Challenges Faced by PRD Personnel in UP Corruption Low Allowances and Duty Issues बोले गाजीपुर : हालात के आगे लाचार, ड्यूटी के लिए करते मनुहार, Ghazipur Hindi News - Hindustan
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बोले गाजीपुर : हालात के आगे लाचार, ड्यूटी के लिए करते मनुहार

Ghazipur News - उत्तर प्रदेश में पीआरडी जवानों को कम दैनिक भत्ता, ड्यूटी में मनमानी और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जवानों ने कहा कि उन्हें उचित तैनाती और समय...

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरTue, 11 March 2025 02:33 AM
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बोले गाजीपुर : हालात के आगे लाचार, ड्यूटी के लिए करते मनुहार

देश की आजादी के बाद कानून-व्यवस्था से जुड़ी विकट परिस्थितियों पर नियंत्रण एवं उनकी पुनरावृत्ति रोकना यूपी में भी एक गंभीर चुनौती थी। उससे निपटने के लिए सन-1948 में प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) की स्थापना की गई थी। अब पीआरडी के जवान सिविल या ट्रैफिक पुलिस के सहयोगी के रूप में काम करते हैं। ये जवान दैनिक भत्ता की कमी, ड्यूटी में मनमानी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। ड्यूटी लगवाने के लिए अफसरों से मनुहार करनी पड़ती है। वे विसंगतियों से भरे हालात से उबरना चाहते हैं। विशेश्वरगंज पुलिस चौकी के पास जुटे पीआरडी जवानों ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में समस्याएं साझा कीं। पीआरडी संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश ने विभागीय कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ बाबुओं की मिलीभगत से ड्यूटी लगाने में बड़ा खेल किया जाता है। जो जवान इनकी जेब गर्म करते हैं, उनको तैनाती मिल जाती है। बाकी को महीने में दस दिन घर बैठा दिया जाता है। दैनिक भत्ते के रूप में 395 रुपये मिलते हैं। पूरे महीने काम नहीं मिला तब भूखे पेट सोने की नौबत आ जाती है। उन्होंने कहा कि रिश्वत न देने पर जवानों को नौकरी से निकाल देने की धमकी मिलती है। रिटायर हो चुके कर्मचारियों की जन्मतिथि में हेरफेर करके उनको भी तैनाती दे दी जाती है। वहीं प्रशिक्षित जवानों की जगह अप्रशिक्षित को तैनात कर दिया जाता है। इसकी शिकायत की सुनवाई नहीं होती।

घर से कोसों दूर देते हैं ड्यूटी

विजयशंकर ने बताया कि पहले उनकी तैनाती ब्लाक क्षेत्र में ही की जाती थी। अब 50 से 60 किलोमीटर दूर भेज दिया जाता है। कम पैसों में इतनी दूर नौकरी कैसे करें। यात्रा भत्ता भी नहीं मिलता। भत्ते का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल और किराया में ही खर्च हो जाता है। इस वजह से बहुत से जवानों ने अब काम करना छोड़ दिया है।

रोटेशन के अनुसार लगे ड्यूटी

सिद्धनाथ ने बताया कि रोटेशन के हिसाब से ड्यूटी लगाने का स्पष्ट प्रावधान है मगर इसका पालन नहीं होता। किसी को पूरे महीने ड्यूटी मिलती है तो किसी को 15 या 20 दिन। इसकी शिकायत करने पर अधिकारी नौकरी से निकाल देने की धमकी देते हैं। इससे हम हमेशा तनाव में रहते हैं। सिंहासन यादव ने बताया कि कानूनन हर जवान के मोबाइल पर ड्यूटी का मैसेज आना चाहिए। इससे पारदर्शिता रहेगी लेकिन इसमें भी गड़बड़ी की जा रही है। पिछले करीब एक साल से मोबाइल पर ड्यूटी का मैसेज आना बंद हो गया है।

