Massive Humanity Upliftment Yajna Concludes with Spiritual Gathering in Gazipur शोभायात्रा के साथ अभ्युदय महायज्ञ का हुआ समापन, Ghazipur Hindi News - Hindustan
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शोभायात्रा के साथ अभ्युदय महायज्ञ का हुआ समापन

Ghazipur News - गाजीपुर, संवाददाता। श्री गंगा आश्रम में आयोजित 47 वां मानवता अभ्युदय महायज्ञ पर

Newswrap हिन्दुस्तान, गाजीपुरSat, 19 April 2025 01:36 AM
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शोभायात्रा के साथ अभ्युदय महायज्ञ का हुआ समापन

गाजीपुर, संवाददाता। श्री गंगा आश्रम में आयोजित 47 वां मानवता अभ्युदय महायज्ञ पर शुक्रवार को विशाल शोभा यात्रा, मां गंगा की विदाई यात्रा, गंगा पूजन, सत्संग और भंडारा कर समापन किया गया। देर शाम श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहा। श्रद्धालुओं ने जो सेवा समझ में आई, उसने करना शुरू कर दिया। किसी ने झाड़ू थामी तो किसी ने पत्तल पर खाना परोसा। विभिन्न सम्प्रदायों के संत और महामंडलेश्वर भी आश्रम में आए।

प्रोफेसर शिवेश राय ने कहा कि आज जब पूरा समाज जातिवादी संकीर्णता और सांप्रदायिक उन्माद से जूझ रहा है। उस समय ऐसी समानता वाली व्यवस्था जिसमें सभी एक साथ बैठ रहे हैं, एक जैसा खाना खा रहे हैं, पूरे समाज के लिए एक अनुकरणीय आदर्श प्रस्तुत करता है। सायंकालीन सत्संग में विवेक चूड़ामणि पर प्रकाश डालते हुए माधव कृष्ण ने कहा कि विवेक उचित और अनुचित में भेद करने की क्षमता देता है। लेकिन इस क्षमता का उपयोग मनुष्यता की स्थापना में होना चाहिए। हमारी धमनियों में भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण का रक्त उबाल रहा है, जिन्होंने हर उस स्थान पर हस्तक्षेप किया जहां अधर्म का राज्य था। भगवान राम ने ताड़का का वध और पम्पापुरी में सुग्रीव की सहायता कर विश्वविजेता रावण और महान बलशाली बाली को खुली चुनौती दी। जबकि उनका उन दोनों से कोई व्यक्तिगत बैर नहीं था। माता अहिल्या और माता शबरी के साथ खड़ा होकर उन्होंने लोगों को उपेक्षितों और अपराधियों में अंतर करना सिखाया। भगवान श्रीकृष्ण अपने समुद्र के आलीशान महल में पूर्ण वैभव के साथ आनंदित थे, लेकिन जब राजाओं के समक्ष एक अबला स्त्री का वस्त्र हरण हुआ और पांच धर्मात्माओं को सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार से वंचित कर दिया गया। तब उन्होंने तुरंत अपने रथ के घरघर नाद से पूरे भारत को गूंजा दिया। धर्म का कार्य केवल माला जोड़ना और अनुष्ठान करना नहीं, धर्म का कार्य अधर्म को चुनौती देकर उसका सर्वनाश करना है। धर्म का कार्य है अनाहूत अधर्म के राज्य में हस्तक्षेप करना। इस दौरान श्रद्धालुओं ने सत्संग शांतिपूर्ण माहौल बनाकर सुना और और बताये हुए रास्ते पर चलने के लिए दृढ़ संकल्पित हुए।

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