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बोले बिजनौर : अपनों के इंतजार में पथरा रहीं वृद्धों की आंखें

Bijnor News - बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम में जीवन बिताना एक कठिन अनुभव बन गया है। परिवार के साथ बिताए गए सुनहरे दिन अब एकल परिवारों और व्यस्त दिनचर्या के कारण यादें बन गए हैं। समाज के मूल्यों की कमी और बुजुर्गों...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरTue, 8 April 2025 06:56 PM
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बोले बिजनौर : अपनों के इंतजार में पथरा रहीं वृद्धों की आंखें

जिन हाथों ने कभी बचपन में उंगली पकड़कर चलना सिखाया, आज जब वह अपने पैरों पर खड़े हो गए और सहारा बनने के काबिल हुए तब अपनी उंगली उन बूढ़े कंपकंपाते हाथों से छुड़ा कर दूर चले गए। बूढ़े होने के बाद जब उन हाथों की जरूरत पड़ी तो उन्हें छिटकते हुए अपनी पथराई आंखों से देखने को मजबूर हो गए। बदलते समय के साथ जीवनशैली भी बदल रही है। कभी संयुक्त परिवारों में बुजुर्गों को सम्मान और स्नेह की छाया मिलती थी, लेकिन अब एकल परिवारों और व्यस्त दिनचर्या ने उन्हें अकेलेपन की ओर धकेल दिया है। वृद्धाश्रम की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं समाज अपने मूल्यों से भटक रहा है। जरूरत इस बात की है कि हम अपनी ज़िम्मेदारियों को समझें और अपने माता-पिता को वही स्नेह, सम्मान और सहारा दें, जो उन्होंने हमें बचपन में दिया था।

विदुर कुटी के समीप ग्रामीण विकास सेवा संस्थान अतरौली अलीगढ़ द्वारा संचालित वृद्ध आश्रम में रह रहे वृद्ध जनों को भी भगीरथ की इंतज़ार है। वृद्ध आश्रम में पहुंचकर पहुंच कर बुजुर्गों के मन को टटोला तो उनका दर्द अपने आप छलकने लगा तथा वह अपने दर्द को खुलकर बयां करने लगे। वृद्ध आश्रम में रह रहे वृद्धजनों का कहना था कि हमने समाज के सभी रीति रिवाज तथा कर्मकांड को निभाते हुए सभी पारिवारिक दायित्वों को पूरा किया है। इस दौरान जीवन में अनेक उतार चढ़ाव तथा कठिनाइयां का सामना भी करना पड़ा तथा बच्चों को शिक्षा दीक्षा दिलाने के साथ-साथ उनके अच्छे जीवन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्हें उम्मीद थी की विवाह के बाद जब उनके बच्चों के संतान होगी तथा उनके साथ समय बिताया जाएगा तो उनके जीवन का स्वर्णिम समय होगा। लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें वह दिन नसीब नहीं होने दिए तथा उन्हें पारिवारिक जीवन से वृद्ध आश्रम तक पहुंचा दिया। अब यह वृद्ध आश्रम ही उनके जीवन का अंतिम पड़ाव है, जहां रहकर वह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं तथा सुबह शाम महात्मा विदुर की तपोभूमि पर पूजा पाठ करके तथा गंगा मां की पूजा अर्चना कर भगवान से प्रार्थना करते रहते हैं।

वृद्ध जन बताते हैं कि आश्रम में लोग अपने बच्चों के साथ आते हैं। अधिकांश लोग अपने बुजुर्गों की याद में, माता-पिता या बच्चों के जन्मदिन के अवसर पर उनके साथ समय व्यतीत कर उनके साथ जलपान करते हैं। इससे जहां उन्हें सुखद अनुभूति की प्राप्ति होती है, वहीं टीस भी उठती है कि काश उनके बच्चे भी इसी तरह उनकी सेवा करते। भले ही बच्चों ने उन्हें दूर कर दिया हो लेकिन उन्हें अपने परिवार की याद खूद सताती है। उनका भी मन करता है कि उनके परिवार के लोग आए तथा उन्हें अपने परिवार में सम्मान के साथ रखें। अधिकतर वृद्धजन कहते हैं कि अब से तीन दशक पूर्व परिवार में बुजुर्गों का बहुत सम्मान होता था तथा परिवार में बुजुर्ग को मुखिया के रूप में जाना जाता था लेकिन पश्चिमी सभ्यता आज के बच्चों के सिर चढ़कर बोल रही है, जिससे आज के युवा अपने संस्कार भूलते जा रहे हैं। हालांकि कुछ बुजुर्ग इसमें अपनी गलती भी मानते हैं, उनका कहना है कि सफल बनाने के चक्कर में हम भी बच्चों को संस्कार के प्रति जागरूक नहीं कर पाए, इसलिए ऐसे बुजुर्ग हिन्दुस्तान अखबार के माध्यम से आज के अभिभावकों को सचेत करना चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ ही संस्कार जरूर दें। अपने रीति रिवाज के प्रति जागरूक करें, किसी भी धर्म में हो उसे धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान जरूर दें, ताकि जो दुख वे भोग रहे हैं, भविष्य में उन्हें न देखना पड़े।