अन्यत्र तैनाती का समय से हो भुगतान

अक्षय कुमार के अनुसार जवानों को थानों के अलावा बीएसएनएल, एफसीआई और कस्तूरबा विद्यालयों में भी तैनात कर दिया जाता है। यहां पूरे महीने काम करते हैं लेकिन भत्ता समय से नहीं मिलता। इसमें चार से पांच महीनों की देरी होती है। जबकि इसका भुगतान समय से होना चाहिए। उन्होंने ड्यूटी लगाने की ऑनलाइन व्यवस्था न होने पर भी सवाल उठाया। बताया कि विभाग अधिक खर्च का हवाला देता है जबकि ड्यूटी लगाने के नाम पर अनियमितता की जा रही है।

इज्जत के हम भी हैं हकदार

रामप्रसाद ने बताया कि पीआरडी की स्थापना एक सुरक्षा संगठन के तौर पर की गई थी लेकिन समय के साथ इसके मायने बदलते गए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की मदद के लिए जवानों की थानों में तैनाती की जाती है। लेकिन वहां उनका काम चाय-पानी लाने तक सीमित है। अधिकारियों के साथ कागज में तैनाती होती है जबकि उनके घरेलू काम करने पड़ते हैं। नहीं किया तो नौकरी पर बन आती है। रामप्रसाद बोले, होमगार्ड हमसे बेहतर हैं। उनको निकालना आसान नहीं है लेकिन हमें एक छोटी सी गलती पर बर्खास्त कर दिया जाता है। नम आंखों से उन्होंने कहा-‘साहब वर्दीधारी हैं। इज्जत के हकदार हम भी हैं।

लाठी से कैसे करें मुकाबला

लालबहादुर ने संसाधनों के कमी की ओर ध्यान दिलाया। बोले, वर्दी के साथ एक लाठी पकड़ा दी गई है। लाठी से अपनी सुरक्षा ही मुश्किल है, दूसरों को कैसे बचाएंगे। ग्रामीण इलाकों में कई बार असामान्य परिस्थितियों से सामना हो जाता है। अपराधियों से भी टक्कर लेनी पड़ती है। तब जान पर बन आती है।

बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले

संजय पासवान ने बताया कि एक तो दैनिक भत्ता बहुत कम है। वह भी समय से नहीं मिलता। महीने में 8 हजार रुपये मुश्किल से मिलते हैं। इसके अलावा चिकित्सा आदि दूसरी सुविधाएं नहीं मिलतीं। बीमारी में इलाज अपने पैसों से ही कराना पड़ता है। इसके लिए विभाग से मदद नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि पीआरडी जवानों को भी सरकारी कर्मचारियों की तरह कैशलेश कार्ड का लाभ मिले। मुफ्त इलाज का इंतजाम भी होना चाहिए। नागेन्द्र कुमार के मुताबिक उनके काम को समाज में उतनी मान्यता नहीं मिलती जितनी दूसरे सरकारी कर्मचारियों को मिलती है। इससे तकलीफ होती है। परिवार को भी सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता।

मिले आवास की सुविधा

राकेश कुमार ने बताया कि पीआरडी जवानों को आवास सुविधा नहीं है। थानों में काम के दौरान रहने की समस्या नहीं होती है। दूसरे विभाग में ड्यूटी के दौरान दिक्कत होती है। जवानों को 40 से 50 किलोमीटर दूर भेज दिया जाता है जहां रहने का कोई इंतजाम नहीं होता। ऐसे में किराए का मकान लेना पड़ता है। रोज जाने पर किराया भाड़ा अधिक लगता है। बाइक का खर्च उठाना मुश्किल है। काम करना मुश्किल होता जा रहा है।

काम की अवधि हो निर्धारित

सुरेश सिंह यादव ने बताया कि समय तय न होने से लगातार काम करना पड़ता है। दंगे और आपदा के समय बीस-बीस घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है। इसका स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है। मानसिक तनाव बढ़ने के साथ निजी जीवन भी प्रभावित होता है। काम का निश्चित समय तय होना चाहिए।

