Deoria Teachers Demand Fair Pay and Job Security बोले देवरिया, श्रमिकों से कम मानदेय, कोई सुविधा भी नहीं, Deoria Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsDeoria NewsDeoria Teachers Demand Fair Pay and Job Security

बोले देवरिया, श्रमिकों से कम मानदेय, कोई सुविधा भी नहीं

Deoria News - Deoria News : उच्च प्राथमिक विद्यालयों में फल संरक्षण, कला, खेल समेत अनेक विधाओं की शिक्षा देने के लिए अनुदेशकों की नियुक्ति की गई है। सरकार इनसे 11

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाThu, 10 April 2025 06:08 PM
share Share
Follow Us on
बोले देवरिया, श्रमिकों से कम मानदेय, कोई सुविधा भी नहीं

देवरिया। बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित जिले के उच्च प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों में 425 अनुदेशक कार्यरत हैं। इनका आरोप है कि कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा की गारंटी देने वाली सरकार इनके भविष्य को लेकर गंभीर नहीं है। मानदेय भी इतना कम है कि दो जून की रोटी का जुगाड़ भी मुश्किल है। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई संकट में है। उच्च प्राथमिक अनुदेशक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि अनुदेशकों की तैनाती सात हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर वर्ष 2013 में हुई थी। 2015 में तत्कालीन सरकार ने मानदेय बढ़ाकर 8470 रुपये कर दिया। 2017 में नई सरकार सत्ता में आई तो मानदेय पुन: घटाकर सात हजार रुपये कर दिया। इतना नहीं दो वर्ष में हर महीने मिली अतिरिक्त 1470 रुपये की कटौती भी की गई। इसके लिए 2018 में मार्च से लेकर दिसंबर तक हर महीने मानदेय से कटौती कर रिकवर कर लिया गया।

अनुदेशक श्रीराम हरिजन ने बताया कि सरकार ने 2022 में मानदेय बढ़ाकर नौ हजार रुपये कर दिया। इससे कुछ खास लाभ नहीं हुआ। अनुदेशकों के समायोजन और पक्की नौकरी की मांग नहीं सुनी गई। अजीत यादव कहते हैं कि अन्य राज्यों में अनुदेशकों का समायोजन हो गया। पर उत्तर प्रदेश में हमारी नहीं सुनी गई। योगेंद्र कुशवाहा का कहना है कि हम पूरे समय काम करते हैं, पर हमें अंशकालिक अनुदेशक नाम दिया गया। वहीं शिक्षामित्रों के साथ अंशकालिक शब्द नहीं जोड़ा गया। हम दोनों ही मानदेय पर कार्यरत हैं। यह भेदभाव हमें कष्ट पहुंचाता हैं।

प्रतिमा चौरसिया कहती हैं कि अनुदेशकों की मांग पर सरकार ध्यान नहीं दे रही है। यह काफी चिंताजनक है। कई एकल और शिक्षक विहीन विद्यालयों को अनुदेशक ही संचालित कर रहे हैं। इनमें पठन-पाठन से लेकर समस्त कार्य अनुदेशक करते हैं। इनका आरोप है कि प्रभारी प्रधानाध्यापक केवल हस्ताक्षर करने आते हैं। इतना कुछ करने के बावजूद हम लोगों के साथ न्याय नहीं हो रहा है। रामकेश्वर ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि विगत एक दशक में महंगाई काफी बढ़ गई है लेकिन हमारे मानदेय में कुछ खास वृद्धि नहीं हुई। सिर्फ 11 महीने की नौकरी है। ऐसे में घर खर्च चलाना मुश्किल है।

अनुदेशकों के हितों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही सरकार

उत्तर प्रदेश अनुदेशक वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष अभिषेक गुप्ता ने बताया कि सरकार को 2017 में उच्च न्यायालय ने 17000 रुपये मानदेय देने का आदेश दिया था। साथ में नौ प्रतिशत ब्याज भी देने को कहा। सरकार ने बढ़ा मानदेय नहीं दिया तो संगठन ने डबल बेंच में अपील की। वहां से सरकार हार गई। न्यायालय ने कहा कि कम से कम एक साल तक 17000 रुपये मानदेय सरकार अनुदेशकों को दे। सरकार इस आदेश के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में चली गई। मामला वहीं अटका हुआ है। हमें अकुशल श्रमिकों के बराबर न्यूनतम वेतन भी नहीं मिल रहा है। उनका कहना है महिला अनुदेशकों की नियुक्ति काफी दूर की गई है। उनका पूरा मानदेय किराए में ही खर्च हो जाता है। अगर स्कूल के पास घर किराए पर लें तो मानदेय सिर्फ किराए भर का होता है।

हमारी भी सुनिए

मेरी नियुक्ति देवरिया में है। शादी गोरखपुर में हो गई है। रोज आने जाने में चार घंटे लगते हैं। मानदेय का सारा रुपया किराये में खर्च हो जाता है। अन्तरजनपदीय स्थानारण की सुविधा मिले।

माया चौरसिया

हमें मात्र 10 आकस्मिक अवकाश मिलता है। शिक्षकों को 14 आकस्मिक अवकाश की सुविधा है। अन्य कोई अवकाश की सुविधा नहीं मिलती है। यह हमारे साथ अन्याय है।

