटेदार

कोटेदारों का राशन वितरण का कमीशन काफी कम मिलता हैं। अन्य प्रदेशों में कमीशन अधिक हैं। यूपी में भी कोटेदारों के कमीशन के लिए सरकार को सोचना चाहिए।

देवी प्रसाद गुप्ता

महसो क्षेत्र में बड़ी गाड़ियों से राशन लाकर चौराहे पर उतार देता है। वहां से कोटेदारों को अनाज की बोरियों को छोटे वाहनों के जरिए घर लाना पड़ता है।

अमरनाथ यादव

परिवहन के ठेकेदार बोरे का वजन देने में आनाकानी करते हैं। बोरे का वजन कोटेदारों का मिलना चहिए। ठेकेदारों की इन हरकतों पर अंकुश लगानी चाहिए।

राजेश सिंह

सरकारी कांटे का वजन 50 से 60 किग्रा किया जाए, जिससे उचित दर विक्रेता सरकारी कांटे से खाद्यान ले सकें। ऐसा न होने से कोटेदारों को परेशानियां होती हैं।

रामचंदर सोनकर

सर्वर की समस्या को लेकर कोटेदारों को परेशानी झेलनी पड़ती है। संबधित अधिकारी को इसको सही कराने के लिए पहल करनी चाहिए।

रामचंद्र

मिड-डे मील, और आईसीडीएस खाद्यान्न पर कोटेदारों को कमीशन मिलना चाहिए। इस प्रकरण में सरकार और प्रशासन को उचित कदम उठाना चाहिए।

दुर्गा प्रसाद

कोटेदारों को एक कुंतल चीनी पर 70 पैसा कमीशन मिलता है जबकि विभाग से 90 पैसा मिलना चाहिए। प्रशासन को इस व्यवस्था को सख्ती से लागू करानी चाहिए।

अजय ठाकुर

सिंगल डोर स्टेप डिलिवरी में 25% छोटी गाड़ियां ढुलाई के लिए हैं, लेकिन ठेकेदार बड़ी गाड़ी भेजते हैं। कई जगह बड़ी गाड़ी नहीं पहुंचती और हमें खुद राशन दुकान तक पहुंचाना पड़ता है।

राजेश

कोटेदारों को सरकार से कोई स्वास्थ सुविधाएं नहीं मुहैया कराई जाती हैं। कोटेदारों को आयुष्मान कार्ड व अन्य सरकारी सुविधाएं मिलनी चाहिए।

अशोक उपाध्याय

कोटेदारों को बोरे का भुगतान नहीं मिलता हैं जिससे कोटेदारों का अर्थिक नुकसान उठाना पड़ता हैं। जिला प्रशासन और सरकार को इस पर सोचना चाहिए।

इंद्रसेन यादव

कोरोना काल में मृत कोटदारों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। इससे परिवार का भरण-पोषण करने में मदद मिल सके।

सफीउल्लाह

राशन वितरण के लिए आई फोर-जी तकनीक की नई-पास मशीनें काम नहीं कर रही हैं। इससे ग्रामीण इलाकों में राशन वितरण में परेशानी हो रही है।

बंसत चौधरी

ई-पॉस मशीन में हर रोज दिक्कत आती है। नेटवर्क की समस्या से अंगूठे का निशान नहीं लगता है। इससे लाभार्थियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है।

फूलचंद

कोटेदारों को राशन वितरण के अलावा जिले में प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है। इसका विभाग से कोई मानदेय अथवा कमीशन नहीं मिलता है।

कैलाश कुमार त्रिपाठी

काटेदारों के लिए स्टाक रजिस्टर और वितरण प्रमाण-पत्र की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए। इस व्यवस्था की वजह से कोटेदारों को काफी परेशानी होती है।

दीपक

कोटेदारों को राशन वितरण का कमीशन समय से नहीं मिल पाता है। इस वजह से कोटेदारों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शिवाजी

कोटेदारों से ई-केवाइसी का काम कराया जाता है। लिहाजा कार्डधारकों का ई-केवाईसी करने के लिए कोटेदारों को कमीशन मिलना चाहिए।

यदुलार यादव

कोटेदारों के लिए भी ‘वन नेशन-वन कमीशन की व्यवस्था लागू होना चाहिए, जिससे सभी कोटेदारों को एक समान कमीशन मिल सके। सरकार को इस पर काम करना चाहिए। रविकांत

बोले जिम्मेदार

कोटेदारों को प्रति कुंतल कमीशन निर्धारित है। यह कमीशन समय से मिले, इसके लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सघन पर्यवेक्षण का परिणाम है कि फरवरी 2025 तक कमीशन सभी कोटेदारों को मिल चुका है। मार्च का कमीशन बन रहा है। प्रति कुंतल 90 रुपया कमीशन दिया जाता है। जहां तक कमीशन बढ़ाने का मामला है, तो इसका निर्णय शासन स्तर पर होता है। कोटेदारों को कांटा व ईबी मशीन दी जाती है। इसकी गड़बड़ी की शिकायत पर मरम्मत कराई जाती है। रवीश गुप्ता, डीएम, बस्ती

कोटेदारों का कमीशन अन्य प्रदेशों के सापेक्ष मिलना चाहिए। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में खाद्यान्न वितरण को लेकर पहले स्थान पर है। इसके बावजूद कोटेदारों को उपेक्षा झेलनी पड़ रही है। कोविड काल में कोटेदारों ने जान की परवाह किए बिना कार्डधारकों को राशन वितरित किया। सरकार को सहानुभूतिपूर्वक इस पर विचार करना चाहिए।

जितेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष, कोटेदार संघ

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