शो-पीस बनकर रह गया जेल का मोबाइल जैमर
Deoria News - देवरिया जिला कारागार में सुरक्षा के लिए मोबाइल जैमर लगाया गया है, लेकिन यह केवल टूजी नेटवर्क को रोकने की क्षमता रखता है। जिले में फाइवजी नेटवर्क चालू होने के कारण जैमर प्रभावी नहीं है, जिससे कैदी...

देवरिया, निज संवाददाता। जिला कारागार सुरक्षा के लिहाज से मोबाइल जैमर तो लगाया गया है, लेकिन वह इन दिनों शो-पीस बनकर रह गया है। जिले में फाइवजी मोबाइल नेटवर्क संचालित है, जबकि जैमर की क्षमता टूजी नेटवर्क रोकने की है। जिसके चलते मोबाइल नेटवर्क रोकने में यह जैमर सफल नहीं हो पाता और कई बार जिला कारागार से शातिर बदमाश लोगों को मोबाइल से ही धमकी दे सकते हैं। कई बार जैमर को अपग्रेड करने के लिए जेल प्रशासन की तरफ से पत्र व्यवहार तो किए गए, लेकिन आज तक जैमर को अपग्रेड नहीं किया गया है। जिला कारागार में देवरिया के अलावा कुशीनगर जनपद के भी बंदी बंद होते हैं। 2017 में इस जेल में माफिया अतीक अहमद समेत कई शातिर अपराधियों को शिफ्ट किया गया तो इस जेल की सुरक्षा को लेकर शासन भी गंभीर हो गया। जेल प्रशासन की पहल पर यहां तीन करोड़ की लागत से छह मोबाइल जैमर लगाए गए, लेकिन जैमर की क्षमता केवल टू-जी नेटवर्क रोकने की है, जबकि जिले में इन दिनों फाइवजी नेटवर्क संचालित हो रहे हैं। लोग जेल के पास खड़ा होकर भी मोबाइल पर बात करते हैं और यह जैमर मोबाइल नेटवर्क नहीं रोक पाता है। इसलिए बंदी भी जेल के अंदर से मोबाइल प्रयोग कर लेते हैं। कई बार जेल की तलाशी में मोबाइल बरामद हो चुका है और कई बार बंदी जेल से ही लोगों को धमकी दे चुके हैं। इन मामलों में केस भी दर्ज है। जेल अधीक्षक प्रेमसागर शुक्ल का कहना हैकि जैमर को अपग्रेड करने के लिए कई बार शासन को पत्र भेजा गया है, लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिली है।
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