आपने भी ऐसे तो नहीं बनवाया जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र? यूपी के इस जिले में अजब फर्जीवाड़ा पकड़ाया
बरेली-बदायूं रोड पर स्थित जनसेवा केंद्र पर छापेमारी कर एसटीएफ ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर दो युवकों को गिरफ्तार किया है। गृह मंत्रालय की सूचना पर बरेली और अयोध्या की एसटीएफ ने यह संयुक्त कार्रवाई की।

यूपी में बरेली-बदायूं रोड किनारे बनी दुकानों में जनसेवा केन्द्र संचालित कर रहे इंटर कॉलेज के शिक्षक और उसके भाई को गृह मंत्रालय की सूचना पर एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। दोनों भाई जनसेवा केंद्र की आड़ में फर्जी वेबसाइट के लिंक के जरिये कई प्रदेशों में फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने का धंधा चला रहे थे। लोगों को एक लिंक देते थे और लोग खुद ही इस पर डिटेल भरकर अपना प्रमाण पत्र बना लेते थे। हर प्रमाण पत्र के एवज में क्यूआर कोड के जरिए यह लोग दो सौ रुपए लेते थे। अगर किसी ने इस तरह से लिंक पर क्लिक करके प्रमाण पत्र बनावाया है तो उन्हें सावधान होने की जरूरत है।
अयोध्या एसटीएफ के मुताबिक गृह मंत्रालय ने फर्जी आधार कार्ड बनाने व सीमा पार के अपराधी तत्वों से मिलकर यह फर्जीवाड़ा करने की आशंका जताते हुए जांच के निर्देश दिए गए। जांच में एक व्हाट्सएप नंबर सामने आया, जिससे जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने का लिंक शेयर हो रहा था। इसके जरिये कई प्रदेशों में फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाकर आधार कार्ड, पासपोर्ट आदि में इस्तेमाल किया जा रहा था।
लिंक पर डिटेल भरो और खुद बनाओ प्रमाण-पत्र
लिंक की जांच में सामने आया कि उस पर खुद ही डिटेल भरने के बाद जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाया जा सकता है। बस इसके लिए वहां दिए गए क्यूआर कोड पर दो सौ रुपये का रिचार्ज करना होता है। एसटीएफ ने खुद इसका सत्यापन किया और उस नंबर की जांच की, जिस पर भुगतान हो रहा था। यह मोबाइल नंबर देव सिंह का था और यस बैंक के खाते से लिंक था। प्रमाण-पत्र की सारी रकम इसी खाते में जा रही थी। आरोपियों ने बताया कि उन्होंने एक वेबसाइट बनवाई थी और फिर सोशल मीडिया पर घर बैठे जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनाने का विज्ञापन शेयर कर दिया। उसमें उनका नंबर था, जो व्यक्ति संपर्क करता था। उसे वह लिंक भेज देते थे। इस तरह घर बैठकर फर्जी सर्टिफिकेट बन रहे थे और हर सर्टिफिकेट पर उन्हें 30-50 रुपये मिलते थे।
खाते में 28 लाख का लेनदेन, गांव में तीन मंजिला मकान
भमोरा एसएसआई ने बताया कि रवि के पिता महेंद्र सिंह के नाम केवल साढ़े सात बीघा जमीन बताई गई है। रवि अपने तीन भाइयों में छोटा है, उसका भाई देव सिंह देवचरा के एक इंटर कॉलेज में प्राइवेट शिक्षक है। कॉलेज की छुट्टी के बाद वह रवि का सहयोग करने जनसेवा केंद्र पर बैठता था। इतनी कम जमीन होने के बाद भी उनके ठाठ अमीरों जैसे थे, पिछले दिनों रवि ने गांव में तीन मंजिला आलीशान मकान भी बनवाया है। उसके पास कई बाइक हैं और देव सिंह कई तोला सोने का ब्रेसलेट भी पहनता है। उसके खाते में 28 लाख से ज्यादा का लेनदेन हुआ है। बीओबी बैंक के मैनेजर चंद्र शेखर चौधरी ने बताया कि करीब 20 दिन पहले उन्हें रवि पर कुछ शक हुआ कि वह कहीं किसी गलत काम में लिप्त है। उन्होंने अपने अधिकारियों को बताया और उसके बाद उसका बैंक से खाता बंद कर दिया था। उसी समय से उसका बैंक से कोई लेना-देना नहीं रहा।
एक आरोपी शिक्षक
एसटीएफ के मुताबिक भमोरा के गांव खेड़ा निवसी महेंद्र सिंह राजपूत के बेटे देव सिंह और रवि राजपूत को गिरफ्तार करके जेल भेजा है। देव सिंह भमोरा के रामभरोसे इंटर कॉलेज में शिक्षक है। वह देवचरा में एक किराए की दुकान में अपने भाई रवि के साथ जनसेवा केन्द्र तथा बीओबी का बीसी काउंटर संचालित करता है। दोनों भाई जनसेवा केंद्र की आड़ में फर्जीवाड़ा कर आधार कार्ड, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का धंधा चला रहे थे। गृह मंत्रालय से इनपुट मिलने पर जांच के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया। उनसे दो लैपटॉप, तीन मोबाइल, 26 जन्म और चार मृत्यु प्रमाण-पत्र, एक आधार कार्ड और दो हजार रुपये बरामद हुए हैं। यह कार्रवाई एसटीएफ अयोध्या और बरेली की टीम ने संयुक्त रूप से की है।