बोले फिरोजाबाद: लेबर कॉलोनी की वाल्मीकि बस्ती का कब होगा उद्धार
Firozabad News - फिरोजाबाद की वाल्मीकि बस्ती के लोग सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। वाल्मीकि वाटिका का निर्माण नहीं हो पाया है, जबकि यह समाज की जरूरत है। नगर निगम की अनदेखी के कारण बस्ती में गंदगी और अन्य समस्याएं बढ़...

वाल्मीकि बस्ती लेबर कॉलोनी। शहर के कई हिस्सों में सफाई की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है वो खुद सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जगह होने के बाद भी एक वाल्मीकि वाटिका का निर्माण यहां नहीं हो सका है। घर में कोई कार्यक्रम हो तो चौक में तंबू तानना पड़ता है या फिर कहीं अन्यत्र इंतजाम करने के लिए दौड़ते हैं। वाल्मीकि वाटिका की जगह को निगम के ही लोगों ने कूड़ेदान बना रखा है तो यहां से उठने वाली दुर्गंध बस्ती में रहने वालों को भी परेशान कर देती है। समस्याओं का अंत यहीं नहीं होता है, कहीं पर स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हैं तो कहीं सालों पहले बने चौक के फर्श में अब गड्ढे हो गए हैं। क्षेत्रीयजनों की मानें तो अब तक कई पार्षद चुन गए लेकिन इस बस्ती की तरफ किसी का ध्यान नहीं।
लेबर कॉलोनी स्थित वाल्मीकि बस्ती। इस बस्ती में पहुंचने पर ही क्षेत्र के हालात दिखाई देने लगते हैं। नालियों में कहीं नमकीन के पाउच पड़े हैं तो कहीं पर अन्य गंदगी। संकरी सी गलियों से होते हुए जब अंदर चौक में पहुंचते हैं तो काफी बड़े चौक में तीनों तरफ घर बने हुए हैं तो इनमें से ही गुजरती दिखाई देती हैं दो-तीन अन्य गलियां। इस चौक के भी हालात ज्यादा अच्छे नहीं कहे जा सकते। दशकों से यह चौक नहीं बना है। कहीं-कहीं पर गड्ढे भी हो रहे हैं। गनीमत है कि दशकों पहले जिस ठेकेदार ने बनाया होगा, उसने गुणवत्ता का ध्यान रखा होगा, अन्यथा आजकल तो इस तरह के चौक पांच-सात साल में ही टूटने लगते हैं तो कई नालियों में यहां भी गंदगी पड़ी थी।
हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत वाल्मीकि बस्ती के लोगों से संवाद किया तो पेड़ के नीचे बैठे लोगों ने छूटते ही सवाल दागा कि इस बस्ती की तरफ कौन ध्यान देता है। जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट मांगने आते हैं, लेकिन इस बस्ती की बात सुनने वाला कोई नहीं। जब दुर्गंध के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि समाज की वाल्मीकि वाटिका की जमीन है, उस पर ही आसपास के क्षेत्र का कूड़ा डाल दिया जाता है, उसे डंपिंग यार्ड तक भी नहीं ले जाते हैं। लोगों का कहना था कि क्षेत्र में कई समस्याएं हैं, लेकिन सबसे पहली जरूरत है तो सिर्फ वाल्मीकि वाटिका।
क्षेत्रीयजनों का कहना था कि वाल्मीकि वाटिका के लिए नगर निगम को जमीन की खोज करने की भी जरूरत नहीं है। समाज के पास वाल्मीकि वाटिका के लिए जगह है, लेकिन इस जगह पर निर्माण नहीं हो पा रहा है। जिस तरह अन्य क्षेत्रों में उस क्षेत्र के लोगों के लिए भवनों का निर्माण कराया जाता है, ताकि उस समाज के लोग आसानी से घर के मांगलिक कार्यों को निबटा सकें।