कुछ अपनी मर्जी से आए हैं वृद्धाश्रम

महात्मा विदुर की कुटी के समीप पिछले 8 वर्षों से संचालित इस वृद्ध आश्रम में 50 से अधिक वृद्धजन रहते हैं, जिनमें एक दर्जन से अधिक ऐसे वृद्धजन हैं जिनके परिवार में बहु बेटे तथा पोती पोतिया हैं किंतु उन्होंने अपने परिवार के लिए जीवन के सभी कर्तव्य पूर्ण कर शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए महात्मा विदुर की इस पावन स्थली को चुना है। उनका कहना है कि पारिवारिक दायित्व को निर्वहन करने के बाद अब शांति से भजन कीर्तन करके एवं पौराणिक स्थल पर जीवन व्यतीत करने में बहुत आनंद प्राप्त हो रहा है। उनके बच्चे उनसे मिलने जुलने आते रहते हैं, वे सभी उनसे घर आने की जिद भी करते हैं लेकिन वे लोग अपनी मर्जी से इस जीवन में आए हैं, हां कभी कोई पारिवारिक कार्यक्रम होता है तो उसमें शामिल होने जरूर चले जाते हैं।

विदुर कुटी के प्रांगण में होता है सुबह शाम पूजा पाठ तथा भजन कीर्तन

वृद्ध आश्रम में रहने वाले लगभग 50 से अधिक वृद्ध सुबह शाम विद्युत कुटी के मंदिर पर पहुंचकर पूजा पाठ तथा भजन कीर्तन करते है। इसके अलावा कुछ वृद्ध जन प्रातः काल उठकर योगाभ्यास करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य उत्तम बना हुआ है। वृद्ध आश्रम में वृद्धजनों को दो बार पौष्टिक भोजन तथा एक बार नाश्ता दिया जाता है। इसके अलावा उनके स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए समय-समय पर चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया जाता है तथा उन्हें जरूरी दवाइयां वितरीत की जाती हैं। अधिकांश वृद्धजनों का कहना है कि उन्हें महात्मा विदुर की कुटी के समीप अपना जीवन व्यतीत करने का अवसर मिला है। इससे वह सुबह शाम पूजा पाठ तो कर लेते हैं, किंतु गंगा की धारा दूर होने के कारण उन्हें गंगा में स्नान करने में समस्या होती है। यदि गंगा की धारा विदुर कुटी के समीप से होकर बहती तो मां भागीरथी में स्नान करने का सौभाग्य उन्हें प्रतिदिन मिला करता।

आश्रम में रह रही वृद्ध महिला 76 वर्षीय मालती देवी जो संगीत गायन में विशेष रुचि रखती हैं। प्रतिदिन आश्रम में रह रही अन्य महिलाओं के साथ सुबह शाम भजन कीर्तन गाकर आध्यात्मिक माहौल बनाती हैं उनका कहना कि संगीत गायन में उम्र उनके आड़े नहीं आती।

अनुशासन समिति की देखरेख में होता है कार्य

वृद्ध आश्रम में सभी वृद्ध जनों में समन्वय स्थापित करने एवं एवं समय सारणी के अनुसार सभी दैनिक क्रियाओं जैसे भोजन नाश्ते योगाभ्यास भजन कीर्तन आदि होता है। इसके लिए वृद्धजनों की एक अनुशासन समिति बनाई गई है, जिसकी निगरानी आश्रम में रह रहे वयोवृद्ध राम रतन सिंह द्वारा की जाती है।

