मानदेय न मिलने से रोजगार सेवकों पर आर्थिक संकट
Gangapar News - जसरा और शंकरगढ़ के रोजगार सेवकों को चार महीने से मानदेय नहीं मिला है, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। बारा तहसील में 61 रोजगार सेवक काम कर रहे हैं, जिनमें से 42 जसरा और 39 शंकरगढ़ में हैं। मानदेय...

जसरा और शंकरगढ़ के रोजगार सेवकों को चार माह से मानदेय नहीं मिला है। इससे रोजगार सेवकों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है। बारा तहसील में इस समय कुल 61 रोजगार सेवक काम कर रहे हैं। इसमें से 42 रोजगार सेवक विकास खंड जसरा और 39 रोजगार सेवक विकास खंड शंकरगढ़ में कार्यरत हैं। रोजगार सेवकों को ग्राम पंचायत में मनरेगा कार्यों की कार्य योजना से लेकर विकास कार्य तक करवाना पड़ता है। इसके अतिरिक्त शासन की अन्य अनिवार्य कार्यों में भी सहभागिता सुनिश्चित करनी पड़ती है। इसके बदले इनको शासन द्वारा मानदेय के रूप में 10000 रुपये प्रतिमाह दिया जाता है। इसमें से 2214 रुपये मासिक ईपीएफ कट कर रोजगार सेवकों को 7786 रुपये मासिक मिलता है। रोजगार सेवकों को मानदेय मनरेगा की कंटीजेंसी से भुगतान होता है किन्तु मनरेगा का धन ही शासन द्वारा निर्गत नहीं हुआ है। इस कारण रोजगार सेवकों को मानदेय नहीं मिला है। मनरेगा मजदूरों की ही भांति रोजगार सेवक भी परेशान हैं। विकास खंड जसरा के रोजगार सेवक संघ के अध्यक्ष संदीप कुमार, शंकरगढ़ अध्यक्ष भुआल सिंह ,सुजीत कुमार सिंह उपाध्यक्ष विष्णुशंकर त्रिपाठी कोषाध्यक्ष आदि ने बताया कि अप्रैल माह में लगभग हर परिवार में बच्चों का खर्च बढ़ जाता है। ऐसी विषम परिस्थिति में परिवार का पालन-पोषण कठिन काम है। रोजगार सेवक तारा सिंह, हसनैन अहमद विनय कुमार, राजेश सोनी, महेन्द्र सिंह, गणेश त्रिपाठी , चंद्र शेखर बिंद आदि ने बताया कि इतने कम पैसों में किसी तरह परिवार का पालन-पोषण होता है किन्तु चार माह से मानदेय नहीं मिला। परिवार संकट में गुजर रहा है।इस संबंध में खंड विकास अधिकारी जसरा अनीश अहमद ने बताया कि रोजगार सेवकों को मानदेय सीधे खाते में जाता है। शासन द्वारा धन आते ही उनके खाते में भुगतान होगा।
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