इस तरह से यहां भी इस जमीन पर वाल्मीकि वाटिका बनाए जाने की जरूरत है। वाल्मीकि वाटिका बन जाएगी तो घर में होने वाले शादी समारोहों के लिए यहां चौक में टेंट नहीं तानना पड़ेगा। कई बार एक साथ दो समारोह होने पर अन्यत्र व्यवस्था के लिए भी भागना पड़ता है। क्षेत्रीयजनों का कहना था कि अगर पार्षद एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रयास किया जाए तो क्षेत्र को वाल्मीकि वाटिका के रूप में एक तोहफा मिल सकता है तो कई समस्याओं से निदान भी। वाल्मीकि बस्ती के एक तरफ से गहरा नाला भी गुजर रहा है, लेकिन इस नाले पर साइड में न तो दीवार है, न ही कोई अन्य सुरक्षा इंतजाम। ऐसे में यहां हर वक्त हादसे का डर रहता है। छोटे बच्चों को परिवार के लोग इस तरफ जाने से मना करते हैं तो उनका ध्यान भी रखना पड़ता है।
कूड़े को वाल्मीकि वाटिका में फेंकने पर लगे रोक
वाल्मीकि वाटिका के लिए चिन्हित जगह पर ही निगम की गाड़ियों के द्वारा कूड़ा फेंका जा रहा है। यह कूड़ा यहां पर दुर्गंध की बड़ी वजह बन रहा है। बाहर जब कोई सड़क से गुजरता है तो इस वाटिका से उठती दुर्गंध से सांस लेना दूभर हो जाता है। इस स्थिति में समझा जा सकता है कि इस वाल्मीकि बस्ती में रहने वालों को किन परिस्थितियों के बीच रहना पड़ता है। वहीं कई बार तो वाल्मीकि वाटिका में पड़े कूड़े के ढेर में निगम के कर्मचारी आग भी लगा जाते हैं। आग लगने से जब यहां से धुआं उठता है तो वाल्मीकि बस्ती के अंदर तक दुर्गंध पहुंचने लगती है।
लोगों की पीड़ा
यहां पर कूड़े के ट्रैक्टर आते हैं तथा कूड़ा यहां पर डाल जाते हैं। इस कूड़े में आग लगती है तो धुएं के साथ में दुर्गंध भी परेशान करती है। निगम को फोन करते हैं तो टैंकर आकर आग को बुझाते हैं।
-ज्वाला प्रसाद
वाल्मीटिक वाटिका के निर्माण से क्षेत्र के कई परिवारों को लाभ मिलेगा। बेटियों की शादी के लिए ज्यादा इंतजाम करने के लिए परिवारों को नहीं भटकना पड़ेगा। क्षेत्र की तरफ नगर निगम को ध्यान दिखाना चाहिए।
-सुनीता
वाल्मीकि वाटिका का निर्माण होना चाहिए। इसके साथ में एक सार्वजनिक शौचालय की भी जरूरत है। जब कोई परिवार शोकाकुल होता है वाटिका में लोग धूप में उस परिवार के साथ खड़े होते हैं। यहां पर निर्माण होना चाहिए।
-अनिल
वाल्मीकि बस्ती के चौक में फर्श कराने की जरूरत है, सालों पहले बने हुए फर्श से ही पूरी बस्ती काम चला रही है। जगह-जगह पर फर्श के ऊंचे-नीचे हो जाने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
-रामू
घर के सामने की सड़क टूट रही है तो इस मार्ग पर तेज रफ्तार पर ट्रैक्टर एवं वाहन चलते हैं। मोड़ पर ही घर होने के कारण इन वाहनों के कारण हादसों का भी डर रहता है।
-सुभाष
घर में अगर कोई कार्यक्रम होता है तो उसके लिए हमें वाल्मीकि वाटिका न होने के कारण चौक में ही आयोजन करना होता है। अगर वाल्मीकि वाटिका बन जाए तो सैकड़ों परिवारों के लिए बड़ी राहत होगी।
-बौबी
वाल्मीकि बस्ती के निकट से ही नाला गुजर रहा है, लेकिन इस पर दीवार नहीं है। यहां से भी बच्चे गुजरते हैं तथा हादसा होने का डर सताता रहता है, कम से कम इस जगह पर दीवार तो लगवाई जाए।
-राकेश
रात भर भारी वाहन बस्ती के बाहर सड़क पर दौड़ते रहते हैं। इससे जहां सड़क क्षतिग्रस्त हो रही है तो बस्ती में रहने वालों को भी परेशानी होती है। आए दिन ही जानवर भी हादसाग्रस्त हो चुके हैं।
-नकुल
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।