बोले इटावा: प्रशिक्षण मिले तो और अच्छे से कर पाएं गोसेवा
Etawah-auraiya News - गायों को परिवार का हिस्सा मानते हुए जिले के युवा निस्वार्थ भाव से उनकी सेवा कर रहे हैं। घायल गायों का इलाज और उनके खाने-पीने का प्रबंध करने वाली इस टोली ने अब तक 2000 से अधिक गायों की सहायता की है।...
गायों को सिर्फ जानवर नहीं मानते बल्कि उन्हें अपने परिवार का अभिन्न अंग मानते हैं। जिले के गोरक्षा और उनकी सेवा से निस्वार्थ जुड़े युवा गायों और लोगों के बीच इस सहजीवी संबंध को अगले स्तर तक ले जाने में विश्वास करते हैं। वे इस बात को बहुत दृढ़ता से निभाते भी हैं। सड़क पर किसी दुर्घटना में घायल हुई गाय का इलाज हो या फिर उसके खाने पीने की व्यवस्था यह युवा बिना किसी स्वार्थ के उसकी सेवा में हर समय तत्पर रहते हैं। अपने निजी कामों की व्यस्तता को वह गो सेवा के आड़े नहीं आने देते। यही कारण है कि गो सेवा से जुड़ी युवाओं की इस टोली ने अब तक 2000 से अधिक गोवंश की निस्वार्थ सेवा की है। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से अपनी समस्याओं को साझा करते हुए उसके सुझाव भी बताए।
गायों का भारतीय घरों और दिलों में बहुत बड़ा स्थान है। लेकिन कई अन्य चीजों की तरह गायों को भी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गोसेवा से जुड़े अखिलेश तिवारी का कहना है कि उनकी युवा टोली विशेषज्ञता, अनुभव और ज्ञान के साथ इसे हल करने में विश्वास करता है। उनके द्वारा इस सेवा से जुड़े स्वयंसेवक गायों के लिए सर्वोत्तम चारा और अन्य खाद्यान्न सुझाने, खरीदने और उपलब्ध कराने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित होते हैं। गायों को आज 24 घंटे देखभाल की आवश्यकता है, और जाहिर है, गाय की देखभाल का पहला भाग उनके भोजन से शुरू होता है। किसी दुर्घटना का शिकार हुई गाय को इलाज की आवश्यकता होती है ऐसे में तब न तो सरकारी तंत्र कार्य काम आता है और न ही आम आदमी उस पर ध्यान देता है ऐसे में यह युवाओं की टोली उस घायल गाय का इलाज करती है, और उसके खाने-पीने का भी प्रबंध करती है।
सरकार की ओर से भले ही गो संरक्षण केंद्र व गोशाला की व्यवस्था जा रही हो लेकिन सही मायनों में किसी कुएं में गिरे हुए गोवंश को निकालकर उसके घाव को धोकर मलहम-पट्टी लगाने से लेकर उनके खाने-पीने का इंतजाम और स्वस्थ होने पर उसे गोशाला भेजने की व्यवस्था यह गौ सेवक निस्वार्थ भाव से कर रहे हैं। हर ओर गौरक्षा की दुहाई की ही बातें की जा रही हैं। इसी बीच ऐसे भी कई जुनूनी लोग सामने आ रहे हैं जो निरीह हताहत गायों को जीवन दान देने को अपनी जिंदगी का मकसद बना चुके हैं। कुछ साल पहले हुई एक घटना ने युवक अनुज गौड़ को गोसेवा के लिए प्रेरित कर दिया। अब हर ओर अब इनके नए प्यार की ही चर्चा हो रही है।
वैदपुरा के अनुज ने गोसेवा करते हुए संकल्प लिया कि अब किसी गाय को तड़पकर नहीं मरने देंगे। कुछ साल पहले ट्रक की टक्कर लगने से एक गाय मरणासन्न हो गई थी। उसका 41 दिन तक उपचार कराने के बाद उसको पूरी तरह से दुरूस्त करवा लिया, उसके बाद मन में गाय सेवा का मोह पैदा हो गया। तब से अब तक करीब दो हजार से अधिक गायों को उनके साथ युवा स्वस्थ्य कर चुके हैं। उनके साथ इस कार्य में जुटे निगम शिव हरि व सागर बताते हैं कि कुछ साल पहले वैदपुरा बाजार में प्राचीन शिव मंदिर के सामने एक गाय दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गई थी तभी से उन्होंने गायों का उपचार करने का संकल्प लिया। गोरक्षा समिति के महासचिव मंयक विधौलिया उनकी गायों के उपचार के लिए आर्थिक मदद करने के साथ साथ उत्साहवर्धन करके गए। इसी दरम्यान वो यह भी कह गए कि अपने मिशन से पीछे नहीं हटना, तब से लगातार गायो की रक्षा के लिए अपने आप को समर्पित कर रखा है। अनुज बताते हैं कि उन्होने अभी तब गायों की रक्षा के लिए किसी भी तरह की गैर सरकारी और सरकारी सहायता नहीं ली है ।
जिले में लगते थे बड़े पशुओं के बाजार, अब सिमटे