जवानों का दर्द

पहले ब्लाक में ड्यूटी लगाई जाती थी। अब 50 किलोमीटर दूर भी भेज दिया जाता है।

विजयशंकर

प्रतिदिन के 395 रुपये मिलते हैं। इतने कम पैसों में परिवार का गुजारा मुश्किल होता है।

सुरेश सिंह यादव

रोटेशन से ड्यूटी नहीं लगती। कई जवानों को महीने में 20 से 25 दिनों का ही काम मिल पाता है।

सिद्धनाथ

पीआरडी जवानों की दूसरे विभागों में भी तैनाती का पैसा समय से नहीं मिलता है।

अक्षय कुमार

दैनिक भत्ता बहुत कम है। वह भी समय से नहीं मिलता। महीने में 25 तारीख के बाद सैलरी आती है।

संजय पासवान

कुछ जवानों को थानों में तैनात किया गया है। उनको वहां से कहीं और नहीं भेजा जाता।

राकेश कुमार

सुरक्षा ड्यूटी के लिए उचित संसाधन नहीं दिए जाते। ग्रामीण इलाकों में खतरा रहता है।

लाल बहादुर

अधिकारियों की सुरक्षा में तैनात कर दिया जाता है। उनके घरों में भी काम करना पड़ता है।

रामप्रसाद

नौकरी में स्थायित्व न होने से भविष्य की चिंता बनी रहती है। हमें नियमित करना चाहिए।

लल्लन राम

जवानों की तैनाती में भ्रष्टाचार होता है। कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी होती है।

ओमप्रकाश

प्रशिक्षित जवानों को घर पर बैठा दिया जाता है जबकि अप्रशिक्षित को तैनाती मिलती है।

नागेन्द्र कुमार

जवानों की ड्यूटी का मैसेज मोबाइल पर आना चाहिए। इस बाबत जानकारी नहीं दी जाती।

सिंहासन यादव

सुझाव :

पीआरडी जवानों के दैनिक भत्ते की राशि बढ़ा कर उसे प्रतिदिन पांच सौ रुपये करना चाहिए।

जवानों को रोटेशन के हिसाब से तैनाती मिले। इससे सभी को पूरे महीने काम मिल सकेगा और दिक्कत नहीं होगी।

दूसरे विभाग में तैनाती पर पेमेंट समय से मिलना चाहिए। इसे नियमित रूप से प्रतिमाह दिया जाना चाहिए।

ड्यूटी लगाने में पारदर्शिता होनी चाहिए। रिश्वतखोरी पर लगाम लगे। इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएं।

पीआरडी जवान वर्दीधारी होते हैं। उनका सम्मान होना चाहिए। उनसे घरों का काम लिए जाने पर रोक लगे।

शिकायतें :

पीआरडी जवानों का दैनिक भत्ता बहुत कम है। वह भी नियमित नहीं मिलता है। उसमें देरी होती है।

जवानों की ड्यूटी रोटेशन के आधार पर नहीं लगाई जाती। इससे कई जवानों को पूरे महीने काम नहीं मिलता है।

दूसरे विभागों में भी तैनात कर दिया जाता है। इसके भुगतान में चार महीने तक देर होने से दिक्कत होती है।

जवानों की ड्यूटी लगाने के लिए सुविधा शुल्क की मांग की जाती है। इसे न देने पर ड्यूटी नहीं मिलती।

अधिकारियों की सुरक्षा में तैनाती दिखाकर उनके घरों का काम कराया जाता है।

बोले जिम्मेदार :

भत्ता बढ़ाने का हो रहा प्रयास

पीआरडी जवानों की हर महीने शत प्रतिशत ड्यूटी लगाने के लिए जिलाधिकारी से पत्राचार किया गया है। निर्णय होते ही ड्यूटी की संख्या बढ़ाई जाएगी। इनका दैनिक भत्ता बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है।

-दिलीप कुमार, जिला युवा कल्याण अधिकारी।

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