प्रियंका सिंह

मैं अपने होम ब्लॉक सलेमपुर में थी। मुझे संख्या का हवाला देकर जबरन 35 किमी दूर बैतालपुर ब्लॉक में ट्रांसफर कर दिया गया। अब मेरा पूरा मानदेय आने जाने में ही खर्च हो जाता है।

पुनीता चौरसिया

पूरा समय देने के बाद अनुदेशकों को अंशकालिक कहा जाता है। यह सही नहीं है। शिक्षामित्र भी हमारी तरह ही कार्य करते हैं। पर उनके साथ अंशकालिक नहीं जुड़ा है। यह गलत है।

संगीता खरवार

हमें चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलता है। बच्चे बीमार पड़ें तो उन्हें मां की जरुरत हो तो विभाग हमें अवकाश नहीं देता है जबकि हम शिक्षकों की तरह विद्यालयों में पूरा समय देते हैं।

सविता मौर्य

अनुदेशक बीमार पड़े चाहे दुर्घटना में घायल हो जाए। किसी भी स्थिति में हमें चिकित्सकीय अवकाश नहीं मिलता है। यदि एक दिन भी स्कूल न जाएं तो हमारे मानदेय की कटौती तय है।

रेनू सिंह

हमें दूसरे जनपदों में स्थानान्तरण की सुविधा मिलनी चाहिए। शादी के बाद कई महिलाएं अन्य जनपदों में चली गईं। इससे नौकरी में काफी असुविधा होती है।

प्रतिमा चौरसिया

हमें 11 महीने का मानदेय दिया जाता है। जाड़े में 15 दिन और गर्मी में 15 दिन विद्यालय बंद रहता है। इस अवधि में शिक्षकों का वेतन मिलता है। हमें भी पूरा मानदेय मिलना चाहिए।

सरिता कुशवाहा

सरकार हमारा मानदेय बढ़ाकर न्यूनतम 28000 रुपये प्रतिमाह करे। हम लोग स्किल्ड प्रोफेशनल हैं। बच्चों को शिक्षा देते हैं पर हमें उचित मानदेय नहीं मिलता है।

अजीत यादव

हम अनुदेशक काफी कम मानदेय पाते हैं। सरकार, और कुछ नहीं तो कम से कम अनुदेशकों को आयुष्मान कार्ड जारी कर दे। कम से कम इलाज के लिए नहीं सोचना पड़ेगा।

श्रीराम हरिजन

सरकार अनुदेशकों की मांगों को मान ले। हमें सम्मानजनक मानदेय दे। साथ ही मेडिकल लीव भी दे। दूसरे कर्मचारियों की तरह हमारी भी सरकार सुने। आखिर हम किसके पास जाएं।

रामकेश्वर

सरकार अनुदेशकों को समायोजित करे। अन्य राज्यों की सरकारों ने अनुदेशकों को समायोजित कर लिया है। यूपी में भी यह व्यवस्था लागू हो। ऐसा करने से ही हम सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे।

योगेंद्र कुशवाहा

सलेमपुर से रोज आने जाने में सौ रुपये खर्च हो जाते हैं। हमें होम ब्लॉक में तैनाती मिल जाए तो कुछ बचत हो जाएगी। जीवन कुछ सहज हो जाएगा। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

संतोष कुमार

हर साल हमारे मानदेय में भी वृद्धि होनी चाहिए। महंगाई हर साल बढ़ रही है पर हमारे मानदेय में कोई वृद्धि नहीं की जाती है। इससे घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।

रविशेखर

बोले पदाधिकारी

अनुदेशक शिक्षामित्रों की तरह पूरा काम करते हैं। नाम अंशकालिक अनुदेशक रख दिया गया है। यह अन्यायपूर्ण है। हमें सम्मानजनक मानदेय भी नहीं मिलता है। मेडिकल लीव, महिलाओं को सीसीएल, ईपीएफ जैसी कोई सुविधा सरकार नहीं देती है। 2015 में बढ़ा हुआ मानदेय सरकार ने 2018 में वसूल लिया। हम लोग प्रोफेशनल योग्यता वाले कार्मिक हैं। हमें अकुशल श्रमिक के बराबर भी मानदेय नहीं मिलता है। सरकार हमारी नहीं सुन रही। हमारे पक्ष में न्यायालय के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई है।

-अभिषेक गुप्ता, अध्यक्ष , उत्तर प्रदेश अनुदेशक वेलफेयर एसोसिएशन, देवरिया

बोले जिम्मेदार

अनुदेशकों की मांगों को समय-समय पर शासन तक पहुंचाया जाता है। उनके मानदेय, स्थानांतरण की मांगें शासन स्तर की हैं। जिलास्तर से इनकी जो भी समस्या होती है उसका प्राथमिकता के साथ निस्तारण किया जाता है। यदि किसी की जिला स्तर से कोई भी समस्या है तो वह सीधे मुझसे मिल कर अपनी बात कह सकता है।

शालिनी श्रीवास्तव,

बेसिक शिक्षा अधिकारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।