वैदपुरा, परसूपुरा, भतौरा, बख्तियारपुरा में पशुओं का बाजार लगता था। अब यह सिमट रहे है। जिस कारण सैकड़ों की संख्या में गाय और गोवंश का झुंड सड़कों पर विचरण करता है। आसपास के किसानों ने फसल की रक्षा के लिए खेतों में तार लगा दिए हैं। रोजाना दर्जनों गाये इन तारों में उलझकर बुरी तरह कट जाती हैं। कुछ गाय सड़क पर दुर्घटना से घायल हो जाती हैं ऐसी गायों के उपचार और उनकी सेवा का बीड़ा मयंक विघौलिया ने टीम बनाकर उठाया है।
पूरी शिद्ददत से करते हैं गायों की सेवा
गौरक्षा दल के प्रदेश महासिचव मयंक विधौलिया से प्रेरित अनुज गौड़, अखिलेश तिवारी गौ सेवक की टीम में मनोज गुप्ता, भूपेन्द्र वर्मा, रणवीर यादव, आचार्य शैलेन्द्र, रूपचंद्र, देवेंद्र प्रताप सिंह, भारत सिंह, हिमांशु गुप्ता शामिल हैं। जो भी गाय मरती हैं उनके लिए चुनरी की व्यवस्था धीरज गुप्ता करते हैं। गौसेवक गड्ढ़ा खोदकर उसका अंतिम संस्कार करते हैं। घायल गाय जहां भी मिल जाती है वहीं पर टीम पहुंचकर इलाज शुरू कर देती है। गाय यदि गंभीर रूप से घायल हो तो उस प्राचीन शिव मंदिर में भर्ती कर इलाज किया जाता है।
सुझाव--
1. कई बार गांव में गोशाला की जरूरत है साथ ही गायों कों विशेष संरक्षण की आवश्यकता है।
2. गायों की देखभाल के लिए बहुत समय, निवेश और ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
3. उन्हें ऐसे स्थानों पर रखा जाना चाहिए जहां हवा का अच्छा आवागमन हो। उन्हें अच्छी और स्वच्छ परिस्थितियों में रखा जाना चाहिए।
4. गोवंश से होने वाली दुर्घटना से बचने के लिए उनकी सींग पर रेडियम टैप लगाया जाएं।
5. गौ सेवक अपने स्वयं सेवकों को गायों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रशिक्षित करने की सुविधा चाहते है।
समस्या--
1. गोशाला, पशुओं के इलाज की मांग के बाद भी प्रशासन ने आज तक ध्यान नहीं दिया।
2. गौ सेवक गाय का इलाज तो कर देते हैं लेकिन उनके लिए भोजन और ठहरने की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं।
3. शाम होते ही गाय और अन्य गोवंश शहर की सड़क और हाइवें पर आकर विश्राम करने लगते हैं जिससे रात में दुर्घटना हो जाती है।
4. गोवंश के साथ किसी भी असामान्य या अनियमित व्यवहार के लिए लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं होती।
5. गौमाता के समुचित उपचार के लिए विशेष गौ अस्पताल की भी व्यवस्था नहीं है। इसके लिए कई बार मांग की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बहुत से लोग अपनी आजीविका के लिए डेयरी फार्मिंग पर निर्भर हैं।
- अखिलेश तिवारी
गोशालाओं के ईद-गिर्द चरागाह प्रणाली सभी के लिए भूमिका निभाकर जैव विविधता को बढ़ा सकती है।
- मनोज राम यादव
हमारा उद्देश्य गौ सेवा के साथ देशी गाय की नस्लों को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है।
- धीरज गुप्ता
गाय की उचित देखभाल से कृत्रिम उर्वरक की जरुरत कम हो जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।
- रजित तिवारी
सरकार ने गोवंश की हालत सुधारने के लिए योजना चला रखीं है। लोगों को बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
- रामजी तिवारी
समाजसेवी संस्थाओं को अगर कुछ अच्छा करना है तो सड़कों पर घूमने वाली बीमार गायों का इलाज की सेवा करें।
- विवेक कुमार
हमारे सनातन धर्म में गायों को माता का दर्जा दिया है। उनकी रक्षा करना, उनकी देखभाल करना और उनकी खुशहाली हमारी जिम्मेदारी है।
- अनुज गौड़
हम अपनी टीम को निराश्रित गायों की सेवा के साथ आपदाओं और अन्य चुनौतियों के दौरान एक स्तंभ के रूप में खड़े होने के लिए तैयार कर रहे हैं।
- निगम शिवहरे
डेयरी किसानों के लिए डेयरी फार्मिंग व्यवसाय को टिकाऊ बनाने का प्रयास करते हैं। जिससे रोजगार के साथ गौसेवा भी हो सके।
- अंकित राजपूत
गायों को प्यार, प्रशंसा और देखभाल की जरुरत है। गाय प्रेमियों का एक नेटवर्क बना रहे हैं जो गाय के जीवन को बेहतर बनाने के लिए तैयार हैं।
- यश
गोशालाएं स्थापित करने में लोगों की मदद करें। युवाओं को प्रशिक्षित करें और उन्हें इतना सक्षम बनाएं। वे गौमाता के उत्थान के लिए कार्य कर सकें।
- मयंक विधौलिया
हमारा उद्देश्य है कि गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करना। गौमाता के उपचार के लिए अस्पताल प्रारंभ करना।
- सागर
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