बंदर हैं फिलहाल सबसे बड़ी समस्या

वृद्धजनों का कहना है कि शासन प्रशासन तथा आश्रम के संचालनकर्ताओ द्वारा समय-समय पर सभी समस्याओं का निदान किया जाता है। वहीं आश्रम के समीप लगभग चार से पांच दर्जन बंदरों ने आतंक मचा रखा है, जिसके कारण वह खुले में बैठने से कतराते हैं। बंदर अचानक कभी भी आकर हमला करने लगते हैं। वृद्धजनो ने मांग की है कि प्रशासन को वन विभाग को आदेशित कर इन बंदरों को पकड़वाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

पूर्व राष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री आ चुके हैं विदुर कुटी

विदुर कुटी एक पौराणिक स्थल है जहां पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी एवं उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी आ चुके हैं किंतु पर्यटन स्थल के रूप में विदुर कुटी का समुचित विकास नहीं हो पाया है वृद्ध जनों का कहना है कि विदुर कुटी का शुक्र तीर्थ तथा हरिद्वार की तरह विकास होना चाहिए जिससे विदुर कुटी पर्यटन के रूप में उभर सके

भगवान श्री कृष्ण ने यहां आकर खाया था बथुए का साग

विदुर कुटी की पहचान महाभारत कालीन इतिहास से है जहां भगवान श्री कृष्ण ने विदुर के घर आकर बथुए का साग खाया था। वृद्धजनों ने मांग की है की अंधाधुंध सफाई के कारण बथुआ पिछले दो वर्षों में विलुप्त हो गया था, जिसे अब सामूहिक प्रयास द्वारा फिर से उगाया जा रहा है। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए तथा विदुर कुटी की पहचान प्रसाद रूपी बथुए को वीआईपी मूवमेंट के कारण आए दिन अंधाधुंध सफाई के नाम पर नष्ट होने से रोका जाना चाहिए तथा इसके संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

क्या बोले बुजुर्ग.....

वृद्ध आश्रम में रह रहे सभी वृद्ध जनों का सम्मान एवं पूरा ख्याल रखा जाता है। समय पर पौष्टिक भोजन तथा स्वास्थ्य के लिए दवाई वितरित की जाती हैं तथा अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस जैसे अवसर पर उन्हें जिला प्रशासन तथा आश्रम की ओर से सम्मानित किया जाता है। सभी को एक परिवार की तरह रखा जाता है। - लक्ष्मी गुप्ता (अधीक्षका) वृद्ध आश्रम

जीवन के इस अंतिम पड़ाव में महात्मा विदुर की कुटी उन्हें भगवान के आशीर्वाद स्वरुप मिली है। जीवन का अंतिम पड़ाव यहीं पूजा अर्चना करके व्यतीत करने में बहुत आनंद प्राप्त होता है। - राम रतन, सिंह।

आश्रम में रहने वाले लगभग दो दर्जन से अधिक वृद्ध मंदिर के प्रांगण में रहते हैं जहां भवन की स्थिति जर्जर है। प्रशासन को इस और शीघ्र ध्यान देना चाहिए जिससे वृद्ध जन सुरक्षित स्थान में रह सके। - मदन सिंह

उम्मीद है कि एक दिन परिवार के लोग उन्हें लेने जरूर आएंगे तथा उन्हें परिवार में पूरा सम्मान दिया जाएगा बस इसी उम्मीद के साथ उस दिन का इंतजार कर रहे हैं। - चंद्रभान सिंह

वृद्ध आश्रम में रह रहे कुछ वृद्ध जनों को वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही प्रशासन को एक कैंप लगाकर इस तरफ ध्यान देना चाहिए तथा उन्हें वृद्धावस्था पेंशन दिलानी चाहिए। - केशव शरण

गंगा की धारा को विदुर कुटी के समीप से गुजरा जाना चाहिए जिससे यह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो तथा अधिकांश लोग यहां आए तथा वृद्धजनों को भी इसका लाभ हो। - मालती शर्मा

वृद्ध आश्रम की संचालिका तथा अन्य कर्मचारी सभी का पूरा ख्याल रखते हैं तथा उन्हें परिवार से दूर रहने का एहसास नहीं होने देते। - केलो देवी

होली दीपावली जैसे विशेष त्योहारों पर परिवार की बहुत याद आती है किंतु क्या करें अब तो वृद्ध आश्रम ही उनका परिवार है तथा यही जीवन व्यतीत करना है। - चमलिया देवी

परिवार में वृद्धों को उचित सम्मान दिलाने के लिए शासन को इस और ध्यान देना चाहिए ताकि वृद्ध जन अपना समय सम्मान के साथ गुजार सके तथा परिवार में उनका पूरा सम्मान हो। - सुशीला देवी

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